अहिंसा रथ प्रवर्तन के दर्शन समाज जनों ने किए ।नगर के किला मंदिर पर अहिंसा रथ प्रवर्तन पहुंचा।यह रथ आचार्य सुनील सागर महाराज के आशीर्वाद और प्रेरणा से माह नवंबर 2022 में जयपुर से अशोक गेहलोत तत्कालीन मुख्यमंत्री ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।
22 -23 प्रदेशों में 40 हजार किलो मीटर की यात्रा पूर्ण कर आष्टा पहुंचा।रथ के साथ आए पप्पू भैय्या शाह ने बताया कि मुनिराज महावीर ने अपने बारह वर्ष के तपकाल में केवल 350 दिन ही अभिग्रह अर्थात विधि मिलने पर आहार ग्रहण किया था। आपने बताया कि भगवान महावीर के प्रमुख संदेश अहिंसा परमो धर्म,जीओ और जीने दो, सत्य,अचौर्य,ब्रह्मचर्य,अपरिग्रह,अनेकांतवाद एवं क्षमा । पप्पू भैय्या ने बताया कि इंसानियत को जिंदा रखने के लिए किसी के द्वारा अपराध हो जाने पर क्षमा करना आना चाहिए। प्रतिशोध की आग में तो दुनिया भी राख हो जाएगी।
क्षमा से सहिष्णुता, सह अस्तित्व का विकास होगा। क्षमा करें और क्षमा मांग लें,जीत है इसमें हार नहीं है। क्षमा वीरों का आभूषण है, कायरों का श्रृंगार नहीं। आचार्य सुनील सागर महाराज की कृपा व प्रेरणा से यह रथ भगवान महावीर स्वामी का संदेश जन-जन तक पहुंचा रहे हैं। समाज जनों ने रथ में रखी भगवान महावीर स्वामी की भव्य प्रतिमा के दर्शन किए।
“पुण्य नहीं है इसलिए संसार में भटक रहे हो –मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज”
भगवान का समोशरण भव्य व दिव्य होता है। तीर्थंकरों का यह विशेष वैभव है।समोशरण में पहुंचने के लिए बीस- बीस हजार सीढियां रहती है। हेम रजित स्वर्ण,रजत और रत्नों से जड़ित सिंहासन होता है। इसमें आठ भूमिया होती है।स्फूटमणिक बेदियां होती है। पृथ्वी का बहुमूल्य वैभव और बहुमूल्य निधि है। समोशरण भूमि भव्य व दिव्य है।पुण्य नहीं है ,इसलिए संसार में भटक रहे हैं।बिना तपे कुछ नहीं होगा।संगति में रहने का असर होता है।जीव अनादिकाल से संसार में परिभ्रमण कर रहा है।कर्मों की मार को अनादिकाल से सहन करते आ रहे हो। मकड़जाल में आप और हम हम उलझें हुए हैं।आत्मा पिटती है, शरीर के कारण। भगवान के वैभव को मुनिश्री ने सुनाया।मोह की लीला में उलझे हुए और कर्मों के जंजाल में उलझे हुए हो। आत्मा के कल्याण को कब पार करोंगे। जीवन को संयमित करना होगा। उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं। मुनिश्री ने कहा आज स्थिति यह है कि बाहर वालों से खतरा कम, अपने वालों से खतरा अधिक हो रहा है। इस संसार रूपी जंजाल से ऊपर उठाना होगा।
अग्नि परीक्षा देकर ही सोना और लोहा भी अपनी आकृति प्राप्त करते हैं। बिना अग्नि परीक्षा के अपना रुप नहीं ले पाता है। समता रुपी आभूषण से हम बहुत कम युक्त है।कर्मों की मार सहन करने वाले सहनशील बनते हैं और भगवान बनते हैं। मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने कहा विपरित परिस्थितियों में सहज,सरल रखें। पुरुषार्थ करना पड़ता है। अपने- अपने होते हैं, सपने -सपने होते हैं। कभी भी किसी का दिल मत दुखाना। मकड़ी जाल अपना पेट भरने के लिए बुनती है और आप लोग भी मनुष्य पर्याय मिलने के बाद भी नहीं जागे। गुरुदेव आचार्य विद्यासागर महाराज ने कहा अब तो जागो।यह मनुष्य रूपी प्लेट फार्म आपको उलझनें के लिए नहीं सुलझने के लिए मिला है। संसार में आए अकेले हैं और जाना भी अकेला ही है। खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही जाना है। किया गया धर्म ,पुरुषार्थ आदि ही साथ जाएगा।
अखिल भारत वर्षीय दिगंबर जैन महिला परिषद एवं
भक्ति महिला परिषद ने मनाया क्षमा वाणी पर्व
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अखिल भारत वर्षीय दिगंबर जैन महिला परिषद की सीहोर ईकाई भक्ति महिला परिषद सदस्यो द्वारा क्षमा वाणी महापर्व पखवाडे का आयोजन की श्रखंला मे क्षमावाणी पर्व मनाया । कार्यक्रम मे वक्ताओ ने अपने विचार व्यक्त किए! इस अवसर पर सचिव अर्चना जैन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए परिषद के विभिन्न आयोजन ओर उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला । प्रतियोगिता मे सारगर्भित लेख एंव निबंध प्रतियोगियो को पुरस्कार प्रदान किए ।
भजन संध्या भक्ति भाव से ओत्प्रोत गीत संगीत के साथ भजन का आयोजन किया गया एंव प्रभावना के रुप मे फल वितरित किए गए ।
इस अवसर पर मुख्य रूप से परिषद की सदस्य श्रीमती विमला जैन, अर्चना जैन, अनीता जैन, श्रीमति कमलश्री, सरोज जैन श्रीमति पप्पूजैन ,रानी जैन डाक्टर नीलमणी जैन,रोशनीजैन, तिलका जेन ,आदि मुख्य रूप से उपस्थित थी ।