आष्टा ।आज की पावन बेला में हर्षोल्लास, उमंग से भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण महोत्सव,नव वर्ष संवत 2551 तथा दीपावली का पर्व मुनि संघ के पावन सानिध्य में मनाया गया। सभी मंदिरों में निर्वाण लाडू चढ़ाकर सभी ने एक दूसरे को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहा कि जैन दर्शन मरण कला भी सीखाता है, जिसमें मृत्यु को महोत्सव के रूप में मनाने की बात भी कही है।
सच्चा मार्ग वहीं है जिस पर वीर लोग चलते हैं। केवल्य ज्ञान प्राप्त किया। महावीर भगवान का अंतिम शरीर जन्म-मरण से मुक्त होकर सिद्ध शीला पर विराजमान हो गया।
मुनिश्री ने कहा आप सभी भी वर्तमान शासन नायक भगवान महावीर स्वामी के सिद्धांतों एवं उनके बताए हुए मार्ग पर चल कर आत्म कल्याण कर सकते है। मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने कहा संसार से ऊपर उठने के लिए तपाकर आगे बढ़ना होगा। भगवान महावीर ने स्वयं में स्वयं को ढूंढा।
आठ गुणों को आपने आज प्राप्त किया। महावीर बनने के लिए महावीर के पथ पर चल कर उनके समीप आना होगा। जिंदगी जीना आसान नहीं …..बिना हथोडी की चोट के पाषाण परमात्मा नहीं बनते। लक्ष्य बनाओं की पुरुषार्थ कर मोक्ष को प्राप्त करना है।
पाठशाला में अपने बच्चों को धर्म और संस्कार से जुड़ने के लिए अवश्य भेजें।मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज ने कहा हर जलते दीपक के नीचे अंधेरा होता है और अंधेरी रात के पश्चात उज्जियारा होता है।
भव्य आत्मा लक्ष्य को प्राप्त करती है। आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज के जाने के पश्चात सभी व्यक्ति दुखी इस लिए थे कि अब हमें ज्ञान कौन देगा।एक मोक्ष लक्ष्मी है और दूसरी आपके घर की।
अमंगल दिन को भगवान महावीर स्वामी ने मंगल बना दिया। कार्य अच्छे हो तो हर काम अच्छे। अर्थी उठने से पहले अर्थ को समझ लेना चाहिए। भगवान महावीर स्वामी ने काली रात को भी प्रकाशित कर दिया। मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज ने कहा स्वाध्याय के प्रति साधु और स्वाध्याय के प्रति यहां के समाज का बहुत लगाव।
ऐसा लगाव हमें बड़ी -बड़ी जगहों पर नहीं दिखा। पूरे चातुर्मास में स्वाध्याय के लिए काफी संख्या में समाज के श्रावकगण नित्य आते रहे।आज भगवान महावीर संसार के जन्म मरण से मुक्त हुए थे और हम चारों मुनिराज आगम के बंधन से मुक्त हो गए। आष्टा की आस्थावान नगरी में हमें चातुर्मास करने का अवसर मिला, काफी क्षेत्रों से चातुर्मास हेतु विनती थी।
आप लोगों का पुण्य भारी था। पाठशाला के माध्यम से बच्चे संस्कारित होगें। पाठशाला जैन समाज व धर्म की रीढ़ की हड्डी है। बच्चों को धर्म से पाठशाला जोड़ती है। स्वतंत्र और स्वलंवी पाठशाला हो। सभी को सहयोग करना चाहिए। बुढ़ापे को सुधारने हेतु बच्चों को पाठशाला भेजकर अपने बच्चों को संस्कारित करें। सरस्वती स्कूल और पाठशालाओं में संस्कार सिखाएं जाते हैं।
मुनिश्री निष्प्रह सागर महाराज ने अपनी चार लाइन के माध्यम से सभी को मंत्रमुग्ध किया। वहीं मुनिश्री निष्काम सागर महाराज ने कहा कि आज ही के दिन भगवान महावीर स्वामी मोक्ष गए थे।आज से हम चारों मुनिराज का चातुर्मास समाप्त हो गया है।चार घातिया कर्मों का नाश कर जीवन मरण से महावीर स्वामी को मुक्ति मिली। समोशरण में जियो और जीने दो का संदेश महावीर स्वामी ने दिया था। 2550 वां निर्वाण दिवस पूर्ण होकर 2551 भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस प्रारंभ हुआ।
मुनिश्री निष्काम सागर महाराज ने आगे कहा पंचम काल में धर्म के मर्म को समझने वाले बहुत कम बुद्धि शाली लोग होंगे। घर – घर गरीबों को जैन समाज ने उपहार स्वरूप सामान मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज की प्रेरणा से दिया गया। उन गरीबों के घरों में यह पर्व मनाया गया।निश्चित उनके चेहरे पर जो प्रसन्नता देखी गई वह लाखों रुपए देकर आप नहीं प्राप्त कर सकते और ना ही उनकी दुआएं।महावीर स्वामी के संदेश को समाज ने अमली जामा पहनाया।
गरीब बस्तियों में जाकर प्रभावना दी गई।उन गरीबों की आंखों से आंसू निकल आए। शनिवार 3 नवंबर को चातुर्मास कलश के लाभार्थियों को कलश वितरित किए जाएंगे। श्री चंद्र प्रभ गंज मंदिर में शांति धारा के लाभार्थी महेश कुमार प्रणय कासलीवाल, राजेंद्र कुमार नरेन्द्र गंगवाल परिवार रहें।
किला मंदिर पर निर्वाण लाडू के लाभार्थी डॉ राजेन्द्र कुमार ,नयन, अंकित जैन वर्द्धमान परिवार, बसंतीलाल नेमीचंद जैन श्रीमोड परिवार तथा संजय जैन किला रहे।श्री श्वेतांबर जैन समाज ने श्री महावीर मंदिर गंज,श्री नेमिनाथ आष्टा तीर्थ एवं श्री सीमंधर जिनदत्त धाम दादावाड़ी पर निर्वाण लाडू चढ़ाया।
“चंद्र प्रभु दिगंबर जैन मंदिर अरिहंत पुरम में विराजमान विनंद सागर जी महाराज ने कहा
वर्धमान के आदर्शों को वर्तमान में लाने की आवश्यकता – मुनिश्री विनंद सागर”
हम वर्तमान शासन नायक भगवान महावीर स्वामी जी का 2551 निर्वाण उत्सव मना रहे हैं । भगवान के निर्वाण को 2550 वर्ष हो चुके है और इस इस समय अवधि में कल के प्रभाव के कारण कई विसंगतियां आ चुकी हैं । इस अवस्था के कारण हम लोग अपने लक्ष्य से भटक रहे हैं । हमें अपने जीवन में भगवान महावीर स्वामी जी के आदर्शों को लाने की आवश्यकता है ।
प्रत्येक जीव पर करुणाभाव रखते हुए उनको अभय दान दें, जियो और जीने दो का संदेश इसी परिप्रेक्ष्य में भगवान महावीर स्वामी ने दिया है। वर्तमान की विडंबना है कि हम भगवान महावीर स्वामी के अनुयाई होते हुए भी उनके आदर्शों को भूल चुके है ।
यदि आज भी हम महावीर के आदर्शों का पालन करें तो हम भी वही प्राप्त कर सकते हैं जो महावीर स्वामी भगवान ने प्राप्त किया है । आज का दिवस गोल्डन जुबली के समान है क्योंकि आज हम 2550 वॉ निर्वाद उत्सव मना रहे हैं ।
इस अवसर पर शैलेन्द्र जैन,राजेंद्र जैन, सुनील जैन, अनिल जैन लक्ष्यपति परिवारों द्वारा जिनेंद्र भगवान की शांति धारा का सौभाग्य प्राप्त किया एवं समाज के सभी बंधुओ ने मंदिर में पूर्ण भक्ति भाव से महावीर विधान किया एवं भगवान का निर्वाण उत्सव निर्माण लाडू चढ़कर मनाया गया। भगवान के निर्वाद उत्सव के उपलक्षय में 2550 दीपकों नंद्यावर्त स्वास्तिक में सजाकर वर्तमान शासन नायक की आरती की गई ।
इसी मध्य भक्तामर परीक्षा में उत्तीर्ण प्रथम श्रीमती निधि नीरज जैन, द्वितीय श्रीमती श्वेता अजय जैन, तृतीय श्रीमती मोना राजेंद्र जैन एवं श्रीमती सोनिका अमित जैन को समाज द्वारा पुरस्कृत किया गया । दीपावली के शुभ दिन मुनिश्री का आहार कराने का सौभाग्य श्री शैलेंद्र जैन परिवार को प्राप्त हुआ । तीन जलते हुए दीपक की तीन श्रावकों के हाथ में विधि से मुनिश्री का पढ़गाहन हुआ ।