आष्टा। तीन दिवसीय शरद पूर्णिमा महामहोत्सव के अन्तर्गत आज सुबह से ही किला मंदिर प्रांगण गुरु भक्तों से खचाखच भरा गया था ।प्रातः काल शुभ बेला में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की संगीतमय महामांगलिक पूजन की गई व पूज्य मुनि संघ के श्रीमुख से विशेष व्याख्यान हुए ।दोपहर में नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए प्रभावना शोभायात्रा निकाली गए व नगर में मिठाई वितरण कर नगर वासियों को आचार्य भगवंतों के अवतरण दिवस व शरद पूर्णिमा पर्व की बधाई दी गई।
आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज एवं नवाचार्य समय सागर महाराज के अवतरण दिवस पर मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज, मुनिश्री निष्कम्प सागर महाराज एवं मुनिश्री निष्काम सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहा कि आपकी योग्यता और प्रखर प्रतिभा ने आपके गुरु ज्ञान सागर महाराज को इतना अधिक प्रभावित किया कि उन्होंने आपको सीधी मुनि दीक्षा देने का निश्चय किया। आपसे पहले कोई भी युवा अवस्था में सीधी मुनि दीक्षा नहीं ली। पारखी ज्ञानसागर महाराज ने अपने ज्योतिष निमित्त ज्ञान से समझ गए कि यही वह देदिव्यमान नक्षत्र है जो श्रमण धर्म संस्कृति को सुरक्षित व जीवित करेगा। भगवान महावीर स्वामी,कुंद – कुंद के मार्ग को सुरक्षित करेगा। कठोर साधना,तप का जीवन
मुनिश्री निष्कम्प सागर महाराज ने कहा आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज की चर्या में चतुर्थ कालीन मुनि चर्या के दर्शन होते हैं।
पंचम काल का प्रभाव भी,आपकी कठोर तप चर्या पर कोई प्रभाव नहीं डाल सका।पंचम काल में आश्चर्य करने वाली तप, त्याग,संयम और कठिन साधना से भरी आपकी दुर्लभ जीवन चर्या,आभा मंडल सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है। सभी धर्म के लोग, विदेशी लोग भी आपका आशीर्वाद प्राप्त कर धन्य मानते हैं। आपने साहित्य और कृतियां थी। हिंदी में 525 ग्रंथों का पद अनुवाद किया कई संस्कृत भाषा की रचना की ।आपके द्वारा रचित सर्वाधिक चर्चित और प्रसिद्ध मूकमाटी महाकाव्य ने साहित्य जगत में धूम मचा दी। अनेक विद्वानों ने मूकमाटी महाकाव्य पर डी लीट, एम फिल शोध प्रबंध रिसर्च पेपर लिख चुके हैं। आपने जहां एक और अपनी आत्मा के कल्याण के लिए युवावस्था में संयम पद पर अपने कदम बढ़ा दिए पर कल्याण की भावना से अन्य भव्य जनों को भी मोक्ष मार्ग के पथ पर अग्रसर किया।
आप ऐसे युग दृष्टा, महापुरुष, संस्कृति के रक्षक,राष्ट्रप्रेमी, राष्ट्र चिंतक महान संत थे। आपने धर्म के साथ देश के लिए भी सराहनीय भूमिका रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आपकी समाधि पर कहा था कि इस देश को मार्गदर्शन करने वाला चला गया, में अब किससे मार्गदर्शन लूंगा। प्रतिभा स्थली को आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज ने उच्च संस्कार और शिक्षा के लिए पुरानी गुरुकुल पद्धति प्रतिभा स्थली की स्थापना कई जगह की।
जहां पर काफी पढ़ी लिखी बहने बच्चियों को भारतीय संस्कारों के साथ उच्च शिक्षा प्रदान कर रही है।इसी प्रकार हाथकरधा को बढ़ावा दिया।गांधीजी की भावना को साकार करते हुए जनकल्याण के लिए हाथकरधा, चलचरखा,अपनापन जैसे अनेक कार्यों की प्रेरणा व आशीर्वाद दिया। जिन लोगों के बारे में कोई नहीं सोचता, जिन्होंने अपराध किया उन सभी के कल्याण हेतु तिहाड़ जेल, सागर, मुरादाबाद आदि स्थानों की जेल में हाथकरधा प्रारंभ किया।
जैन संस्कृति की रक्षा के प्रयास आपने किए।पाषाण के बने जिनालय भविष्य में अधिक समय तक सुरक्षित रहेंगे।इसी उद्देश्य से अनेकों जगह पाषाण के जिनालय का निर्माण कराया। प्राचीन परंपरा को पुर्नजीवित किया।कई जगह नये तीर्थो की स्थापना की। अनेक प्राचीन जिनालय क्षेत्रों का जिर्णोद्धार कराया। भाग्योदय तीर्थ सागर में स्थापना की। वहां के अस्पताल में हजारों लोग लाभान्वित हो रहे हैं। जिनशासन की शान आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज थे।मुनिश्री निष्काम सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहा कि जो व्यक्ति समय को नहीं समझता समय उसके साथ नहीं रहता है।
इस धरती पर एक महापुरुष ने जन्म लिया और दूसरे महापुरुष समय सागर महाराज ने भी शरद पूर्णिमा पर जन्म लिया।पूरी दुनिया नाम,पद आदि के लिए लालायित रहती है। लेकिन आप दोनों ने पद और नाम को महत्व नहीं दिया।दो-दो शरद पूर्णिमा के चंद्र ने गुरु पूर्णिमा पर जन्म लिया था। मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहा कि नगर में धर्म प्रभावना के निमित्त से शोभायात्रा निकालकर संदेश दिया कि आज के दिन दो विभूतियों ने जन्म लेकर हमारे मार्ग को प्रदर्शित किया। आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज ने 55 वर्ष से अधिक संयम की यात्रा की। बिना नियम व्रत के मनुष्य का जीवन पशु के समान है। गुरु ने अपने गुरु के ह्रदय में विशेष स्थान बनाया । आज हम धर्म के मर्म को समझ रहे हैं वह आचार्य विद्यासागर महाराज की देन है। जीवन सीमित है उसका उपयोग कैसे करना है यह आप पर निर्भर हैं।
मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने कहा महावीर वह काम कर गये कि आज भी महावीर को लोग याद कर रहे हैं।प्रेम से रहो नहीं तो फ्रेम में तो लगोगे।फ्रेम में तो रहना ही है।ऐसे कार्य करें,जिससे समाज पर प्रभाव पड़े। धन, सम्पत्ति और धर्म छोड़ भी नहीं पा रहे थे। जिसके माता-पिता ने संस्कार दिए वह परिस्थिति से समझौता नहीं करते हैं।आज समाज की युवतियां व महिलाएं दुनिया के सामने और बाजार में नाच रही हैं, लेकिन नहीं नाचना चाहिए।शील,गुण का पालन करें ।फास्ट फूड आ गया, पहले चौके में आलू -प्याज नहीं आता था।आज आपकी संस्कृति कहा जा रही है।आज पैसे का महत्व, सिद्धांत को मिट्टी में मिला दिया। आज कैसी संस्कृति और संस्कार है, कहां जा रहे लोग।आज लोकतंत्र है आराम से जी पा रहे हो।
विपरित परिस्थितियों में समझौता नहीं किया और आज आप समझोता करते फिर रहे हैं। संस्कृति से खिलवाड़ कर रहे हैं लोग,यह गलत है। कुछ लोग मर्यादा कर रहे हैं ।आज सर्व सुविधायुक्त जीवन में भी आप समझोता कर रहे हैं।
आज क्या हो रहा है। कहां गए संस्कार। शिक्षा जरूरी, संस्कार और संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने नोट बंदी करके एक मिनट में पांच सौ के नोट को कागज का टुकड़ा बना दिया।पूत सपूत तो क्यों धन संचय और पूत कपूत तो क्यों धन संचय। अपनी संस्कृति के प्रति कितने समर्पित हो। आचार्य शांति सागर महाराज ने क्रांतिकारी निर्णय लिया।
आचार्य शांति सागर महाराज एवं आचार्य विद्यासागर महाराज ऐसे ही निर्णय लेते थे।आप ज्योतिषाचार्य, क्रांतिकारी निर्णय लिया करते थे। देश में करीब दो हजार साधु जैनत्व के लिए गांव – गांव में गए। गुरु ने मुझे तरासकर मुनि बना दिया। आचार्य विद्यासागर महाराज ने सारा श्रेय अपने गुरु आचार्य शांति सागर महाराज को दिया। जीवन जीना महापुरुषों से सीखों। अपने सिद्धांतों, संस्कृति और गुरु के दिए निर्देशों से समझौता नहीं करे। आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज एवं नवाचार्य समय सागर महाराज दोनों में कोई भेद नहीं है। विद्यासागर जी के सिद्धांतों को अपने जीवन में उतार कर जीवन सार्थक करें। नगर के प्रमुख मार्गो से प्रभावना यात्रा निकाली गई।