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आष्टा । आष्टा नगर के काछी मोहल्ला स्थित कुशवाह समाज के प्राचीन श्रीराधाकृष्ण मंदिर में तृतीय दिवस पर पंचाग पूजन और मंडप प्रवेश के साथ ही श्री हरिहर यज्ञ आरंभ हुआ ।

यज्ञाचार्य नगरपुरोहित पँ मनीष पाठक सहित वैदिक विप्रजनों ने पंचाग पूजन मंडप प्रवेश की वैदिक विधि मंत्रोच्चारण के द्वारा सम्पन्न कराई गई । सर्वप्रथम गणेश अम्बिका की पूजन कर पुण्यावाचन किया गया

उसके पश्चात समस्त स्थापित देवताओं की स्थापना कर पंचकुंडीय श्री हरिहर यज्ञ प्रारंभ किया गया । तत्पश्चात यज्ञनारायण की आरती कर संकीर्तन के साथ जनसमूह ने परिक्रमा पूर्ण की यज्ञकार्य के पश्चात दोपहर में श्रीमद भागवत माहपुराण के दिवतीय दिवस पर कथाव्यास

नगरपुरोहित पँ डॉ दीपेश पाठक के द्वारा विदुर के सुंदर चरित्र का वर्णन करते हुए कहाँ की जिनके हृदय भक्तिरस में निमग्न है वहां की भूमि तीर्थ के स्वरूप में हो जाती है श्रीकृष्ण का ध्यान करने से मन शुद्ध होता हैं सत्संग ही इस तीर्थ है जिसमे स्नान करने से मन का मेल धुलता है विदुर ने घर त्याग दिया

और हस्तिनापुर में गंगा तट पर कुटी बनाकर अपनी पत्नी के साथ रहने लगे पति पत्नी पूरे दिन प्रभुभक्ति कर नित्य प्रतिदिन ठाकुरजी के सम्मुख संकीर्तन कर कथा का रसपान करते रहिस विश्वास के साथ कि मेरे ठाकुर जी मेरे घर पधारेंगे और मुझे दर्शन देगे इस प्रकार प्रभु भक्ति एवं भाव से प्रसन्न होकर विदुर जी को दर्शन देते हैं

यह सुंदर चरित्र के साथ शिव पार्वती विवाह का सुंदर वर्णन कर शिव बारात की झांकी के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया आंत में महापुराण की आरती की गई और प्रसाद का वितरण किया गया

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