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आष्टा। संगीत कला का देश ही नही वरन दुनिया मे नाम है। आज पूरे विश्व में संगीत के क्षेत्र में भारत की पहचान अमिट है। शास्त्रीय संगीत से लेकर आधुनिक संगीत को लेकर देश ही नही दुनिया में भी नाना प्रकार के प्रयोग हो रहे है। विदेशो में भारतीय संगीत रोगियो के उपचार में भी काम आ रहा है। जब भारत देश से कोई कलाकार या छात्र विदेशो में संगीत की दुनिया में कदम रखता है तो उसे बड़े सम्मान की नजरो से देखा जाता है, वहा के छात्र ही नही बल्कि शिक्षक भी भारत की संगीत कला को एक आदर्श मानक के रूप में सम्मान देते है। यह कहना है किलेरामा गांव के शुभम परमार का जो कि अमेरिका के केलिफोर्निया प्रांत के लॉसएन्जिलिस विश्वविद्यालय के म्यूजिशियल इंस्टीटयूट में अध्ययनरत है। शुभम पिछले एक वर्ष से अमेरिका में संगीत के क्षेत्र में अपना केरियर बना रहे है, वह स्वंय अग्रेंजी में गीत लिख कर अंग्रेजी में ही गाते है और इसके पीछे उनका अथक परिश्रम है, साथ ही में भारत की संगीत शिक्षा पद्धति का आधार भी है। किलेरामा गांव के छोटेलाल परमार एवं श्रीमती मीता परमार के होनहार सुपुत्र शुभम ने मुम्बई विश्वविद्यालय से संगीत की शिक्षा प्राप्त की है।

स्नातक की परीक्षा में उच्चतम अंको से उत्तीर्ण करने पर उनकी प्रतिभा को देखते हुए ही उन्हे अमेरिका के विश्वविद्यालय में प्रवेश मिला है। इसका सारा श्रेय वह अपने माता पिता को देते है। आज जब हर नौजवान डाक्टर या इंजीनियर बनने में लगा है ऐसे में संगीत के क्षेत्र में कुछ नया कर गुजरने की शुभम की ललक देखते ही बनती है। अमेरिका से किलेरामा गांव आने पर शुभम व उनके माता पिता का साल श्रीफल से स्वागत व सम्मान पूर्व नपाध्यक्ष कैलाश परमार, प्रदीप प्रगति, सुरेन्द्र परमार एडवोकेट, वीरेन्द्र परमार एडवोकेट एवं दिव्यांश प्रगति ने किया एवं शुभम के उज्जवल भविष्य की कामना भी की।

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