आष्टा। कल देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति जी के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए देश के लोगो को एक नये शब्द से परिचित कराया,वो शब्द था “आन्दोलनजीवी” प्रधानमंत्री ने कल सदन में दिये अपने भाषण में कहा था की इन दिनों देश मे एक नई जमात हर जगह नजर आ जाती है,इस हर जगह दिखने वाली जमात को उन्होंने “आन्दोलनजीवी” नाम दिया है। जो हर आंदोलन में कही ना कही नजर आ ही जाती है।
ठीक इसी तरह का नजारा इन दिनों आष्टा में नजर आ रहा है फर्क इतना है,पीएम ने जो नये शब्द से देश को परिचित कराया वो निशाना सीधे सामने की ओर था। लेकिन आष्टा में जो नजर आ रहा है, जो हो रहा है,वो किसी एक राजनीतिक दल में नही सब दलों में खास कर परम्परागत दो बड़े राजनीतिक दल में नजर आ रहा है।
अवसर है आने वाले नगर पालिका के चुनाव का,इस अवसर ने बेरोजगार नेताओ को रोजगार के अवसर प्रदान कर दिये है। कोरोना के लम्बे कार्यकाल में हाथ पर हाथ धरे बैठे कई नेताओं को “अवसर” में “अवसर” का लाभ अर्जित करने का एक “अवसर” प्रदान कर दिया है,अब वे अवसर में से कितना लाभ “अवसर” के तहत अर्जित कर पाते है ये उनकी कला और संस्कृति पर निर्भर करता है।
बेरोजगार नेताओ ने अपने अपने दावेदार को साध लिया है,जिसने जिसे साधा वो उसकी जय जय कार में दिन रात ऐसे जुटा है जैसे घर मे ही शादी है। ऐसे “अवसरजीवी” जमात को इन दिनों कतई फुर्सत नही है,ये “अवसरजीवी” हर जगह जहा कही भी भजन हो,कीर्तन हो,जन्मदिन हो,आयुष्मान कार्ड बनाने का शिविर हो,कही भी कोई सा भी धार्मिक,सामाजित कार्यक्रम हो,कही अंतिम यात्रा हो,बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना की तरह नजर आ ही जाते है..! क्या करे आज कल की राजनीति ही ऐसी हो गई है। यह भी कटु सत्य है,की नगर पालिका के टिकिट घोषित होते ही कई “अवसरजीवी” जो आज नत्थू खाँ के फूफा बने हुए है,ये कई दिनों तक गुफाओं कंदराओं में भी ढूंढे नही मिलेंगे। कई दावेदार तो बिना चुनाव लड़े इतने हल्के हो जायेंगे की उन्हें हो सकता है बजन बढ़ाने का, गम भुलाने का कई दिनों तक टॉनिक लेना पड़े।
एक दल के एक बड़े नेता ने पिछले दिनों जो कहा की “कोई ये समझ रहा हो कि में किसी को टिकिट दिला दूंगा तो सुन लो में भी किसी को टिकिट नही दिला सकता हु” उनका ये कहना ही समझदार को इशारा काफी है,फिर भी कोई ना समझे तो फिर किसी को दोष भी वो नही दे सकता है। स्मरण रहे इन दिनों आष्टा में होने वाले नपा चुनाव को लेकर सभी दलों में जो इस बार हो रहा है,दिख रहा है शायद इसके पहले जितनी बार भी निकाय चुनाव हुए उसमे कभी इस बार जैसा देखने,सुनने को नही मिला। खैर कुछ भी हो लेकिन देश मे आज पीएम द्वारा दिये एक नये शब्द “आन्दोलनजीवी” की चर्चा है तो वही आष्टा ने भी “अवसरजीवी” की चर्चा है,मतलब आष्टा दिल्ली से कही से भी पीछे नही है..!