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सीहोर। प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में विठलेश सेवा समिति के तत्वाधान में गुरुपूर्णिमा महोत्सव का आयोजन गुरुदेव भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा के मार्गदर्शन में किया जाएगा।

कुबरेश्वर में शुरू हुआ आस्था का महाकुंभ

आज से शुरू होने वाले आयोजन को लेकर समिति के द्वारा भव्य रूप से तैयारियां की गई है। वहीं समिति और प्रशासनिक स्तर पर ट्राफिक व्यवस्था, मजबूत बैरिकेडिंग, ड्रॉप गेट, सांकेतिक निशान, वाहन पार्किंग, कंट्रोल रूम, पेयजल, मंदिर परिसर में साफ-सफाई सहित अन्य व्यवस्था की है।

करीब 40 एकड़ के मंदिर परिसर में दो भव्य पंडाल का निर्माण किया गया है। आज 1 जुलाई से आरंभ होने वाले इस आस्था के महाकुंभ में लाखों की संख्या में श्रद्धालु प्रतिदिन आऐंगे और गुरुदीक्षा प्राप्त करेंगे।

शनिवार की सुबह नौ बजे से भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा के द्वारा तीन दिवसीय भव्य गुरु पूर्णिमा का गुरु दीक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इसमें सुबह नौ बजे से बारह बजे तक आयोजन किया जाएगा। उसके उपरांत दूसरे पंडाल में दोपहर एक बजे से प्रवचन का आयोजन किया जाएगा।

भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा के इस भव्य आयोजन का प्रसारण कई चैनलो सहित अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से किया जाएगा। जिससे लाखो की संख्या में श्रद्धालुओं को जीवन में गुरु के महत्व और ईश्वर की आस्था के बारे में जानकारी प्राप्त होगी।

पहुचे भक्तों ने शिला का किया पूजन


इस संबंध में विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि हर साल गुरु के प्रति अपनी आस्था दिखाने के लिए आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा का पवॅ सोमवार के दिन मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था ।

भागवत भूषण पंडित श्री प्रदीप मिश्रा अन्तराष्ट्रीय संत सीहोर

इसीलिए इसे व्यास पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में होने वाले तीन दिवसीय भव्य गुरु पूर्णिमा महोत्सव को लेकर जिला प्रशासन, क्षेत्रवासी, सभी समाजों के अलावा समिति के द्वारा व्यवस्था की जा रही है। यहां पर श्रद्धालुओं के बैठने के लिए अनेक पंडाल के अलावा, उपचार केन्द्र, शौचालय आदि की व्यवस्था की गई है।

“कुबेरेश्वरधाम पर लगा श्रद्धालुओं का महाकुंभ”

गुरुवार को देवशयनी ग्यारस और शुक्रवार को वामन द्वादशी पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने यहां पर पूजन अर्चना की। इस मौके पर विशेष योग के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने यहां पर दर्शन किए और शिला की पूजा अर्चना की। मंदिर परिसर में भगवान विष्णु की प्रतिमा विराजमान है।

वहीं भव्य शिवलिंग के निर्माण चल रहा है। यहां पर शाम को गुरुदेव भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने श्रद्धालुओं को कहा कि देवशयनी एकादशी पर ग्रह-नक्षत्रों से स्थिर, सिद्धि, बुधादित्य, गजकेसरी और रवियोग बन रहे हैं।

पांच शुभ योग के चलते इस दिन की गई पूजा और व्रत का फल और बढ़ जाएगा। द्वादशी तिथि पर साध्य, मातंग, सर्वार्थसिद्धि और बुधादित्य योग रहेंगे। इन योग में भगवान विष्णु के वामन रूप को पूजने से मनोकामना पूरी होती है।

आषाढ़ मास की द्वादशी पर सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र जल से नहाने से। इसके बाद व्रत और पूजा का संकल्प लिया जाता है। फिर व्रत रखकर भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करते हैं। पीपल में भी जल चढ़ाते हैं। दिनभर जरुरतमंद लोगों को दान किया जाता है। इस तिथि के स्वामी खुद भगवान विष्णु ही हैं।

इसलिए द्वादशी तिथि पर इनकी विशेष पूजा करने का विधान है। स्कंद पुराण के मुताबिक आषाढ़ महीने में भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने का विधान है। क्योंकि इस महीने के देवता भगवान वामन ही हैं।

इसलिए आषाढ़ मास की दोनों एकादशी और द्वादशी तिथियों पर भगवान वामन की विशेष पूजा और व्रत करने की परंपरा है। वामन पुराण के मुताबिक आषाढ़ महीने के दौरान भगवान विष्णु के इस अवतार की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। संतान सुख मिलता है, जाने-अनजाने में हुए पाप और शारीरिक परेशानियां भी खत्म हो जाती हैं।

आज से होंगे प्रवचन शुरू

“कुबरेश्वर धाम में आयोजित कार्यक्रम को दृष्टिगत रखते हुए भारी वाहनों के लिए मार्ग परिवर्तित”

गुरु पूर्णिमा महोत्सव के अवसर पर कुबेरेश्वर धाम में आयोजित कार्यक्रम को दृष्टिगत रखते हुए 01, 02 एवं 03 जुलाई को सुचारू यातायात संचालन के लिए भारी वाहनों को डायवर्सन मार्ग से निकाला जाएगा। इस दौरान भोपाल से इंदौर तथा इंदौर से भोपाल आने-जाने वाले भारी वाहन ब्यावरा होते हुए जाएंगे।

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