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आष्टा । ये घुंघरू जो बजते नही… ने ऐसी धूम मचाई है,की घुंघरुओं की आवाज थमने का नाम ही नही ले रही है,आष्टा से बजती हुई घुंघरुओं की आवाज भोपाल तक जा पहुची है। जैसे ही आष्टा हैडलाइन ने घुंघरू बजायें, घुंघरू बजते ही तीन हजार जेब मे छटपटाने लग गये, वो जेब मे रुकने को ही तैयार नही है,बहार आ कर मचल रहे है,की मुझे मेरे मालिक तक जाना है।

ये घुंघरू जो बजते नही है,लेकिन गूंज जरूर सुनाई देती है..

क्योंकि इन तीन हजार के नये मालिक जो एक नही तीन तीन है,तीनो नये मालिक परेशान है। जो तीनों पहले इन्हें पाने के लिये तड़प रहे थे,आज छोड़ने को बेचैन है। दिन रात ये तीन हजार ने अपने नये मालिक की दिन का चैन ओर रात की नींद हराम कर रखी है। इन नये मालिक को आज एहसास हो रहा है कि दाल रोटी छोड़ कर दाल बाफले खाने से क्या होता है.? आज उड़ती उड़ती खबर है की जो घुंघरू एक धागे में पिरोये हुए बजे थे उसमे कुछ घुंघरू टपक सकते है.?

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