Spread the love

आष्टा। परस्पर सहयोग से जीवन यापन भारत की संस्कृति का अंग है विदेशों में संयुक्त परिवार की अवधारणा नहीं है संयुक्त परिवार सांस्कृतिक मूल्य का उदाहरण होते हैं नारी संयुक्त परिवार का महत्वपूर्ण अंग है  भारतीय संस्कृति में नारी ऊर्जा का स्रोत कही गई है। मर्यादा नारी का आभूषण है मां ही प्रथम गुरु है तीर्थंकरों से लेकर सभी महापुरुषों की जननी भाग्यशाली नारी ही होती है। माता मरुदेवी का पुण्य ही था जो उनके गर्भ से तीर्थंकर भगवंत का जन्म हुआ।


वर्तमान  परिवेश में नारी का शिक्षित होना बहुत जरूरी है मातृशक्ति ही परिवार समाज और धर्म की आराधना की कारक होती है, हमारे धर्म ग्रंथ पुरुषों के लोक व्यवहार नारी की उत्कृष्टता और ज्येष्ठ पुत्रों के त्याग से भरे पड़े हैं। धर्मग्रन्थो और पौराणिक आख्यानों से प्रेरणा ले कर हमें अपनी अगली पीढ़ी को दुर्व्यसनों से बचाने का उपक्रम करना चाहिए।

यह हमारा दायित्व है कि परिवार में विवाद, विषाद, विद्रोह, विरोध और क्रोध को समाप्त करके बच्चों में विनय विवेक और वात्सल्यता के गुण सीखाएं। इस आशय के प्रवचन आज गर्भ कल्याणक महोत्सव के अवसर पर धर्मसभा में मुनि अजित सागर जी महाराज और संघस्थ एलक विवेकानन्द सागर और दया सागर जी ने व्यक्त किये ।
पंच कल्याणक महोत्सव के चलते ग्राम मैना में उल्लास, धर्म प्रभावना और दिव्यता का वातावरण बन गया है। विशिष्ट अतिथियों और आसपास के श्रद्धालुओं का आगमन भी जारी है। महोत्सव परिसर को अयोध्या नगरी की संज्ञा दी गई है। ग्राम में बने भव्य नवीन मन्दिर और स्वर्णयुक्त वेदी में जयपुर से मंगाई गई मनोज्ञ प्रतिमाओं की स्थापना प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत की जाएगी ।


पंच कल्याणक में क्रमशः गर्भ, जन्म, तप, कैवल्य ज्ञान और मोक्ष कल्याणक की क्रियाएं शामिल होती हैं। सभी कल्याणक नियम संयम धारण कर इंद्र -इंद्राणियों एवम संकल्पवान पात्रो द्वारा मुनि महाराज एवम प्रतिष्ठाचार्य के निर्देशानुसार की जा रही है ।
गुरुवार को भगवान के गर्भकल्याणक महोत्सव की उत्तरीय क्रियाएं विधि विधान से सम्पन्न हुईं। मुनि श्री अजित सागर जी महाराज, संघस्थ एलक द्वय विवेकानन्द सागर जी एवम दयासागर जी के दिव्योपदेश के बाद प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी विनय भैया ने सीमांतनी क्रियाओं के लिए निर्देश दिए। भगवान की माता की गोद भराई आदि रस्में सम्पन्न हुईं ।
आज प्रातः अभिषेक, एवम मंगल कामनाओं के साथ शांति धारा की गई। भगवान के गर्भकल्याणक पूजन एवम शांति हवन के बाद मुनिश्री के प्रवचन हुए।


समारोह स्थल पर सांयकाल में गुरु भक्ति, शास्त्र प्रवचन और आरती में श्रावक गण ने उत्साह से भाग लिया ।
रात्रि में सांस्कृतिक मंच पर भगवान के पिता महाराज नाभिराय के आगमन, नृत्य गीत और छप्पन कुमारियों द्वारा माता मरुदेवी को भेंट समर्पण, स्वप्न फलादेश और धार्मिक प्रश्नोत्तर का मंचन किया गया।

आष्टा हैडलाइन की अपील,”दो गज की दूरी-मास्क है जरूरी”


क्षेत्रीय विधायक रघुनाथ सिंह मालवीय, पूर्व नपाध्यक्ष कैलाश परमार के साथ ही प्रशासकीय एवम पुलिस अधिकारियों एवम अन्य विशिष्ट जन ने भी कार्यक्रम में शामिल हो कर मुनि अजित सागर जी महाराज से आशीर्वाद लिया वहीं कार्यक्रम में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। क्षेत्रीय विधायक ने मुनिश्री को शास्त्र भेंट किये वही पूर्व आष्टा नपाध्यक्ष कैलाश परमार ने आचार्य विद्यसागर जी महाराज के चित्र का अनावरण किया। समिति अध्यक्ष मयूर जैन और मैना समाज अध्यक्ष राजेश जैन ने समिति सदस्यों के साथ नेताद्वय का बहुमान किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed

error: Content is protected !!