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सीहोर जनपद पंचायत परिसर में किया गया अतिक्रमण प्रशासन द्वारा हटाया गया,बड़ा प्रश्न किसके आशीर्वाद से हुआ था अतिक्रमण उस पर कब और कौन करेगा कार्यवाही.?
सीहोर जनपद पंचायत परिसर की शासकीय भूमि पर पक्का आवास बना कर अतिक्रमण किया गया था । जिसने ये अतिक्रमण किया था उसकी दबंगता को इंकार नही किया जा सकता,जिसने जनपद की जमीन पर,जनपद परिसर में,जनपद के जिम्मेदारों की नाक के नीचे इतना बड़ा पक्का अतिक्रमण कर लिया और सब चुप रहे.?

शायद कार्यवाही के लिये आचार संहिता लगने का इंतजार किया जा रहा था । उक्त किए गए अतिक्रमण को सीहोर तहसीलदार सुश्री रिया जैन और राजस्व निरीक्षक नजूल श्री भिलाला अपने राजस्व एवं नगरपालिका अमले के साथ दोपहर से रात्रि 10 बजे तक जनपद परिसर में

अतिक्रमणकर्ता श्री देवेंद्र जोशी आत्मज राधेश्याम जोशी द्वारा निर्मित आवास खाली कराया गया । खाली कराए गए आवास को जनपद पंचायत सीहोर के खण्ड पंचायत अधिकारी के सुपुर्दगी में सौंपा गया।
अब आगे की कार्यवाही का इंतजार है.?

“स्पोर्ट्स टैलेंट टेस्ट का आयोजन।

आष्टा । विकास खंड के मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल में कक्षा पहली से आठवीं के मध्य अध्यनरत विद्यार्थियों का शासन की योजना अंतर्गत शारीरिक दक्षता के आधार पर तथा विधार्थी उपयुक्त खेल का चयन कर इसी क्षेत्र में वह अग्रसर हो। इस हेतु स्पोर्ट्स टैलेंट टेस्ट का आयोजन किया जा रहा है। विकासखंड शिक्षा अधिकारी अजबसिंह राजपूत ने बताया कि विकासखंड के शासकीय माध्यमिक शालाओं के आयु वर्ग 8 से 13 वर्ष के मध्य अध्यनरत विद्यार्थियों को इसमें शामिल किया गया है।

जिसके अंतर्गत बच्चों को समझने हेतु उनकी वास्तविक क्षमता को समझना,उनकी कुल क्षमता जिसमें शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक तथा तकनीकी समझ आदि पहलुओं को समझकर विकसित रूप से आगे बढ़ना है ।इस अवसर सी एल पेठरी (प्राचार्य माडल स्कूल)मो सितवत खान (प्राचार्य सी एम् राइज), मो अक़बर सिद्दीक़ी,डी एस मांडवा, प्रफुल्ल परमार,उपस्थित थे।

“श्रावक भगवान, देव, शास्त्र एवं गुरु में अटूट आस्था रखें — मुनिश्री भूतबलि सागर महाराज
हम समय के दुष्प्रभाव से निरोगी नही रोगी होते जा रहे है– मुनि सागर महाराज”

श्रावकगण भगवान ,देव ,शास्त्र एवं गुरु में अटूट आस्था रखकर धर्म आराधना करेंगे तो पुण्य अर्जन होगा।हम समय के दुष्प्रभाव से निरोगी नहीं रोगी होते जा रहे हैं। अंग्रेजों ने फूट डालकर भारत में शासन किया,बाद में देश को महापुरुषों एवं देश भक्तों ने देश को आजाद कराया। परिवार को देखते हुए धर्म आराधना करें। जैन धर्म खुली किताब के समान है। समाज व परिवार में एकजुटता रहना चाहिए। सभी को धर्म -कर्म से जोड़ों। ज्यादा खाने वाले मर रहे हैं,कम खाओं और दूसरे को भूखा नहीं रहने देवें।

उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर विराजित पूज्य गुरुदेव मुनिश्री भूतबलि सागर महाराज एवं मुनि सागर महाराज ने नंदीश्वर द्वीप महामण्डल विधान के अवसर पर आशीष वचन देते हुए कहीं। मुनिश्री ने सभी को जोड़ने का आव्हान किया। मुनिश्री भूतबलि सागर महाराज ने कहा पूजा आप लोगों के लिए है। नंदीश्वर द्वीप में 52 मंदिर है। श्रावक भगवान,देव शास्त्र और गुरु में अटूट श्रद्धा रखते हुए उनके जैसे बनने की चाहत रखते हैं। गृहस्थ वह है जो घर गृहस्थी का काम करते हैं। गर्मी की अष्टान्हिका है इसमें क्षमा रुपी अग्नि जलाकर माफी करना,मन में जो कषाय है उसे जलाना है। भगवान जैसे बनने का प्रयास करें।भोग की वस्तु को त्यागकर पुण्य अर्जन करें।

संयम आएगा, कर्म नाश होगा। ऐसे भाव रखें,लोग रुढ़िवादिता को छोड़े। पूजा के समय नमः बोलें,स्वाह नहीं। बुराई ग्रहण नहीं करें, अच्छाई ग्रहण करें।इस अवसर पर पूज्य मुनि श्री मुनि सागर महाराज ने अपने प्रवचन में बताया कि आज आपकी नन्दीश्वर द्वीप भक्ति पूजन का आधा भाग पूर्ण हुआ है। धीरे-धीरे यह पूर्णता को प्राप्त होगा। यह पर्व हमें समय- समय पर जगाने आते है। पर्व समाप्ति के बाद सोना नही सजग रहना ओर जीवन को जीने का ढंग बदलना तभी पर्व को मनाने की सार्थकता होगी । मुनि सागर महाराज ने आगे कहा यह संसार है, यह असार है। अभी यहां है, कल कही ओर रहना होगा ।यह पंच प्रावर्तन अनादिकाल से चलता आ रहा है ।भोगो में रहने के कारण धर्म करने में मन नही लगता है। अपनी जीवन रूपी पतंग को संभाल कर उड़ाना, कही कट न जाये। अपनी सयंम रूपी डोर प्रेम ओर प्यार की डोर से इसे बांधे रखना।

संभाल कर रखना कहीं यह जीवन निंद्रा गति में न चले जाये।संयुक्त परिवार में मिलकर रहने से एक दूसरे सभी मिलकर धर्म ध्यान में मन लगा सकते है।समय के दुष्प्रभाव से हम निरोगी नही रोगी होते जा रहे है ।जब तक मन है तब तक पूजन है ।जैसे इस शरीर को रखने के लिए शुद्ध भोजन की जरूरत है, उसी प्रकार इस मन को शुद्ध रखने के लिए जिनेंद्र भगवान की पूजन की जरूरत है।हम लोग मात्र छोटा बड़ा कम ज्यादा में उलझे हुए है ,संगठित नही हो पा रहे है ।समाज मे एक नही हो पा रहे है ।रामायण पड़ने के बाद भी हममें परिवर्तन नही हो पा रहा है ।आप लोगो के भाग्य है, दो भाई मिलकर रहते हो आज के समय मे सबसे बड़ा आश्चर्य है ।धर्म अपने लिए होता है ओर अपने को ही करना होता है ,अपने कल्याण हेतु होता है।

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