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आष्टा। कांग्रेस में गुटबाजी,बड़े नेताओं द्वारा अपने समर्थकों को एडजेस्ट करने की परम्परा, अपने चहेतों को तब्बजो देना आदि कोई नई बात नही है। मप्र में सत्ता से विमुख हुई कांग्रेस ने मप्र में होने वाले स्थानीय निकायों के चुनाव में कैसे कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहे,उसके उम्मीदवार कैसे ज्यादा से ज्यादा निकायों के चुनाव में जीते की योजना बनाई,इसके लिए कांग्रेस में सबसे बड़ी टेडी खीर माना जाने वाला विषय, उम्मीदवारों का चयन कैसे किया जाये।

जय जय कार करने वालो की जगह जीतने वाले जमीनी,सनधर्षशील,निष्ठावान ओर युवाओं को टिकिट दिया जाये ताकि,प्रदेश में सरकार के रूप में जो बड़ा खोया उसके स्थान पर नगर-शहर सरकार के रूप में छोटा ही सही, कुछ पुनः मिल जाये। इसको लेकर पूर्व सीएम एवं मप्र कांग्रेस के अध्यक्ष श्री कमलनाथ ने निकाय चुनाव में उम्मीदवारों के चयन हेतु इस बार पर्यवेक्षक की जगाह प्रभारी ओर सह प्रभारियों की नियुक्ति की। सभी नियुक्त प्रभारी सह प्रभारी अपने अपने प्रभार वाली निकाय तक पहुचे,बैठके की, रायशुमारी की।

20 जनवरी को आष्टा आये प्रभारी श्री केदारसिंह मेवाड़ा एवं श्रीमति आरती भगोरिया

आष्टा नपा के लिये नियुक्त प्रभारी केदारसिंह मेवाड़ा सह प्रभारी श्रीमति आरती भगोरिया 20 जनवरी को आष्टा पहुचे,उन्होंने सब दावेदारों से मिल कर बात की,जानकारी ली,आवेदन लिये, संगठन के छोटे बड़े सभी नेताओं,पदाधिकारीयो से मिले, चर्चा की, ओर चले गये। जैसा कहा जाता है,ये कांग्रेस है, कब क्या हो जाये,किसे मैदान में आना होता है,आ कोई और जाता है। ऐसा ही कुछ आष्टा में शुरुआत हो गई।
ये शुरुआत हुई नियुक्त सह प्रभारी के बदलने से ।
मप्र कांग्रेस ने आष्टा नपा चुनाव के लिये प्रभारी केदारसिंह मेवाड़ा सह प्रभारी आरती भगोरिया को नियुक्त किया था,लेकिन कुछ तो गुटबाजी का खेल, किसी नेता ने खेला ओर सह प्रभारी आरती भगोरिया को खो कर दिया।

23 फरवरी को नये सह प्रभारी के रूप में नियुक्त सुनील नाहर-नूरी खान आई

उनके स्थान पर कांग्रेस की तेज तर्राट महिला नेत्री नूरी खान को सह प्रभारी नियुक्त कर दिया,इसके साथ ही एक ओर नये सह प्रभारी के रूप में सुनील नाहर की भी नियुक्ति हो गई। कल जब प्रभारी केदारसिंह मेवाड़ा रायशुमारी हेतु आये तो इनके साथ ये दोनों नये सह प्रभारी आये थे। कल रायशुमारी स्थल पर स्थानीय कांग्रेस के नेताओ,कार्यकर्ताओ में यही चर्चा रही की उन्हें क्यो हटाया.! इन्हें क्यो बनाया.! चर्चाओं का क्या कही से भी शुरू कर दो खत्म नही होगी। क्योंकि चर्चा और प्याज एक जैसे होते है,जितने चाहो उसके छिलके निकाल दो.!

ये घुंघरू जो बजते नही…..


हमारे ये घुंघरू जो है, वो बजते नही है, लेकिन बिना बजे भी बहुत कुछ कह देते है,ऐसा ही कुछ कांग्रेस में इस हुई खो ओर नियुक्ति को लेकर चर्चा है.!
वैसे इस हुई नियुक्ति के पीछे आष्टा नगर में मतदाताओं का जो गणित है,उस गणित के हिसाब से इस हुई नई नियुक्तियों को देखा,समझा, जाना जा रहा है.?
खेर कुछ भी हो अब जिसे खो देना था उसे खो दे दी गई है,जिनकी नियुक्ति करना थी वो कर दी गई है। अब तेल मत देखो तेल की धार देखो और आने वाले चुनाव में कैसे जीत मिल सकती है उस ओर ध्यान केंद्रित करो। जय हो..!

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