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आष्टा।अभी तक तो एक अधिकारी के बारे में सुना था की वे जब गुस्से में होते है तो, भोपाली भाषा मे शुरू हो जाते है, लेकिन अब तो वे इतने बेलगाम हो गये है की वे अब पजामे से बहार आ जाते है। ऐसा नही है कि ये अधिकारी महाशय अपनी हरकतों से अभी अभी चर्चा में आये हो। ये महाशय आष्टा अनुविभाग में अपने हाथों की खुजली मिटाने की ललक के कारण लम्बे समय से चर्चा में है। अब फिर एक नये कारण से,की गई नई हरकत के कारण चर्चा में है। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार अब तो ये अधिकारी महाशय पजामे से ही बहार हो गये है,सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार आज कल ये लम्बे समय से अपने कार्यो,क्रियाकलापो से सुर्खियों में रहने के कारण चिंतित और परेशान रहते है,लेकिन जिस हाथों की खुजली मिटाने की ललक के कारण ये लम्बे समय से चिंतित और परेशान है,उनकी ये भूख ना जाने क्यो शांत नही होती है,जब किसी को तेज भूख लगती है,ओर ऐसे समय मे अगर उसे भोजन ना मिले तो व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है। यही कारण है की दो-तीन दिन पूर्व इस चिड़चिड़े हुए महाशय के चेम्बर में एक ग्रामीण आम नागरिक पहुच गया,पहुचे इस ग्रामीण को ऐसा लगता है की उसके यहा जो निर्माण कार्य हुए है उसमें कुछ गड़बड़ी है,इसकी पड़ताल के लिये उक्त अधिकारी के चैम्बर में पहुच पीड़ित ग्रामीण जैसे ही पहुचा, उसे अपने चैम्बर में देख किस्मत-भाग्य से लोगो को न्याय देने,लोगो के कार्य करने,लोगो की सेवा करने मिली कुर्सी पर आसीन महाशय आग बबूला हो गये,शायद आये व्यक्ति के बारे में किसी ने महाशय को पहले से ही जानकारी दे रखी होगी क्योंकि ऐसा नही है की राजा के चारण-भाट राजाओं के जमाने मे ही हुआ करते थे,आज राजा तो नही है इस लिये चारण भाटों का स्थान चापलूसों ने ले लिया है।

ये घुंघरू जो बजते नही……..

उन्होंने महाशय को पहले से ही कही कोई,कुछ बात हुई होगी वो अवगत करा दी होगी।
चैम्बर में पहुचे ग्रामीण व्यक्ति ने बताया वो अपनी पंचायत में जो कार्य हुए,उन कार्य के जो मस्टर भरे गये है,जिन मजदूरों को भुगतान किया है उसकी सूचना के अधिकार के तहत जानकारी चाहिये ये कह कर पीड़ित ने आवेदन महाशय की ओर बढ़ा दिया,अगर मामला सब कुछ दूध की तरह सफेद होता तो महाशय ने आवेदन ले लिया होता,लेकिन जैसे ही उन्होंने सुना की मस्टर की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत चाहिये महाशय का पारा चढ़ गया,गुस्से में आग बबूला हो गये, इतना ही नही वे अपनी कुर्सी से उठे,अपने चेम्बर में आये ग्रामीण व्यक्ति का गिलेवान पकड़ा,भोपाली भाषा गुनगुनाते हुए उसे गिलेवान पकड़ कर अपने चैम्बर के गेट तक लाये ओर धक्का देकर उसे अपने चैम्बर से बहार धकेल दिया,बहार जिसने भी यह सब देखा उन्हें कतई विश्वास नही हुआ की साहब ये सब भी करते है,उन्हें साहब की इस नई विधा के साक्षात आज दर्शन हो गये। साहब भले ही अपने पद के मद में मदमस्त हो,लेकिन जो व्यक्ति चैम्बर में गया था,वो भले ही साहब जितना पढ़ा लिखा ना हो,लेकिन उसकी समझ की दाद देना होगी क्योंकि उसे मामूल है की किसी भी शासकीय अधिकारी कर्मचारी से उसके कार्यालय में या कही भी आम नागरिक किसी तरह की कोई अभद्रता,बदसलूकी नही कर सकता है,ओर ना ही किसी को ऐसा करना चाहिये.!साहब ताव ताव में जो नही करना चाहिये वो कर तो चुके है,अब घबराहट में भी है…! अब देखते है इस मामले को क्या उच्च अधिकारी संज्ञान में लेते है या….!

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