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सीहोर/आष्टा। आज दिवाली है. आज के दिन मां लक्ष्‍मी भगवान गणेश की पूजन की परंपरा है। कहा जाता है कि आज रात मां लक्ष्‍मी स्‍वयं धरती पर आती हैं। इसलिए उन्‍हें जो खुश कर लें उनके घर पूरे साल तक रहती हैं।

इस बार दिवाली पर पूजा का विशेष मुहूर्त है। अगर आप शुभ समयकाल में पूजा करते हैं तो आपको जरूर पूजा का फल मिलेगा।


“कब तक दिवाली”

नगर पुरोहित श्री डॉ दीपेश पाठक ने जानकारी देते हुए बताया कि इस बार दिवाली शनिवार को मध्यान्ह काल से आरंभ होगी। अगले दिन रविवार को सुबहा 10:39 मिनट तक अमावस्‍या तिथि रहेगी।
इस लिये शनिवार को प्रदोषकाल में दीपावली पूजन उत्तम है।


“किस नक्षत्र में”
इस बार दीपावली स्वाति उपरांत विशाखा नक्षत्र में है।
इस योग को परम शुभ मानते हैं। इसे कार्यसिद्धि दायक योग भी कहा जा सकता है।

“दिवाली पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त”

?मुहूर्त दीपावली ?

??प्रदोषकाल??
संध्या 5:40 से 6:52 तक

??लगन्नानुसार??

वृश्चिक लग्न:-प्रातः 07:00से 09:18 तक
कुम्भ लग्न:-दोपहर 01:06 से 02:36 तक
वृषभ लग्न:-संध्या 5:40 से07:37 तक
सिंह लग्न:-मध्यरात्रि 12:10 से 02:26 तक

?चौघड़िया अनुसार?

लाभ:-प्रातः 8:10 से 9:30 तक
चर, लाभ,अमृत:-दोपहर 12:11से संध्या 04:12तक
रात्रि
लाभ:-5:33 से 7:12 तक
शुभ,अमृत, चर:-08:52 से01:51 मध्यरात्रि तक

?अभिजीत मुहूर्त?
दोपहर 11:47 से 12:35 तक

“पूजन की थाली में इन चीजों को शामिल करें”
सभी गृहस्थ, कमल, श्वेत पुष्प को पूजा की थाली में जरूर रखें. इसी तरह किसान पांच तरह के खाद्य पदार्थ का नैवेद्य, व्यापारी – कमलगट्‌टा की माला विद्यार्थी धर्मग्रंथ, अनार और तिल को पूजा की थाली में रखें। पहले गणेश फिर लक्ष्मी और इसके बाद कुबेर की पूजा करें।

“ऐसे करें मां लक्ष्मी का पूजन”

मां लक्ष्मी की पूजा सफेद या गुलाबी वस्त्र पहनकर करनी चाहिए.इनकी पूजा का उत्तम समय होता है- मध्य रात्रि.मां लक्ष्मी के उस प्रतिकृति की पूजा करनी चाहिए, जिसमें वह गुलाबी कमल के पुष्प पर बैठी हों। साथ ही उनके हाथों से धन बरस रहा हो।
मां लक्ष्मी को गुलाबी पुष्प, विशेषकर कमल चढ़ाना सर्वोत्तम रहता है.मां लक्ष्मी के मन्त्रों का जाप स्फटिक की माला से करने पर वह तुरंत प्रभावशाली होता है।

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