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मुनियों को किसी से भी राग – द्वेष नहीं रहता, युवा वर्ग को संस्कार और संस्कृति से परिचित कराना चाहिए–मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज

आष्टा।हम तो गुरु के सूत्र से यहां तक पहुंचे हैं और अपना लक्ष्य भी गुरु सूत्रों से प्राप्त करेंगे और आप भी इसे समझेंगे तो आप भी कल्याण करेंगे। मुनियों को किसी से न तो राग है और न ही द्वेष।वे तो अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं।जैन धर्म वीतरागता को प्रदर्शित करता है और उस पर चलने को प्रेरणा देता है ।

कर्तव्यों का पालन करने का संदेश श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था। श्रावक अवस्था में कर्मों की निर्जरा करें। परम्परा उसे कहते हैं जो तीर्थंकरों के मुख से निकली हो। समाज की परम्परा नहीं आगम व गुरु कहे वह परम्परा होती है। धार्मिक क्रियाओं का पतन न हो। गलती लगती नहीं ,उसे प्रवृत्ति बना लिया है।

यह आत्म आराधना का पर्व था। उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं। आपने कहा कि आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज कहते थे कृति रहेगी तो संस्कृति रहेंगी आगामी सालों तक…।

यह वैभवशाली संस्कृति विरासत में मिली है। जैन दर्शन बपौती नहीं यह जन-जन का है। आदिनाथ, महावीर का धर्म है।प्राणी मात्र के कल्याण का महावीर आदिनाथ का धर्म है। क्षत्रियों का धर्म है,यह प्रदर्शन का धर्म नहीं है।हर संप्रदाय व किसी के पास अच्छाई है तो उसे सीखों ।

गुरु वचन आगम प्रमाण है।हम सभी की बात करते हैं। मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने कहा युवाओं को संस्कार और संस्कृति से परिचित कराना चाहिए। बच्चों को पाठशाला भेजे, वहां संस्कार और संस्कृति सीखेगा।बीज बबूल का बोओगे तो आम कहां से आएगा। कालिदास का स्मरण सुनाया।विद्वान बुद्धि से और मूर्ख लठ से लड़ता है।देव, शास्त्र और गुरु का सम्मान बना रहे। संस्कार रहेंगे तो ही संस्कृति सुरक्षित रहेगी।

हम संस्कार और संस्कृति के बीच कोई समझौता स्वीकार नहीं करेंगे।संस्कृति के साथ खिलवाड़ हम बर्दास्त नहीं करेंगे।मर्यादा रेखा,लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन राम,रावण,लक्ष्मण, सीता कोई भी करें तो दंड तो भुगतना होगा।इस लिए मर्यादा में रहो।गलत मार्ग व गलत परम्परा का निर्वहन नहीं हो। कृति रहेगी,संस्कृति रहेंगी युवाओं को संस्कृति और संस्कारों से परिचित कराया जाएं, माता -पिता ध्यान देवें।यह भौतिकता से भरा दौर है।

मुनिश्री निष्प्रह सागर महाराज ने कहा राग-द्वेष भरे जीवन में सभी तरह के लोग हैं।सन 1857 की क्रांति तैयार नहीं होती तो 1947 में देश आजाद नहीं होता। हम समाज, श्रावक एवं नियम दे सकते हैं,आप मुनि नहीं दे सकते है। श्रावक अपने अनुसार मुनि को चलाने का प्रयास नहीं करें।

पुलिस और सेना के जवान कठोर रहते हैं कानून का पालन कराने के लिए एवं हमारी सुरक्षा करते हैं, लेकिन उनके दिल और दिमाग प्रिय व नरम होते हैं। गुरुदेव की डांट आशीर्वाद रहती है।

कलेक्टर श्री सिंह ने सीहोर जिले की शान कपिल परमार को शाल-श्रीफल भेंटकर किया सम्मानित

सीहोर । कलेक्टर श्री प्रवीण सिंह ने पैरालंपिक में कांस्य पदक जीतकर देश को जूडों में पहला पदक दिलाने वाले सीहोर के श्री कपिल परमार को शाल एवं श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया। कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि कपिल ने पैरालंपिक में कांस्य पदक जीतकर

देश को जूडों में पहला पदक दिला कर सीहोर जिले के साथ ही देश का भी नाम दुनिया में रोशन किया है। कपिल की इस जीत पर कलेक्टर श्री प्रवीण सिंह ने उन्हें बधाई दी। उल्लेखनीय है कि कपिल ने अपने पहले पैरालम्पिक में ही काँस्य पदक और जूडो में देश का पहला पदक जीत कर पूरी दूनिया में देश का नाम रोशन कर दिया है।

पेरिस में आयोजित पैरालंपिक में 05 सितंबर को कपिल का मुकाबला ब्राजील के खिलाड़ी एलिल्टन डी ओलीवेरिया के मध्य काँस्य पदक के लिये खेला गया, जिसमें 10-0 से कपिल ने मुकाबला जीतकर काँस्य पदक जीता।

कपिल अब तक 17 अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। कपिल अब तक 8 स्वर्ण पदक सहित कुल 13 अंतर्राष्ट्रीय पदक जीत चुके हैं।

“गेल इंडिया प्लांट के खिलाफ किसानों,कांग्रेस नेताओं का ट्रेक्टर मार्च आज,एसडीएम को सौपेंगे ज्ञापन…..”

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