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आष्टा । पांच विषयों को लेकर स्कूली बच्चों के समक्ष जगतगुरू शंकराचार्य जी ने आज अपना विशेष उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि आज पांच विषय ,बच्चों के लिए महत्व पूर्ण हे ।
पहला,सबसे महत्वपूर्ण लव जिहाद
दूसरा,डिप्रेशन (मानसिक तनाव)
तीसरा,बच्चे मां बाप से दूरी बनाकर रहना चाहते हे
चौथा,प्राचीन शिक्षा,और वर्तमान शिक्षा में अंतर
पांचवां,बच्चों को माता पिता का कहना मानना चाहिए

“लव जिहाद पर बोले गुरुदेव”

शंकराचार्य जी ने लव जिहाद जैसे मुद्दे पर कहा की यह लव क्या हे लव हिंदी में अर्थ होता हे प्रेम, तो प्रेम हमे अपने माता पिता से करना चाहिए माता पिता ने आपको जन्म दिया हे वे आपके विषय में कभी बुरा नहीं सोच सकते हे। आप उनके साथ प्रेम कीजिए।आप स्वयं एक उम्र में आकर अपने अच्छे बुरे का सोचने में सक्षम नहीं होते हे।


आपकी इस उम्र में किसी अन्य के प्रति आकर्षण होना स्वाभाविक होता हे।
ऐसे में आप स्वयं के विवेक से सामाजिक रूप से सोचने में असमर्थ होते हे तब आपको माता पिता की आज्ञा अनुसार पालन करना चाहिए।
उदाहरण देते हुवे शंकराचार्य जी ने बताया कि माता सीता और भगवान् राम का विवाह हुआ,जो माता पिता गुरु की सहमति से हुआ,और एक प्रेम शूर्पणखा ने किया जो कभी सफल नहीं हो पाया । उसी आकर्षण वाले प्रेम को लेकर शूर्पणखा ने भगवान राम को रिझाने का प्रयास किया सफल नहीं हुई,इसके बादश्री राम के कहने पर वह अपने भाई लक्ष्मण के समीप भेजा, तो उसने लक्ष्मण जी को रिझाने का प्रयास किया और फलस्वरूप उसे अपने नाक कान कटवाने पढ़े थे।


नारी नारायणी का रूप होती हे ।और समय आने पर महाकाली का रूप भी धारण कर सकती हे इसलिए आपको डरना नहीं चाहिए ।नारी रानी लक्ष्मीबाई ,केरूप में हमारे सामने उदाहरण भी हे।
जिन्होंने अपनी कलाइयों पर चूड़ी पहनी थी तो समय आने पर तलवार भी धारण की थी और अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए थे।

“प्राचीन शिक्षा और वर्तमान शिक्षा में अंतर पर दिया वक्तव्य”

जिस प्रकार खाने में कोई कंकड़ आ जाए तो खाने का मजा किर किरा हो जाता हे।उसी प्रकार शिक्षा में यदि कोई दोष आ जाए तो संस्कारों का हनन हो जाता हे।
श्री कृष्ण का उदाहरण देकर समझाया कि
शंकराचार्य जी ने बताया कि सांदीपनी जी के आश्रम में भगवान कृष्ण अपने बाल्यकाल में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे।

तब उनके एक मित्र थे सुदामा और सुदामा और कृष्ण की मित्रता जगत मे प्रसिद्ध हे ।एक बार भगवान कृष्ण और सुदामा जंगल में लकड़ी लेने गए वापसी में बारिश ज्यादा होने पर वे एक पेड़ पर बैठ गए।
खाने के लिए केवल सुदामा जी के पास चने थे।


परन्तु वे कृष्ण से छुपाकर चने खा गए ।भगवान तो अंतर्यामी हे।
आगे नियति देखिए कि सुदामा जी हम बड़े हुवे शादी हुई उनकी पत्नी का नाम सुशीला था और भगवान से छुपाकर चुपके से खाए चने के कारण दरिद्रता की स्थिति में रहे परन्तु जब पत्नी के कहने पर द्वारिका गए तब जग जानता हे कि कृष्ण ने उन्हें गले लगाया चरण धोए,और पोटली में छुपाकर लाए चावल को ग्रहण कर उन्हें द्वारिकापुरी जैसी सुदामपुरी दे दी।
सार यही हे कि आपकी शिक्षा उचित हे तो आपको समाज में रहना सिखाती हे, भगवान की प्राप्ति करवाती हे सक्षम बनाती हैं।

और शिक्षा चोरी करना, झूठ बोलना सीखती हे तो आपको सुदामा जैसी दरिद्रता का सामना भी करना पड़ता है।

आगे उन्होंने बताया कि प्राचीन काल मे जों शिक्षा बच्चों को जो दी जाती थी वह उन्हें स्वावलंबी बनाती थी गुरुकुल में उन्हें समय पर व्यायाम ,ज्ञान ,और भिक्षा लेकर आने जैसी शिक्षा दी जाती थीं ,भिक्षा लेने जाने पर उसे अपमान का सामना करने की भी शिक्षा मिल जाती थी जिससे वह सहनशील बनता था।
और वर्तमान शिक्षा में ज्ञान तो मिलता हे परंतु बच्चे में मान अपमान और संस्कारों से दूरी होती जा रही हे।

“डिप्रेशन (मानसिक तनाव)”

माता पिता को समझाते हुवे बताया कि बच्चों में जिस प्रकार सहनशीलता कम होती जा रही हे वे स्कूली शिक्षा में पढ़ाई का बोझ होने के साथ साथ घरों के माहौल में भी तनाव महसूस करते हे तो वे एक मानसिक।तनाव में आते हे और गलत कदम उठा लेते हे ।इसलिए माता पिता को भी बच्चों के लिए घर का माहौल खुशनुमा रखना चाहिए ।और बच्चों को बताया कि वे सिर्फ अपनी शिक्षां पर ध्यान दे अन्य किसी और कम ध्यान दे ।अपनी अधिक से अधिक आसक्ति घर में नहीं पढ़ाई पर ध्यान लगाए, इसके
अलावा भोजन अल्पाहारी करे जिसे आलस्य न आए


प्रातः कल उठे माता सरस्वती माता को प्रणाम करे
तुलसी जी और गौ माता का पूजन करें।
बच्चों की निद्रा श्वान (कुत्ते) जैसी होना चाहिए जो एक आवाज पर खुल जाए
चेष्टा कौवे जैसी होना चाहिए, जो हल्की सा आहट पर सतर्क हो जाए।
ध्यान बगुले जैसा होना चाहिए,जो अपने एक ही बार में मछली को पकड़ लेता हे ,कोई वर खाली नहीं जाता

“माता पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए”

मातापिता की आज्ञा भगवान राम ने मानी थी दशरथ जी के एक बार कहने पर भगवान वन चले गए थे राज पाठ छोड़ दिया था।
और जब अपने माता पिता की बात नहीं मानने पर दुर्योधन ने महाभारत किया युद्ध किया और पूरे कुल का नाश करवा दिया

आगे गुरुदेव ने बच्चों से साक्षात्कार कर उनके मन में उठ रहे सवालों का सुंदर सुंदर जवाब दिया ।और सवाल पूछने वाले बालक बालिकाओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया।

पूज्य दीदी श्री रश्मि जी ने आज अपने उद्बोधन में दो
दो सतीयो लक्ष्मण जी की पत्नी उर्मिला और मेघनाथ की पत्नी सुलोचना के चरित्र पर अपने विचार प्रस्तुत किया और बताया कि लक्ष्मण जी और मेघनाथ के मध्य हुआ युद्ध दो वीरों के मध्य नहीं हुआ था बल्कि दो सतीयो के मध्य हुआ था ।


शंकराचार्य जी ने आज श्री राम चरित्र का वर्णन।किया l
जो व्यक्ति एक बार यदि श्री राम का नाम स्मरण कर लेता हे वो भवसागर को पार हो जाता है।
जो श्री राम की शरण में आता हे।वो उन्हें तुरंत अपना लेते है।

आज के कार्यक्रम में
मानस सम्मेलन समिति अध्यक्ष मनोज ताम्रकार,
भवानी शंकर शर्मा, सत्यनारायण कामरिया, कृष्णकांत सोनी, राजू जायसवाल ,नितिन भट्ट अशोक ताम्रकार, सीहोर जगदीश खत्री ,विनोद सेन सिद्धांत हैप्पी जायसवाल ,गोपाल परमार ,गोविंद चौहान,मिठू पूरा सरकार , नपा अध्यक्ष हेमकुवर मेवाड़ा, ऋतु जैन, अंजनी चौरसिया आदि शामिल रहे।

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