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आष्टा। पूर्वोत्तर भारतीय समाज के लोगों द्वारा छठ पूजा पर्व मनाया गया । पर्व के तहत रविवार को शाम को पार्वती नदी किनारे डूबते सूरज को अर्ध्य देकर पूजा -अर्चना की गई ।
आज सोमवार को प्रातः उगते सूर्य को अर्ध्य के साथ ही छठ पर्व का विधि विधान,धार्मिक क्रियाओं के साथ समापन हुआ। बिहार, उत्तर प्रदेश सहित पूर्वोत्तर राज्यों में छठ पूजा मनाई जाती है। 4 महा शुभ योगों में छठ पर्व मनाया गया।

लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का चार दिवसीय महापर्व शुक्रवार को पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में धृति योग, बुद्धादित्य योग और रवि योग में नहाय-खाय की रस्म के साथ शुरू हुआ । इस दिन श्रद्धालुओं ने घर में साफ-सफाई कर पूजा की तैयारियां की। नगर में भी पार्वती नदी किनारे पहुंचकर महिलाओं ने परिवार सहित धार्मिक विधि -विधान से पूजा- अर्चना कर डूबते एवं उगते सूर्य को अर्ध्य दिया। छठ महापर्व का आज सोमवार को सुबह उगते सूर्य को अर्ध्य देकर समापन किया गया।


अंबूनाथ पांडे ने बताया कि छठ व्रत करने वाले परिवार में गाय के दूध और गुड़ चावल से बनी खीर व रोटी बनाकर पहले धार्मिक विधि- विधान से छठी मैया का पूजन हवन किया गया ।इसके बाद सबसे पहले व्रत करने वाले लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया ,उसके बाद परिवार व आस-पास के लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।

व्रत करने के दूसरे दिन इस पूजन को करना “पूजा खरना” कहा जाता है। इस पूजन के बाद व्रत करने वाले लोगों ने 36 घंटे का निर्जला उपवास भी किया। व्रत करने वाले 36 घंटे तक बिना कुछ खाए पिए सबसे पहले पार्वती नदी के तट पर पहुंचे और डूबते सूर्य को को अर्ध्य दिया। इसके बाद आज सोमवार को सुबह उगते सूर्य को अर्ध्य देने के साथ ही छठ महापर्व का समापन हुआ ।

“अर्ध्य अर्पित कर खुशहाली के लिए की प्रार्थना”

नगर में भी बिहार ,उत्तर प्रदेश सहित पूर्वोत्तर राज्यों के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। हर वर्ष पार्वती तट पर आकर छठ महापर्व पर पूजा- अर्चना करते हैं। आज भी समाज जन पार्वती तट पर पहुंचे और डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया और महिलाओं ने सबकी खुशहाली के लिए प्रार्थना की। छठ पूजा का महापर्व गजकेसरी योग, बुद्धादित्य योग, गद योग और सर्वार्थ सिद्धि योग में छठ पर्व मनाया गया।

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