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घुंघरुओं का काम है बजना लेकिन ये घुंघरू जब बजते है,जब इन्हें नृत्यांगना अपने पैरों में धारण करती है।
आष्टा हैडलाइन के पाठकों के लिये आज से हम एक कालम शुरू कर रहे है जिसका नाम है

“घुंघरू जो बजते नही”

इस कालम में हम आपको खबरों के अंदर छुपी ऐसी खबरों से रूबरू करायेंगे जो खबर तो होती है,लेकिन वो छुपी,मौन रहती है। इसी लिए हमने अपने इस कालम का नाम यही दिया है

“घुंघरू जो बजते नही”

आइये आज आपको हम एक ऐसी ही खबर से रूबरू कराते है जो खबर तो है पर खबरों में नही है.!

सीहोर/आष्टा । इन दिनों एक अधिकारी ने ना जाने ऐसा क्या खेल खेल लिया है,जो, वो आजकल हाईवे पर आष्टा-सीहोर के बीच या बिलकिशगंज रोड पर अच्छी लोकेशन की एक बड़ी कृषि भूमि खरीदने के लिए आतुर है।

“घुंघरू जो बजते नही “


ये जो अधिकारी है वे अच्छे पद पर आसीन भी है।
कुछ अपने खास को लेकर वे इन दोनों स्थानों पर कुछ कृषि भूमि भी देख आये है,अभी उनका कृषि भूमि देखने का क्रम जारी है।
ये अधिकारी जो कृषि भूमि खरीदने का मन बना रहे है,कृषि भूमि खरीदने के पीछे इनकी मंशा कृषक बनने की है,या इन्वेस्ट करने की..! ये ऊपर वाला ही जाने…..?
अगर ये वाकई में कृषि भूमि खरीद कर कृषक बनना चाहते है तो अन्नदाता के रूप में इनका अभिनन्दन है,ओर अगर ये कृषि भूमि इन्वेस्ट करने के लिए खरीदने का मन बना रहे है तो इन्हें लक्ष्मी पुत्र ही कह सकते है…!
इन नये बने लक्ष्मी पुत्र का भी अभिनन्दन.!

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