Spread the love

“सकल हिन्दू समाज ने किया सेवानिवृत्त फौजी कैप्टन का स्वागत”

आष्टा के नजदीकी ग्राम अरनिया कला के निवासी कृषक प्रेमनारायण सोनानिया के सुपुत्र मनोहर सिंह सोनानिया का सेवाकाल 30 वर्ष पूर्ण होने पर कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त हुए ।

इस अवसर पर ग्राम अरनिया कला में,बेंड बाजो एवं आतिशबाजी के साथ सैनिक का ग्रामीणों,जनप्रतिनिधियों ने जोरदार स्वागत किया । श्री मनोहर सिंह सोनानिया,खाती समाज के पहले फौजी है,जिन्होंने कैप्टन के पद पर रहकर देश सेवा की है। इस अवसर पर आष्टा हिन्दू सकल समाज के अध्यक्ष गण, मुकेश नामदेव, राजीव गुप्ता पत्रकार

नारायण सिंह मुकाती,महेश जाट,मनीष डोंगरे,बी.एस. वर्मा, डी. पी.वर्मा, डॉ, रतनसिंह जामलिया आदि ने पुष्पमाला एवं साफा बांधकर स्वागत किया। बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त फौजियों एवं ग्रामीणों की उपस्थिति में कार्यक्रम संपन्न हुआ।

“जावर पुलिस ने फरार आरोपी को दबोचा”

जावर थाने में दर्ज अपराध क्रमांक 272/24 धारा 70 (1), 332(b) BNS के लंबे समय से फरार आरोपी दिनेश पिता कालूराम चौहान उम्र 42 साल निवासी ग्राम टोलका खेड़ा को आज गिरफ्तार किया गया । जिसे जावर पुलिस ने न्यायालय पेश किया जायेगा।

“भारतीय किसान संघ की बैठक सम्पन्न,सोयाबीन 6 हजार हो की उठाई मांग”

भारतीय किसान संघ आष्टा की मासिक बैठक कृषि उपज मंडी के कृषक विश्राम में आयोजित की गई । बैठक में किसानों की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की गई एवं भगवान बलराम की जयंती मनाई गई।

बैठक में किसान संघ कार्यकर्ताओं ने विभिन्न प्रकार की समस्याओं से अवगत कराया । समस्याओं एवं मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ आष्टा ने एक ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम अनुविभागीय अधिकारी आष्टा को दिया ।

जिसमें मांग की गई कि आजादी के 77 वर्ष पश्चात भी किसानों की स्थिति नहीं सुधरी आज भी किसान शासकीय कार्यालय में भ्रष्टाचार का शिकार होता है एवं सरकार की नीतियों के कारण कृषि उपज की लागत बहुत बढ़ गई है और फसलों के दाम समय पर सही नहीं मिल पाते हैं ।

इसके चलते हुए सभी किसानों ने मिलकर इस बार तय किया कि अबकी बार सोयाबीन 6000 रुपये प्रति कुंटल के पार होना चाहिए तथा कृषि के यंत्रों पर जीएसटी हटना चाहिए । किसान के हित में सही नीति शासन प्रशासन को बनाकर क्रियान्वित करना चाहिए ।

भारतीय किसान संघ जिला अध्यक्ष राकेश वर्मा, जिला मंत्री कमल सिंह यादव, युवा वाहिनी जिला संयोजक सचिन पटेल,मोतीलाल मंडलोई, ईश्वर सिंह आर्य, राम सिंह, ज्ञान सिंह मेवाड़ा,जितेंद्र आर्य, शिवनारायण वर्मा, आत्माराम, राकेश मुक्ति, रामचंद्र पाटीदार, राधेश्याम पाटीदार, भागीरथ पाटीदार,हरि सिंह राजपाल, मांगीलाल, बालू सिंह परमार, राजेश यादव,सज्जन सिंह यादव,

अमित यादव,सिंह कुबेर सिंह, अजय सिंह ठाकुर, मुकेश आर्य, महेंद्र दिनेश आर्य,संतोष आर्य, डॉ महेंद्र आर्य, विष्णु आर्य,सुनील आर्य,आनंद आर्य, ऋषिकेश वर्मा, संजू चौधरी, अरविंद पटेल, संदीप पटेल, ज्ञान सिंह पटेल, मुकेश चौधरी, अखिलेश पटेल, मुकेश चौधरी, बाबूलाल मंडलोई, धर्म सिंह, रमेश आचार्य आदि किसान कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी मौजूद है

“सदसंगति के माध्यम से कर्म कटते व झड़ते हैं — मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज”

सदसंगति के माध्यम से कर्म कटते व झड़ते हैं। चातुर्मास भी पर्व के समान है।जिन बिम्ब के साथ अष्टप्रतिहारियों का भी बहुत महत्व है। पांचों परमेष्ठियों की प्रतिमाएं होती है। अरिहंत परमेष्ठि के 46 गुण होते हैं।46 गुणों से युक्त हमारे परमेष्ठि होते हैं। सभी भगवान हमारे 46 गुणों से युक्त है।गुरुजी का चिंतन अदभुत रहता था। आचार्य भगवंत समय सार से युक्त थें। आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज ने जीवन में कोई भी काम पक्षपात से नहीं निष्पक्ष रूप से किए।जितने शिष्य के नाम रखें वह उनमें गुणों में थे।

किसी भी भगवान के सामने किसी भी भगवान की पूजा की जा सकती हैं। पार्श्वनाथ भगवान के सामने भक्तांबर स्त्रोत पाठ का गायन किया जा सकता है। हे पार्श्वनाथ भगवान आपकी समीपता से कर्मों के बंधन नष्ट होते हैं। तीन लोक के नाथ भगवान के ऊपर पुष्प बरसते हैं,वह पुष्प अलौकिक ,दिव्य व भव्य होते हैं।
उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज एवं नवाचार्य समय सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं।

आपने कहा कि
सदसंगति का बहुत प्रभाव है।सन 1980 में नैना गिर में आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज पहुंचे थे। उन्हें एकांत बहुत पसंद हैं और वह नैना गिर उन्हें बहुत पसंद आया। बीहड़ क्षेत्र को अपनी आराधना का केंद्र बनाया। आचार्य भगवंत ने अपने रुकने की कभी व्यवस्था नहीं देखी। उन्होंने आचरण और उपदेश से मुनि का स्वरूप बताया। मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने कहा दिगंबरात की पहचान बन गए थे आचार्य विद्यासागर महाराज। हम दिखें या न दिखे, हमारा काम दिखना चाहिए।

आचार्य श्री ने अपने संघ के साथ वहां पर चतुर्मास करने का मन बनाया तो समाज के लोगों ने बताया कि यहां पर अनुकूलता नहीं रहेगी ,क्योंकि यहां एक डाकू का भयंकर आतंक है। यह बात जब जब डाकू हरिसिंह को पता चली तो वह आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज के पास कंबल ओढ़े गया और निवेदन किया कि गुरुजी आप यही पर चातुर्मास करें। में क्षेत्र के सभी अजैन की तरफ से विश्वास दिलाता हूं कि किसी भी यात्री की सुई तक चोरी नहीं होगी।आचार्य भगवंत कहते थे कि पाप से घृणा करों,पापी से नहीं ।

अंजन चोर से निरंजन बन गया। कुख्यात, विख्यात डाकू आचार्य भगवंत विद्या सागर महाराज के सानिध्य में आकर अपने जीवन में परिवर्तन ला सकता है तो आप लोग तो भगवान के समीप पूजा – अर्चना करते हैं। मुनिश्री का सानिध्य पाते हैं।फिर भी आपमें परिवर्तन नहीं आया।सदसंगति का प्रभाव डाकू हरिसिंह रास्ता भटके यात्रियों को स्वयं सुरक्षित आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज जहां ठहरें थे ,वहां छोड़ कर आया। कोल्हू के बैल की तरह तों नहीं, सुबह से शाम तक चलने के बाद भी जहां से चले वहीं पर रहा। सदसंगति में रहो,न रहो, बचों दुसंगति से।

You missed

error: Content is protected !!