आष्टा । आज आष्टा अनुविभाग के अंतर्गत आने वाले ग्राम भंवरा में देखने को मिला । ग्राम पंचायत भंवरा में ग्राम में मेला लगाने के लिए भंवरा में स्थापित गायत्री शक्तिपीठ के परिसर की भूमि जिस पर गायत्री शक्तिपीठ द्वारा तार फेंसिंग कर अपनी जमीन को सुरक्षित और संरक्षित किया हुआ है । उसे बिना गायत्री शक्तिपीठ परिवार के सदस्यों एवं समिति से स्वीकृति लिए बिना ग्राम पंचायत भंवरा ने शक्तिपीठ परिसर की कब्जे वाली जमीन की बाउंड्री की तार फेंसिंग तोड़कर उस पर मेला लगाने की तैयारी को अंजाम देना शुरू किया ।
इस दौरान मौके पर उपस्तिथ पटवारी ने कहा उनके पास उक्त फेंसिंग हटाने का तहसील से अतिरिक्त तहसीलदार का आदेश है।
इसको लेकर ग्राम में गायत्री शक्तिपीठ और ग्राम पंचायत आमने-सामने हो गई है । गायत्री शक्तिपीठ के संचालक एवं समिति ने नियमों के तहत सबसे पहले इसकी शिकायत आष्टा एसडीएम श्रीमती स्वाति उपाध्याय को लिखित में कर उक्त जमीन के आधिपत्य एवं राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज खसरा खतौनी की नकल आदि उपलब्ध कराते हुए शिकायत की, की आज प्रातः किस तरह ग्राम पंचायत ने मेला लगाने के लिए गायत्री शक्तिपीठ के अधिपत्य की उक्त जमीन जिसे तार फेंसिंग से सुरक्षित और संरक्षित किया हुआ है,के तारो को तोड़कर उस पर मेला लगाने की तैयारी कर रही है ।
जिस वक्त ग्राम पंचायत ने तार फेंसिग हटाई शिकायतकर्ता ने बताया उस वक्त हल्के का पटवारी भी उपस्तिथ था। मौके पर उपस्तिथ पटवारी ने गायत्री शक्ति पीठ के सदस्यो प्रतापभानु परमार एवं हरिओम परमार को बताया कि उक्त स्थल से तार फेंसिंग हटाने के तहसील से आदेश है। स्मरण रहे हर वर्ष ग्राम पंचायत आज से तीन दिन का मेलाक लगाती है। मेले में जो दुकाने लगती है उन्हें पंचायत दुकाने लगाने के लिये भूमि आवंटित करती है। पंचायत चाहती तो समन्वय स्थापित कर गायत्री शक्ति पीठ परिवार से निवेदन कर तीन दिन के लिये उनके अधिपत्य की उक्त भूमि मांग सकती थी लेकिन ऐसा नही किया।
देखना है यह मामला क्या रंग लाता है । गायत्री शक्तिपीठ के सदस्य प्रतापभानु परमार ने बताया कि गायत्री शक्तिपीठ भंवरा द्वारा इसकी शिकायत आज आष्टा एसडीएम को लिखित में की गई है तथा एसडीएम ने तुरंत कार्रवाई हेतु पटवारी को निर्देश भी दिए हैं । परमार ने बताया कि जब वे शिकायत करने तहसील गये तब एसडीएम मेडम ने उन्हें बताया की यहा से कोई परमिशन नही दी गई है।
तो क्या जारी की गई परमिशन से एसडीएम को अंधेरे में रखा गया है।
अब देखना है गायत्री शक्तिपीठ और पंचायत के बीच यह जो मामला उभरा है क्या रंग लाता है..ग्राम हित एवं ग्राम की अगर वर्षो पुरानी मेला लगने की परंपरा चली आ रही है तो उक्त स्थल पर मेला भी लगना चाहिये और मेले में दुकाने भी लगना चाहिये क्योंकि ये ग्रामीण संस्कृति की पहचान है,ओर इन सहेजी गई पहचानो को एवं संस्कृति की रक्षा की जिम्मेदारी ग्राम की तो है।
निश्चित इस उठे विवाद का दोनों पक्षो को सकारात्मक हल निकालना ही ग्राम हित मे है.! स्मरण रहे ग्राम पंचायत के सरपंच हरिओम परमार एवं सचिव विनोद वर्मा ने तार फेंसिंग हटाने को लेकर पंचायत से एक पत्र तहसील को लिखा था,उस पर ही अतिरिक्त तहसीलदार ने तार फेंसिग हटाने का आदेश एवं स्थगन जारी किया था।