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आष्टा । रविवार की प्रातः काल भोर की बेला में वैराग्य मय समाचार प्राप्त हुआ की आचार्य श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज का छत्तीसगढ़ के चन्द्रगिरी डोंगरगढ़ में समाधि मरण हो गया है । उक्त खबर से पूरे नगर में शोक की लहर व्याप्त हो गई ।

जन जन का गला रुंध गया,आष्टा नगर के दिव्योदाय जैन तीर्थ किला पर विराजित पूज्य मुनि भूतबलि सागर जी महाराज, संघस्थ मुनि श्री मुनि सागर महाराज ने कहा कि आज अचानक ही समाचार मिला कि आचार्य श्री हम सब के बीच नही रहे,हम सभी स्तब्ध रह गए ।

जाना सभी को हे पर ऐसी भव्यात्मा हम सब के बीच से इतनी जल्दी विदा होगी पता नही था । बारह भावनाओ में लिखा गया है लाखो वर्षो तक जिउ या म्रत्यु आज ही आ जाये । वे राष्ट्रीय सन्त थे ।जैन, ही नही जेनेत्तर के सन्त थे । जन जन के संत थे ।

जिनके दिलो में बसते है ऐसे थे हमारे आचार्य श्री । पर्याय का ठिकाना नही,राग रंग में हम इतने व्यस्त है कि हमे वीतरागता की पहचान नही हो रही है ।यह जिन शासन है जहां मृत्यु भी महोत्सव के रूप में मनाई जाती है ।

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घर से पिता चले जाते है घर खाली खाली हो जाता है,कोई भी कार्य करते थे ,सोच विचार के करते थे,उनके शिष्य भी कोई काम करते तो कहते थे गुरु कृपा से सब काम हो रहा है । ऐसे आचार्य शिरोमणि का आज समाधि मरण हुआ है । उन्होंने अपने पुद्गल मय शरीर को त्यागकर ब्रम्हतत्व मे लीन होकर अपना मार्ग प्रशस्त किया है ।

बोधि समाधि परिणाम सुद्धि बोधि के साथ अपने परिणामो को सम्हाल कर रखना चाहिए । ये मानसिक संकल्प लेकर चलने वाले भव्य जीव इस धरती पर बहुत।अल्प ही होते है,मानसिक रोग वाले बहुतायत में पाए जाते है ।

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आधि,व्याधि, उपाधि, प्रतिपल करो समाधि,आचार्य श्री जी पिछले तीन दिनों से संघ के सभी साधुओ से क्षमा मांग रहे थे ये सब अंतिम समय मे ही होता है सबको क्षमा सबसे क्षमा,पर्याय को देखेंगे तो आंसू निकलेंगे,द्रव्य की दृष्टि से देखेंगे तो आँसू सुख जाएंगे ।


आचार्य श्री जी का पूरा का पूरा परिवार ही संस्कारमय हो गया ,सभी भव्य जीवो ने एक साथ एक ही घर मे जन्म लिया था जब एक जैन आचार्य श्री का अपनी आत्मा में डूबना हुआ,वे तो अपनी आत्मा में लीन होकर अपने मार्ग को प्रशस्त हो गए।

हमे भी उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चल कर अपने मार्ग को धन्य करना चाहिए, जो जो भी मार्ग उन्होंने बताया है उसका अनुशरण प्रति पल हमे करना चाहिए,हमको भी नेमावर में आचार्य श्री के दर्शन एवं भेंट करने का सौभाग्य मिला था उस दौरान उनसे करीब से आशीर्वाद हमे मिला था


भारत मे आज मृत्यु महोत्सव मनाया है,म्रत्यु तो सभी की होती है महापुरुष कम भी जीते है हार बन जाते है कलश बन जाते है ऐसे होते है महापुरुष, आचार्य श्री की आत्मा ब्रम्ह में लीन हो गई है ।


पूज्य आचार्य श्री जी को समाज की ओर से विनयांजलि भेंट करने हेतु आज वैराग्य सभा का आयोजन आज प्रातः 8:30 बजे किला मंदिर में रखा गया है ।

जिसमे गुरु भक्त अपने अपने संस्मरण सुनाएंगे।
समाज के अध्यक्ष आनंद जैन महामंत्री कैलाश जैन ने समस्त समाज जनो से विनयांजलि वैराग्य सभा मे अधिक से अधिक सँख्या में पधार कर धर्म लाभ अर्जित करने की अपील की गई है ।

आधा झुकाया गया राष्ट्रीय ध्वज,नपा ने दी श्रद्धांजलि

आचार्य श्री विद्यासागर जी के देवलोक गमन पर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा आधे दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया । राज्य शासन के आदेशानुसार भोपाल नाका महाराणा प्रताप चौराहे पर लगे जिले के सबसे ऊंचे एवं बड़े राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया गया इस प्रक्रिया को नपा में अध्यक्ष प्रतिनिधि रायसिंह मेवाडा ने पूर्ण की ।

तथा भोपाल नाका महाराणा प्रताप चौराहे पर नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि रायसिंह मेवाडा,मुख्य नगर पालिका अधिकारी राजेश चौहान, जिला भाजपा के मीडिया प्रभारी सुशील संचेती,नपा में अध्यक्ष प्रतिनिधि भुरू भाई, पार्षद रवि शर्मा,कल्लु मुकाती,


पत्रकार कमल पांचाल,हरीश शर्मा सहित नगर पालिका के कर्मियों जनप्रतिनिधियों नागरिक गणों ने 2 मिनट का मौन रखकर परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी के देवलोक गमन पर श्रद्धांजलि अर्पित की ।

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