सीहोर । संभागायुक्त श्री कवींद्र कियावत ने सम्भाग के सभी जिलों के कृषि अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि खरीदी केंद्रों पर सभी तरह के विवाद से बचने के लिए किसानों को जागरूक कर गेंहू में मिटटी मिलने से रोकने और चना में तेवड़ा रोकने के उपाय बताए।
श्री कियावत ने निर्देश दिए कि किसानों को किसान खेत पाठशाला के अलावा पंजीयन केंद्र पर शिविर आयोजित कर बताएं कि खेत मे ही चने के साथ पैदा हुए तिवड़ा को कैसे दूर किया जाए। उन्होंने कहा कि किसान तिवड़ा का उपयोग पशुचारे के रूप में भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि धान वाले क्षेत्रों और मेड़ से लगकर बोए गए गेहूं में थ्रेसर के दौरान मिटटी मिलने की आशंका रहती है। उन्होंने सभी उपसंचालक से कहा कि किसानों को थ्रेसर के समय मेड से लगी फसल को हाथ से ही काटने की सलाह देने की किसानों को समझाइश दी जाए। उन्होंने कहा कि पंजीयन शिविरों के अलावा सभी तरह के सन्देश और प्रचार कर यह व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
“नरवाई न जलाने तथा गौशाला में भूसा दान करने के लिए संकल्प पत्र”
संभागायुक्त ने निर्देश दिए कि सभी किसानों को जनहित और पर्यावरण हित में नरवाई नहीं जलाने के लिए संकल्प पत्र भरवाएं जिसमें एस्ट्रारीपर के साथ ही थ्रेसिंग करवाने का संकल्प लिया जाए।
उन्होंने कहा कि नरवाई नहीं जलाने पर भूसा भी मिलता है। नरवाई जलाने के दुष्परिणामों का व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाए। हर साल नरवाई जलाने से जन-धन की हानि के साथ ही पर्यावरण का नुकसान होता है एवं मिटटी की उर्वरक क्षमता कम होती है। साथ ही शासकीय गौशालाओं के पशुओं के लिए चारा दान करने के लिए भी संकल्प पत्र भरवाया जाए। खरीदी केन्द्रों पर किसानों को सभी नियमों की अच्छे से जानकारी दी जाए दें। सम्मेलन में भी स्थानीय जनप्रतिनिधिए मीडिया सहित गणमान्य नागरिकों को भी शामिल किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि किसानों की जागरूकता के लिए किसान दीदी और किसान मित्रो को भी खेत खेत पहुंचाया जाए।
उल्लेखनीय है कि रायसेन में एक लाख 14 हज़ार हेक्टेयर, विदिशा में एक लाख 134500, राजगढ़ में 82 हज़ार 580, सीहोर में 51 हज़ार हेक्टेयर में चना की बोवनी हुई है। बैठक में संयुक्त आयुक्त श्री अनिल दवेदी और संयुक्त संचालक कृषि श्री बी एल बिलैया भी उपस्थित थे।