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आष्टा। आष्टा में आस्था रखने वाले आप लोग पर्यूषण पर्व के छठवें दिन में प्रवेश कर रहे हैं, जो उत्तम संयम धर्म का दिन है ।दस दिनों के पर्व का उद्देश्य मन के अंदर के कषाय को क्षय करना है ।अनंत भोगों को रखकर चल रहे हैं ,पाक्षिक बनो, मिथ्यातत्व को छोड़ दो, अनंतानुबंधी कषाय कर रहे हैं ।मोह ,ममता रखते हैं तो अनंत मिथ्या करते हैं। क्रोध, मान, मोह, माया आदि को त्यागकर मोक्ष मार्ग पर अग्रसर हो। किला मंदिर सामान्य मंदिर नहीं है ,सम्मेद शिखर के समान है। इस मंदिर में प्रतिदिन दर्शन करने मात्र से आपको सम्मेद शिखरजी के दर्शन का पुण्य लाभ मिलता है।

उक्त बातें संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि भूतबलि सागर महाराज ने श्री चंद्र प्रभु गंज मंदिर की जल यात्रा के अवसर पर मानस भवन परिसर में आशिष वचन के दौरान कहीं। आपने कहा कि संयम दो प्रकार प्राणी व इंद्रिय हैं । हमेशा चार हाथ जमीन को देखकर चलेंगे तो जीव हिंसा नहीं होगी। पांचों इंद्रियों को अपने नियंत्रण में रखें ।शुद्ध सात्विक शाकाहारी भोजन करें, व देवे ।सही खानपान नहीं करने के कारण आज कल बीमारियां बढ़ रही है। मुनि भूतबलि सागर महाराज ने कहा कि जब हम संयम धर्म का पालन करते हैं तो अन्य धर्म अपने आप पल जाते हैं।

संयम धर्म का पालन करने वाला हमेशा सुखी रहता है। उसे अपनी किसी बात को याद नहीं रखना पड़ती। यह धर्म हमेशा सत्य की राह पर चलने का कहता है। सत्य जीवन का एक ऐसा प्रकाश है। जिसकी उपस्थिति में झूठ, असत्य, कुटिल, पाप टिक नहीं पाते। वह ऐसे भागते हैं जैसे प्रकाश देखकर अंधकार भागता है।एक छोटा सा झूठ बोले गए तो सत्य पर पानी फेर देता है। मुनि सागर महाराज ने कहा- जिसे एक बार झूठ बोलने की आदत हो जाती है, उसे झूठ भी सच लगता है। झूठ का सहारा व्यक्ति को पद ,पैसा तो दिला सकता है लेकिन आत्म सुख से कोसो दूर कर देता है। सत्य को अपनी आत्मा में उद्घाटित करना चाहते हो तो निर्ग्रंथ संत बनना चाहिए। सत्य जीवन का आधार होना चाहिए। संस्कार की पहली पाठशाला अपना स्वयं का घर होता है। घर में माता-पिता को सत्य बोलकर अपने बच्चों को संस्कारित करना चाहिए। पानी सदैव ऊपर से नीचे की ओर बहता है। संस्कार भी बड़ों से बच्चों तक पहुंचते हैं। मुनि सागर महाराज ने बताया दसलक्षण पर्व का छठवां धर्म उत्तम संयम धर्म है ,जो भादौ मास शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है।

बुधवार को नित्य नियम, अभिषेक, पूजन मुनि भूतबलि सागर महाराज के परम सान्निध्य में किला व गंज मंदिर में की गई। परम्परा अनुसार गंज मंदिर से जल यात्रा प्रारंभ हुई जो गल चौराहा होते हुए मानस भवन पहुंची वहां पर मुनि संघ के सानिध्य में पूजा अर्चना कर अभिषेक व शांति धारा की गई। मुनि श्री के आशीर्वचन हुए तत्पश्चात जल यात्रा सुभाष चौक पुराना दशहरा मैदान मार्ग से धोबीपूरा होते हुए गंज मंदिर पर पहुंची और वहां पर पूजा अर्चना व अभिषेक किए गए ।

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