भोपाल। भारतीय जनता पार्टी आज अपना 42वां स्थापना दिवस मना रही है। ये पिछले चार दशक देश की राजनीति के क्षेत्र में भारी उथल-पुथल वाले रहे हैं। शायद ही कोई राजनीतिक दल बचा हो जो इन गतिविधियों से अछूता रहा हो। लेकिन इन सालों में भारतीय जनता पार्टी और बाकी दलों में एक बुनियादी फर्क देखने को मिला है। जहां कांग्रेस और वामपंथी दलों सहित अन्य क्षेत्रीय दल देशकाल और परिस्थितियों के चलते बिखराव की कगार तक पहुंच गए, वहीं भारतीय जनता पार्टी एक सशक्त और सर्वसमावेशी दल के रूप में उभर कर सामने आई। इसे भाजपा की वैचारिक ताकत ही माना जाना चाहिए कि एक समय उसके कट्टर विरोधी रहे दलों के अनेक नेताओं ने भी अंतत: भाजपा के विचार को ही भारत के भविष्य के अनुकूल पाया और उसे अंगीकार किया।
यह एक स्थापित तथ्य है कि भाजपा ने सत्ता को कभी साध्य नहीं माना। सत्ता हमारे लिए सदैव लोकसेवा और लोक कल्याण का ही माध्यम रही है। और हमारा लोक कल्याण भी ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना को अपना आदर्श मानता है। दीनदयाल जी का अंत्योदय हमारा लक्ष्य है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की गरीबों को मकान देने और उज्जवला जैसी योजनाओं ने न सिर्फ अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों के दु:ख और कष्ट को समझा है बल्कि उनमें यह भरोसा जगाया है कि यह सरकार सही मायनों में उनके हक के लिए काम कर रही है।
भारत ने आजादी के बाद अपनी सरकार तो पाई लेकिन उसमें राष्ट्रवाद के तत्व का हमेशा अभाव रहा। भारत की राजनीति में राष्ट्रवाद और सर्वसमावेशी हिंदुत्व भाव को लाने का काम भारतीय जनता पार्टी ने किया। और ऐसा करके उसने करोड़ो भारतीयों को, भारत के स्वर्णिम अतीत, हमारे धर्म, हमारी संस्कृति और भारतीय सभ्यता को लेकर गर्व से सिर ऊंचा करने का अवसर दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार के द्वारा कश्मीर में धारा 370 और 35ए की समाप्ति हो या फिर राम मंदिर के निर्माण का आरंभ, यह सब उसी दिशा में बढ़ते कदम हैं। सक्षम, समर्थ, सबल और आत्मनिर्भर भारत ही भाजपा का लक्ष्य है। मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को नई ऊंचाई देने के साथ ही देश की सीमाओं को भी सुदृढ़ किया है। डोकलाम, सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक जैसी घटनाओं से देश की सेनाओं ने साबित कर दिया है कि दृढ़ इच्छाशक्ति वाले नेतृत्व के चलते अब कोई भी भारत की सीमाओं पर गलत नजर नहीं डाल सकता।
कुल मिलाकर भाजपा ने भारत को उसके आत्मगौरव की वापसी की ओर प्रवृत्त करने का काम किया है। इतने सालों में भारत की राजनीति ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं और हमारे लोकतंत्र ने भी कई करवटें ली हैं। राजनीतिक उथल-पुथल की घटनाओं ने सभी राजनीतिक दलों की बहुत कठिन परीक्षा ली है। ज्यादातर दल उन परीक्षाओं में जनता की उम्मीदों और कसौटियों पर खरा उतरने के बजाय उनकी नजरों से उतरे हैं। लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने हर परीक्षा को पास करते हुए और हर कसौटी पर खरा उतरते हुए देश की राजनीति को न सिर्फ एक नई दिशा दी है बल्कि देश में एक नए राजनीतिक नेतृत्व की पूरी पीढ़ी को गढ़ने का भी काम किया है। इस पीढ़ी को हम आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी, अमित शाह जी, जेपी नड्डा जी जैसे अनेक नेताओं के रूप में प्रत्यक्ष रूप से देख सकते हैं।
अगर गहराई से आकलन करें तो बाकी दल जहां अधिक से अधिक व्यक्ति या परिवार केन्द्रित होते चले गए, वहीं भाजपा ने स्वयं का विस्तार भारत के लोक और लोकतंत्र में किया। आज भाजपा का जो सांगठनिक स्वरूप दिखाई देता है उसके पीछे असंख्य कार्यकर्ताओं का समर्पण और राष्ट्र प्रथम के लक्ष्य को सामने रखकर चलने वाली संगठन की अनुशासित कार्यप्रणाली है। भाजपा और अन्य दलों में एक महत्वपूर्ण अंतर यह भी है कि यहां अनुशासन किसी तानाशाही के स्वरूप में नहीं बल्कि संपूर्ण लोकतांत्रिक स्वरूप में उपस्थित है। संगठन की दृष्टि से अवसरों की समान उपलब्धता आज सिर्फ भारतीय जनता पार्टी में ही है।
देश की राजनीति में भाजपा की उपस्थिति यह आश्वस्ति देती है कि भारत का राजनीतिक भविष्य उज्जवल है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भाजपा ने भारत के भविष्य को गढ़ने का लक्ष्य लेकर अपने राजनीतिक स्वरूप को गढ़ा और आकार दिया न कि सत्ता प्राप्ति के लक्ष्य को लेकर। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आज राजनीति के क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी जैसे दल की उपस्थिति के कारण भारत अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त नजर आता है।
और यह सब हुआ है पार्टी के उस विलक्षण नेतृत्व के कारण जिसके मार्गदर्शन और जिसके द्वारा दिए गए संस्कारों ने संगठन को गढ़ा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सेवा, त्याग और समर्पण के भाव और भाजपा की लोक कल्याण की नीति ने भारतीय राजनीति का ऐसा रसायन तैयार किया है जो राष्ट्र के गौरव पर चढ़ा दी गई उपेक्षा और अवमानना की परत को उतार कर उसकी चमक और उसके वैभव को पुन: प्रतिष्ठापित करने का काम कर रहा है। भाजपा इस मायने में अत्यंत सौभाग्यशाली है कि उसे डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी, पं. दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी, कुशाभाऊ ठाकरे, राजमाता विजयाराजे सिंधिया, सुंदरलाल पटवा, प्यारेलाल खंडेलवाल जैसे अनेक सिद्धहस्त शिल्पकार मिले। उनके काम को आज श्री नरेन्द्र मोदी, श्री अमित शाह, श्री जेपी नड्डा जैसे नेता आगे बढ़ा रहे हैं।
हमने 41 वर्षों की यह यात्रा अनथक संघर्षों के साथ तय की है। आज जब देश की जनता ने भारत के भविष्य को गढ़ने की बागडोर भाजपा के हाथ में दी है तो हम उन हजारों हजार कार्यकर्ताओं का त्याग और बलिदान कैसे भूल सकते हैं जिन्होंने कश्मीर में भारत का संविधान लागू करने की मांग से लेकर आपातकाल के विरोध जैसा लंबा संघर्ष किया और तत्कालीन सत्ता दल की अमानवीय यातनाएं झेलीं। यह समय उन सभी कार्यकर्ताओं के योगदान को प्रणाम करने का है जिनके त्याग, तपस्या और बलिदान से भाजपा आज इस मुकाम तक पहुंची है। भाजपा को मिले यश और कीर्ति के असली हकदार वे ही हैं।
आज भारतीय राजनीति में अन्य दल जहां क्षरण और पतन की ओर अग्रसर होकर लोकतंत्र में शून्यता का भाव भर रहे हैं, वहीं भारतीय जनता पार्टी इस शून्य को अपने राष्ट्रवादी विचार से पूरित करते हुए राष्ट्र निर्माण की ओर अग्रसर है। मैं व्यक्तिगत रूप से संगठन का ऋणी हूं कि उसने मुझ जैसे छोटे से कार्यकर्ता को राष्ट्र की सेवा का महती अवसर प्रदान किया। और एक अकिंचन कार्यकर्ता के भाव से ही मैं संगठन और कार्यकर्ताओं को बारंबार प्रणाम करते हुए यह कहना चाहूंगा कि-
“संगठन गढ़े चलो, सुपंथ पर बढ़े चलो,
भला हो जिसमें देश का, वो काम सब किये चलो”
( लेखक : भाजपा मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष हैं )