देवास। काफी समय पहले एक नामी पान मसाला कम्पनी के पान मसाले का एक विज्ञापन आता था उसकी एक लाइन थी”ऊंचे लोग ऊंची पसन्द” ये लाइन सुन कर जो छोटे,गरीब मजदूर,रोज कमा कर खाने वाले दिहाड़ी मजदूर वर्ग का व्यक्ति जब इस विज्ञापन की ये लाइन सुनता तो उसे ऐसा लगता था जैसे ये लाइन उसकी गरीबी,मजबूरी की हंसी उड़ा रही है,क्योकि विज्ञापन में कहा जाता था ऊंचे लोग ऊंची पसन्द मतलब साफ था की ये पान मसाला गरीब,दिहाड़ी मजदूर नही खा सकता क्योंकि वो गरीब है,उसकी गरीबी की एक तरह से हंसी उड़ाई जाती थी।
लेकिन आज एक ऊंचे ओहदे पर बैठे एक सख्स ने उक्त विज्ञापन की उक्त लाईन ऊंचे लोग ऊंची पसन्द की अपने एक कार्य से धज्जियां उड़ा कर तो रख ही दी,बल्कि इस ऊंचे ओहदे पर बैठे सख्स के एक छोटे से कार्य ने यह सिध्द कर दिया की व्यक्ति ना कोई छोटा होता है,ना कोई बड़ा होता है छोटी और बड़ी तो केवल उसकी सोच होती है।
अगर कोई बड़ा व्यक्ति किसी गरीब के पास पहुच कर दो घड़ी उसके सुख दुख की बात कर ले तब उस गरीब को कितनी खुशी होती है उसका अंदाजा नही लगाया जा सकता है,लेकिन ऐसे कम ही लोग होते है जो ऊंचे पद पर पहुचने के बाद भी उस ऊंचे पद को अपने पर सवार नही होने देते है। आज ऐसा ही एक नजारा देवास में सयाजी गेट के पास फुटपाथ पर देखने को मिला जिसकी चर्चा आज पूरे देवास में नही,प्रदेश में नही देश मे हो रही है।
मामला यह है की मप्र में सम्पन्न हुए विधानसभा के उप चुनाव में देवास सांसद श्री महेन्द्र सिंह सोलंकी जिन्हें अपनी लोकसभा की दो विधानसभा हाटपिपल्या एवं आगर में पार्टी ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौपी थी वे बिगत करीब एक माह से चुनाव में लगे थे मतदान के बाद आज उन्हें कटिंग दाढ़ी बनवाना थी वे पूर्व में जज रहे,वर्तमान में देवास के सांसद है इतने ऊंचे पद पर होने के बाद हर कोई यही सोचता होगा की वे क्या कभी फुटपाथ पर एक कुर्सी लगा कर दीवार पर कांच लटकाने वाले किसी सेन समाज के उस गरीब के पास जो अपनी आजीविका चलाता हो उसके पास जा कर दाढ़ी कटिंग बनवाएंगे, जवाब होगा नही.!
पर आज घर से सांसद लिखी गाड़ी से रवाना हुए देवास सांसद महेंद्रसिंह सोलंकी की गाड़ी किसी बड़ी हाई फाई सैलून की दुकान पर नही सयाजी गेट के सामने फुटपाथ पर बिना छत दीवार की ओपन दुकान पर पहुच गये,कटिंग दाढ़ी बना कर अपनी वा अपने परिवार की आजीविका चलाने वाले राजेश वर्मा से कहा मेरी कटिंग दाढ़ी बनाये। राजेश वर्मा को विश्वास ही नही हुआ की देश की संसद में बैठने वाला व्यक्ति,जो सांसद है,पहले जज रह चुके है वो आज मुझ जैसे गरीब छोटे से व्यक्ति से दाढ़ी कटिंग बनवाने आया है। राजेश वर्मा की खुशी का ठिकाना नही रहा।
वही सांसद ने एक छोटी से खुले आसमान के नीचे चलने वाली सैलून की दुकान पर बाल कटवा कर यह सिद्द कर दिया कि ना में बड़ा हु,ना राजेश वर्मा छोटे है। काश देश का हर ऊंचे पदों पर बैठे व्यक्ति की सोच देवास सांसद महेन्द्र सिंह सोलंकी जैसी हो जाये तो ऊंचे-नीचे, छोटे-बड़े,अमीर-गरीब का जो भेद है वो खत्म होने में कोई ज्यादा वक्त नही लगेगा…!