सीहोर। अभी महाराष्ट्र में जो लेटर बम फूटा है उसकी उठी लपटे शांत भी नही हुई है,की महाराष्ट्र मामले जैसा तो नही लेकिन इन दिनों सीहोर एवं आष्टा में निजी चिकित्सालयो में हुई 2 मौत के बाद से ही प्रशासन,पुलिस,स्वास्थ विभाग नाराज पीड़ितों,नागरिको के रडार पर है। सीहोर-आष्टा में घटी उक्त घटना के बाद कुकरमुत्तों की तरह खुल रहे प्राइवेट अस्पतालों को लेकर एक पत्र ने स्वास्थ विभाग पर कई बड़े बड़े प्रश्न खड़े कर इस फूटे लेटर बम ने स्वास्थ विभाग की कार्यप्रणाली पर कई सवाल स्वास्थ विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के समक्ष खड़े कर दिये है। लेकिन ये लेटर बम फुट चुका है और इस लेटर में जो मुद्दे उठाये गये है,जो प्रश्न बड़े अधिकारियों को संज्ञान में लेने के लिये खड़े किये है,उसके जवाब एवं उठाये गये मुद्दों का क्या निराकरण हो,निराकरण कौन करेगा,दो हुई मौत जैसी या अन्य कोई छोटी बड़ी घटना फिर जिले में किसी भी निजी अस्पताल में घटी तो उसका दोष किसे दिया जायेगा.?, उसका जिम्मेदार कौन होगा.? सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ विभाग के ही एक अधिकारी ने अपने बड़े अधिकारी को ये पत्र लिखा है। जिसमे लिखा है की नित प्रतिदिन निजी अस्पताल खोले जा रहे है,खुल रहे इन अस्पतालों में कई कमियां देखी जा रही है,ये नये अस्पताल खुल तो रहे है,लेकिन जिस स्थान पर नित प्रतिदिन खुल रहे अस्पतालों की अनुमति से लेकर अन्य किसी भी प्रकार की कोई जानकारी जिन्हें होना चाहिये, उन्हें नही है,ये बात वाकई में घोर आश्चर्य की है.? नित नये खुल रहे इन निजी अस्पतालों में क्या सेवाएं दी जानी है,किन मापदंडों के अनुसार ये नये खुल रहे अस्पताल संचालित होना चाहिये,किन मापदंड के अंतर्गत अस्पताल संचालित किये जा रहे है की ऊपर से नीचे कोई जानकारी नही दी जाती है। स्वास्थ विभाग के इस लेटर बम में लिखा है की
?खुले निजी अस्पतालों में गहन “सर्जरी” की जा रही है,सर्जरी के बाद मरीज को केयर हेतु आयुष डॉक्टर के भरोसे छोड़ दिया जाता है।
?खुले निजी चिकित्सालयों में प्रसव के बाद नवजात शिशुओं की सुरक्षा हेतु कोई शिशु विशेषज्ञ नही होने पर इन शिशुओं को गम्भीर स्तिथि में सरकारी अस्पताल के लिये रेफर कर दिया जाता है,मतलब मीठा मीठा गप गप-कड़वा कड़वा थू थू अर्थात भुगते सरकारी अस्पताल के जिम्मेदार
? खुले निजी अस्पतालों में जो बायो मेडिकल वेस्ट सामग्री निकलती है,उसके प्रबंधन की इन नित नये खुल रहे अस्पतालों में कोई ठोस व्यवस्था नही है।
लिखे इस लेटर बम में स्पष्ट लिखा है,इन सभी वा अन्य कमियों के कारण अगर कोई घटना,दुर्घटना घटती है तब पीड़ितों के निशाने पर छोटे अधिकारी आते है। पत्र में स्पष्ट लिखा गया है की अगर कोई भी आकस्मिक घटना,दुर्घटना,लापरवाही होने पर छोटे अधिकारियों की कोई जवाबदेही कैसे होगी, जो उसके अधिकार क्षेत्र में दिया ही नही गया हो,तो उसकी जवाबदेही भी छोटे अधिकारी की क्यो.?
अब देखना है ये “लेटर बम” क्या रंग दिखाता है, क्या कोई सुधार होता है,क्या नये सिरे से जिम्मेदारियों का निर्धारण होगा,क्या पत्र में खुल रहे निजी अस्पतालों में जिन कमियों की ओर ध्यान दिलाया गया वे कमियां दूर होती है या आम नागरिक,गरीब यू ही दुख भोगता रहेगा..?