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आष्टा। द्वितिय अपर सत्र न्यायधीश श्री कंचन सक्सेना के न्यायालय द्वारा आरोपी देवेन्द्रसिंह ठाकुर पिता धीरजसिंह ठाकुर निवासी गा्रम हरनावदा हाल मुकाम देवश्री हास्पिटल जावर तहसील जावर जिला सीहोर को भारतीय दंड विधान की धारा 323,324,325,307 में दोषी पाते हुए चार वर्ष का साश्रम कारावास एवं 11500/रूपयें के अर्थदंड से दंडित किया गया।


अपर लोक अभियोजक विजेन्द्रसिंह ठाकुर के बताये अनुसार फरियादी तेजसिंह पिता कमलसिंह ठाकुर निवासी जावर द्वारा घटना के बारे में रिर्पोट लिखाई। घटना दिनांक 19 नवम्बर 2019 को शाम को 7 बजें करीब की बात है, मैं अपने चचेरे भाई विजेन्द्र की मोटर सायकल से अपने घर से सोसायटी की तरफ जा रहा था, कि मिनु मेडिकल के पास खजुरिया जोड पर डाक्टर देवेन्द्रसिंह ठाकुर पिता धीरजसिंह ठाकुर जाति सेंधव निवासी देवश्री हास्पिटल जावर बिना नम्बर की मारूती सुजुकी अल्टो कार से मिला, जिनको मैने तीन वर्ष पहले अस्पताल निर्माण के लिए एक लाख रूपयें दिए थे, जिसमें से देवेन्द्र ने 60 हजार रूपयें मुझे लोटा दिए थे शेष 40 हजार रूपयें बाद में देने का बोला था, आज उन्ही पैसे का मैने लोटाने के लिए बोला तो मुझे गंदी गंदी गाली देते हुए बोला कि जब पैसे आयेंगे दे दुंगा, आइंदा मुझसे पैसे मांगे तो जान से खत्म कर दुंगा।

मैने गाली देने से मना किया तो डां. देवेन्द्र ने मुझे उसकी पेंट की जेब से चाकु निकालकर मेरे चेहरे व हाथ पर मारा वही पर देवेन्द्र पिता नरेन्द्रसिंह सेंधव निवासी जावर व विरेन्द्र पिता रतनसिंह सेंधव ने बीच बचाव किया, फिर मैं देवेन्द्र व विरेन्द्र तीनो मेरे चचेरे भाई विजेन्द्र की मोटर सायकल से थाना रिर्पोट लिखाने जा रहे थे कि जैसे ही सोसायटी के सामने पहुंचे तो डां. देवेन्द्र अपनी बिना नम्बर की अल्टो कार से आया ओर बोला की आज तो जान से निपटा ही देता हु ओर जान से मारने की नियत से उसकी बगैर नम्बर की कार से हमारी मोटर सायकल को पिछे से टक्कर मार दी, जिससे मैं ओर मोटर सायकल पर बैठे देवेन्द्र ओर विरेन्द्र नीचे गिर गये ओर डां. देवन्द्र ने अपनी कार विरेन्द्र पर चढा दी

जिससे उसे पैर पर व शरीर मे अन्य जगह गंभीर चोटे आई तथा मुझे हाथ पैर व चहरे पर तथा देवेन्द्र को सर व पैर पर चोटे आई। घटना वह उपस्थित कमलसिंह ठाकुर व चेतनसिंह ठाकुर तथा अन्य राहगिरो ने देखी। फरियादी की रिर्पोट पर से थाना जावर ने प्रकरण पंजीबद्ध कर प्रकरण में अनुसंधान प्रारंभ किया। अनुसंधान के उपरांत पुलिस द्वारा अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया। विचारण न्यायालय में अभियोजन की ओर से साक्ष्य कराई गई। दोनो पक्षो की बहस सुनने के उपरांत न्यायाधिश कंचन सक्सेना ने आरोपी डां. देवेन्द्रसिंह को दोषी पाते हुए धारा 307 में चार वर्ष की सजा एवं अर्थ दंड से दंडित किया। शासन की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक विजेन्द्रसिंह ठाकुर के द्वारा की गई।

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