आष्टा। 13 अप्रैल मंगलवार से चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से हिन्दू नववर्ष का आनंद नामक विक्रम संवत 2078 प्रारम्भ हो रहा है। साथ ही चैत्रीय नवरात्रि का नौ-दिवसीय पर्व भी इसी दिन से आरंभ हो रहा है। चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल 2021 से शुरू होगी जो 21 अप्रैल रामनवमी के साथ पूर्ण होगी। इस दौरान सभी भक्त पूरे नौ दिनों तक माँ दुर्गा के अलग अलग रूपों की उपासना करके उनसे अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
नगरपुरोहित पं मनीष पाठक ने बताया कि नवरात्रि का समय माता की पूजा के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है इसलिए कुछ बातें ऐसी होती हैं जिनका विशेष ध्यान रख मातारानी की कृपा प्राप्त की जा सके।जैसे देवीपाठ, जप,तप, पूजन आदि विधान का ध्यान विशेष रखना चाहिये। वर्तमान में कोविड 19 जैसी महामारी को देखते हुऐ अपने घरों में ही देवी की आराधना नियमानुसार सुरक्षात्मक स्वरूप में करना उत्तम रहेगा। मातारानी से इस माहमारी को समाप्त करने की प्रार्थना ही इस नवरात्र का लक्ष्य रख देवी साधना सभी भक्तों की करना चाहिये।
ज्योतिषचार्य वास्तुविद पं. डॉ दीपेश पाठक ने बताया कि नवरात्रि में पूरे विधि-विधान से देवी के नौ स्वरूपों की आराधना करनी चाहिए। इतना ही नहीं घट व मूर्ति स्थापना से लेकर ज्योति स्थापना तक में वास्तु शास्त्र का भी ध्यान रखना चाहिए। यह बहुत आवश्यक है। वरना कार्य सिद्धि पूर्ण नही होती है।
“पूजा के लिए उत्तम स्थान ईशान कोण”
पं पाठक ने बताया कि सबसे पहले मूर्ति व कलश स्थापना के लिए शुद्ध स्थान को ध्यान में रखना चाहिए। वास्तुशास्त्र में ईशान कोण को बहुत ही शुभ माना जाता है। माना जाता है यहां सबसे ज़्यादा सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। इसलिए ईशान कोण पर ही देवी-देवता स्थापित किए जाते हैं। इस नवरात्रि आप माता का घट, मूर्ति या चित्र की स्थापना इसी दिशा में करें।
“इस पर लगाये देवी का आसन”
माता की मूर्ति या चित्र की स्थापना चंदन की लकड़ी से बनी चौकी पर करें। वास्तुशास्त्र में चंदन को बहुत शुभ माना जाता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का भी वास होता है और माता भी प्रसन्न होती है। इसलिए चंदन की चौकी पर देवी का आसान लगाएं।कलश की स्थापना माता की प्रतिमा के दायीं तरफ करें। एक या दो कलश भी रखे जा सकते हैं।
“इस दिशा में रखे ज्योत”
नवरात्रि के दौरान अगर आप पूरे नौ दिनों तक अखंड ज्योत जलाने का संकल्प लेते हैं तो अखंड ज्योत को पूजा के स्थान पर आग्नेय कोण में रखें। इससे आपके घर में सुख और शांति बनी रहेगी। साथ ही आप नकारात्मक ऊर्जा से भी दूर रहेंगे।
“इस दिशा की ओर रहे आपका मुख”
पूजा करते समय इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि पूजा करते वक्त आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रहे। पूर्व-उत्तर दिशा में देवताओं का वास होने की वजह से इस दिशा को शक्ति का स्रोत माना जाता है।
“ऐसे करे मंत्रजाप”
मंत्र जाप पूर्व दिशा की ओर मुख करके करें। जाप करते वक्त शरीर को ज़्यादा हिलाए-डुलाए नहीं सावधान मुद्रा में पवित्र मन से मंत्रों का उच्चारण करें।
“इस दिशा में रखें पूजा का सामान”
नवरात्र के नौ दिन माता की पूजा से संबंधित सारी सामग्री मंदिर के दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें। इनमें लोबान, गुग्गल, कर्पूर और देशी घी प्रमुख तौर पर शामिल हैं। माता की पूजा में लाल रंग का विशेष महत्व होता है और पूजा की सामग्री को लाल कपड़े के ऊपर रखें।
“पूजा में इन बर्तनों का करें प्रयोग”
माता की पूजन में तांबा और पीतल के बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए। अगर चांदी की थाल या जलपात्र हो तो यह भी प्रयोग में लाया जा सकता है। मां भगवती की पूजा में लाल रंग के ताजे फूलों का इस्तेमाल करना चाहिए।
“इसलिए स्वास्तिक बनाये”
पूजा के स्थान पर स्वास्तिक ज़रूर बनाएं।
घर के दरवाज़ों पर भी स्वास्तिक का निशान बनाने से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर से वास्तुदोष दूर होता है। अंत में घर में गेंदे की फूल की सजावट और आम के पत्तों की तोरण जरूर लगाएं।
“शुभ समय का रखे ध्यान”
इन शुभमुहूर्त पर करे घट की स्थापना
चर:- प्रातः 09:29 से 11:04 तक
लाभ-अमृत:- दोपहर 11:04 से दोपहर 02:13 तक
अभिजीत मुहूर्त श्रेष्ठ समय:- दोपहर 12:13 से 01:03 तक का है।
“आष्टा हैडलाइन परिवार की और से आप सभी पाठकों को हिन्दू नववर्ष की बहुत बहुत बधाई”