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सीहोर । अवैध कालोनियों पर बुलडोजर चला कर,सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटा कर प्रशासन भले ही आज अपनी पीठ खुद थपथपा ले लेकिन इसके पीछे जो सच्चाई है उसे भी वरिष्ठ अधिकारियों को संज्ञान लेना होगा।

आज जो अवैध कालोनियां कटी है,धीरे धीरे वे विकसित हो गई,प्लाट कट गये, प्लाट बिक गये,प्लाटों पर मकान तक बन गये । जब ये कालोनी कट रही थी,प्लाट बिक रहे थे,प्लॉटों की रजिस्ट्रियां हो रही थी,उन रजिस्ट्रियों का नामान्तरण हुआ इतने चरण की कार्यवाही के दौरान जिम्मेदार कहा थे.? ये घुँघरू जो बजते भले ही ना हो पर सुनाई जरूर देते है।


ये तो हुई अवैध कालोनियों की बात। आइये आज आपको एक ओर घुँघरू की बिना बजे आवाज सुनाते है। खबर के अंदर से निकाली गई एक बड़ी खबर सूत्रों के हवाले से आई है। आज जिला जनसंपर्क कार्यालय से एक खबर “दूसरे दिन भी अवैध कॉलोनी पर चल बुलडोजर,जेसीबी से चांदबड़ में हटाया गया शासकीय भूमि से अतिक्रमण

“शीर्षक से रिलीज हुई। खबर आज की गई कार्यवाही की है जिसमे सीहोर जिले के श्यामपुर के ग्राम चांदबड़ में एक सरकारी जमीन पर किये गये अतिक्रमण को जिसमे दो दुकान ओर दो मकान बने थे पर भारी पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों की उपस्तिथि में जेसीबी के पंचे ने नेस्तनाबूत कर सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करा लिया।

प्रशासन के अनुसार इस सरकारी जमीन पर ग्राम के प्रेमसिंह आत्मज सजनसिंह का अतिक्रमण था। जबकि इस खबर के अंदर एक बड़ी खबर छुपी थी। जो छुपी खबर थी वो इस जमीन की कहानी कुछ और ही बताई गई।

सूत्रों ने बताया की आज प्रशासन पुलिस ने उक्त जमीन से अतिक्रमणकर्ता से अतिक्रमण हटा कर मुक्त कराई वो तो इस जमीन पर अतिक्रमण करने वाला नही वरन इसने तो उक्त जमीन को खरीदी थी।

अतिक्रमणकर्ता तो कोई और था,वो इस जमीन को वर्तमान काबिज व्यक्ति को उक्त जमीन बेच कर कही चला गया है। सूत्रों ने बताया की इस सरकारी जमीन पर जिसने अतिक्रमण किया था उसने वर्तमान काबिज व्यक्ति को उक्त सरकारी जमीन बेच दी और बेच कर पहले वाला अतिक्रमणकर्ता बताया गया अब भोपाल में रहता है।

खबर है की आज जिस सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाया गया उसका खसरा नम्बर 33/1 है इस सरकारी जमीन को स्कूल के लिये प्रस्तावित की गई है क्योंकि ग्राम चांदबड़ जागीर में वर्तमान में जिस स्थान पर स्कूल है वो डूब क्षेत्र में जा रहा है। इसलिये अब नया स्कूल इस मुक्त कराई जमीन पर बनेगा।

ये घुँघरू जो बजते भले ही ना हो,पर सुनाई तो देते है,बस सुनने वाला चाहिये…

अब बड़ा प्रश्न यह की पहला अतिक्रमणकर्ता कौन था.?,उसने इस सरकारी जमीन को कैसे वर्तमान काबिज को बेची,बेची तो क्या इस अवैध खरीद फरोख्त की कोई लिखा पढ़ी है या सब कुछ बाले बाले मतलब “तेरी भी चुप-मेरी भी चुप” की तर्ज पर तु भी खुश रह ओर मुझे भी खुशी खुशी जाने दे का खेला हुआ है.! पहले पक्ष से लेकर दूसरे पक्ष तक जो कुछ हुआ ऐसा तो कही से हो ही नही सकता है कि इस अंतराल के कार्यकाल में जो भी इस हल्के का

पटवारी,आरआई,नायब तहसीलदार,तहसीलदार रहे हो उन्हें इस जमीन को लेकर शुरू से लेकर खरीदी तक जो कुछ भी हुआ उसकी भनक ही नही लगी हो.?

उम्मीद ओर आशा की किरण-श्री प्रवीण सिंह कलेक्टर

ये सब जांच के विषय है,ओर इसकी जांच अगर कोई करा सकते है तो वे है इस जिले के संवेदनशील कलेक्टर श्री प्रवीण सिंह जी..
इसे कहते है खबर में से खबर अर्थात ये घुँघरू जो बजते नही है पर सुनाई जरूर देते है…!

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