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आष्टा। द्वितिय अपरसत्र न्यायधीश श्री कंचन सक्सेना के न्यायालय द्वारा आरोपी नरेन्द्रसिंह ठाकुर पिता रूपसिंह ठाकुर निवासी अतरालिया जावर को भारतीय दंड विधान की धारा 467 मे तीन वर्ष का कारावास एवं 4 हजार रूपयें जुर्माना एवं धारा 468 में 2 वर्ष की सजा एवं दो हजार रूपयें जुर्माना से दंडित किया गया।


अपरलोक अभियोजक विजेन्द्रसिंह ठाकुर के बताये अनुसार घटना इस प्रकार है कि थाना पार्वती के थाना प्रभारी प्रवीण जाधव को दिनांक 13 मई 2021 में दैनिक समाचार पत्र एवं सुत्रो से ज्ञात हुआ कि स्थानीय सरकार मेडिकल स्टोर मालीपुरा जोड आष्टा द्वारा रेमडेंसीविर इंजेक्शन (बायल) को अत्याधिक दामो पर बेचकर लोगो के साथ छल कर आपदा के समय जीवन रक्षित दवाई की काला बाजारी कर अवैध लाभ कमाया जा रहा है।

सीहोर के औषधी निरिक्षक द्वारा भी रेमडेंसीविर इंजेक्शन (बायल) की काला बाजारी के संबंध में लिखित आवेदन जांच हेतु प्रस्तुत किया गया। आवेदन को दृष्टिगत रखते हुए एसडीपीओ मोहन सारवान, एसडीएम आष्टा, स्थानीय बीएमओ, डाक्टर, तहसीलदार, पटवारी आदि की टीम गठित की जाकर सरकार मेडिकल स्टोर मालीपुरा आष्टा, महादेव अस्पताल आष्टा, लाईफ लाईन अस्पतााल आष्टा, देवश्री अस्पतााल जावर जोड, डे.केयर अस्पताल एवं अन्य पृथक पृथक अस्पतालो जी जांच की गई थी।

जांच के दौरान मेडिकल र्स्टोस के संचालक शेषपाल ठाकुर, जयदीप ठाकुर एवं राकेश राजपूत, विनित सिंगी से पुछताछ कर उनके कथन लिए गये। सरकार मेडिलक स्टोर एवं अन्य अस्पतालो का निरिक्षण टीम द्वारा किया जाकर रेमडेंसीविर इंजेक्शन (बायल) की खरीदी बिक्री एवं अन्य उपयोग का रिर्काड चेक किया गया।

स्थानीय मेडिकल ऐजेंसी के संचालक विनित सिंगी से रेमडेंसीविर इंजेक्शन (बायल) की खरिदी बिक्री एवं स्टाक के दस्ताबेज चेक कर सत्यापित छायाप्रति प्राप्त की गई। आवेदन के जांच पर कथनो से तथ्य प्रकाश में आया कि स्थानीय सरकार मेडिकल स्टोर के संचालक शेषपाल ठाकुर एवं जयदीप ठाकुर के द्वारा कोरोना से पीडित मरिज का अंटेडर बनकर स्थानीय मीत मेडिकल से रेमडेंसीविर इंजेक्शन (बायल) प्राप्त कर अपने साथी राकेश राजपूत तथा संदीप महेश्वरी के माध्यम से से अत्याधिक दाम पर विक्रय कर अवैध लाभ अर्जित किया।

प्रथम दृष्टया अपराध धारा 269,270,420,34 भारतीय दंड विधान तथा आपदा प्रबंधंन अधिनियम, महामारी अधिनियम, आवश्यक वस्तु अधिनियम ड्रग कंट्रोल एक्ट का अपराध पाये जाने पर आरोपीगण के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्व किया गया। आरोपी नरेन्द्र ठाकुर द्वारा झुठे दस्तावेज दवाई संबंधित पर्चे तैयार किये गये थे, इस पर से भारतीय दंड विधानी की धारा 467,468 का इजाफा हुआ था।

पुलिस थाना पार्वती द्वारा प्रकरण जांच में लिया गया एवं अनुसंधान उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। अभियोजन द्वारा साक्ष्य कराई गई। दोनो पक्षों की बहस सुनने के उपरांत आरोपी नरेन्द्रसिंह ठाकुर को शेषन न्यायाधिश श्री कंचन सक्सेना द्वारा दोषी पाते हुए तीन वर्ष की सजा एवं 6 हजार रूपयें के अर्थदंड से दंडित किया गया। शासन की ओर से पैरवी अपरलोक अभियोजक विजेन्द्रसिंह ठाकुर द्वारा की गई।

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