आष्टा। बताओ तुम्हें स्वाधीनता पसंद है या पराधीनता.? यह प्रश्न आज स्वतंत्रता की 75 वी वर्षगांठ पर स्थानीय महावीर भवन में चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य मुनि श्री संयत मुनि ने धर्म सभा में उपस्थित श्रावक श्राविका से पूछा। तब सभी ने जवाब दिया, सभी को स्वाधीनता पसंद है। तब मुनि श्री ने कहा आज स्वतंत्र भारत में सब स्वतंत्र हैं। आज देश आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है। सभी को स्वाधीनता पसंद है लेकिन जीव स्वतंत्र होने के बाद भी इच्छाओं का गुलाम बना हुआ है।
जब तक जीव इच्छाओं की बेड़ियों से मुक्त नहीं होगा वो खुश नही रह सकता है। मुनि श्री ने कहा आज घूमने फिरने, खाने पीने, पहनने ओढ़ने,आने जाने, टीवी देखने, मोबाइल चलाने, अपनी पसंद से शादी करने आदि की स्वतंत्रता है कोई रोकने टोकने वाला नहीं है। लेकिन इन सब के कारण आप स्वाधीन नहीं इन इच्छाओं के अधीन हो, इनके गुलाम बने हुए हो।
जब तक इच्छाओं की बेड़ियां नहीं तोड़ोगे तब तक जीव स्वाधीन नहीं हो पायेगा। यह जीव चारों गति 84 लाख योनियों में भटक रहा है जब तक जीव इच्छाओं का गुलाम बना रहेगा तो वह कभी खुश नहीं रह पाएगा। आज देश को आजाद हुए 75 साल हो गए, 75 साल पहले अंग्रेज तो चले गए लेकिन अंग्रेजी छोड़ गए।
आज आपका बच्चा अपनी मातृभाषा वाले स्कूलों में नही,अंग्रेजी माध्यम के कान्वेंट स्कूल में पढ़ते हैं उनसे पूछो ६७ कितने होते हैं तब वो कहते है,मालूम नही,अंग्रेजी में बोलो। जब बसे पूछो सिक्सटी सेवन कितने होते है तो वे फट से बता देते है। ऐसा क्यों.? क्योंकि उसे अपनी मातृभाषा का उतना ज्ञान नहीं है उसे केवल अंग्रेजी का ही ज्यादा ज्ञान है। क्योंकि हमने उसे कन्वेंट में पढ़ाने भेजा है।
यह जीव अनादि काल से इच्छाओं का गुलाम बना हुआ है। जब तक कर्मों की बेड़ियां नहीं तोड़ोगे स्वाधीन नहीं हो पाओगे। अगर आजाद होना है, स्वाधीन होना है तो जीव को कषायों की वीडियो से मुक्त होना होगा। बेड़ियां केवल वीर ही तोड़ सकता है हम वीर की संतान हैं। जो कायर होते है वे बेड़ियों में जकड़े रहते हैं।
जिस दिन अपने पर अपना नियंत्रण हो जाएगा समझो उस दिन अपन स्वाधीन हो गए। नगर में चल रहे चातुर्मास के अंतर्गत तपस्याओ का भी सतत क्रम जारी है तपस्वी भाई बहन लगातार तपस्या के पथ पर अग्रसर बढ़ रहे है एवं मुनि श्री से पचकान ग्रहण कर रहे हैं।