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आष्टा । मंडी बोर्ड के किसी नियम में यह, कहीं उल्लेख नहीं है कि मंडी परिसर के अंदर नीलम हुई कृषि उपज खरीददार अपने किसी अन्य परिसर में मंडी के बाहर ले जा कर मंडी नीलामी में खरीदे गए माल को तुलवाले के लिए मंडी से बाहर भेजे ओर ना ही वो किसान को इसके लिये बाध्य कर सकता है । लेकिन आष्टा कृषि उपज मंडी में चंद व्यापारी माल की खरीदारी तो मंडी प्रांगण में होने वाली नीलामी में करते हैं । लेकिन बड़ी मात्रा में खरीदा गया माल मंडी परिसर से बाहर जाकर उनके अन्य परिसरों में तुलता है ।

मंडी से बहार माल तुलने जाने के कारण किसान को अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है। इसको लेकर अब भारतीय किसान संघ ने किसानों पर इसके बदले जो अतिरिक्त खर्च का बोझ पड़ रहा है उसको लेकर आवाज उठाई है । इस गम्भीर विषय को लेकर भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष राकेश वर्मा ने आष्टा मंडी सचिव श्रीमति प्रवीण चौधरी से चर्चा कर इस व्यवस्था को सुधारने की मांग करते हुए पूछा कि जब मंडी में माल नीलम होता है तो उसकी तुलाई भी मंडी में ही हो,जो व्यापारी खरीदा माल मंडी से बहार अपने अन्य परिसरों में तुलवाने भेजते है उसके कारण हमारे किसान भाईयों को जो अतिरिक्त खर्च का बोझ पड़ता है या तो वो किसान को व्यापारियों से दिलवाया जाये या मंडी में ही खरीदा माल तोला जाये। किसान संघ के अध्यक्ष राकेश वर्मा ने इसको लेकर हमे बताया की जिन किसानों का माल बहार तुलने/खाली होने जाता है । अगर उनके साथ कुछ भी घटना दुर्घटना,लूट आदि होती है तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी.! इसका कोई जवाब मंडी सचिव के पास नही था। किसान संघ ने यह भी मांग की है की कृषि उपज की तोल बड़े कांटे पर ही कराई जाये। नई मंडी में सुविधाए विकसित कर नीलामी नई मंडी में ही शुरू करे।


जब इस संबंध में मंडी सचिव श्रीमति प्रवीण चौधरी से हमने चर्चा कर नियम में क्या है तब उन्होंने बताया कि नियम तो ये है की मंडी में नीलाम हुई उपज मंडी में ही तुले। बहार तुलने,खाली कराने का कोई नियम नही है। लेकिन आष्टा मंडी में स्थान की कमी है,सीजन में रिकार्ड आवक होती है,मंडी के अंदर बहार जाम लग जाता है। इसलिये मंडी को सुचारू रूप से चलाने का सोच है,क्योकि हमे मंडी के चारो पहियों का ही ध्यान रखना पड़ता है। जो भी व्यवस्था है उसके पीछे हमारा सोच यही है कि किसान व्यापारियों को परेशानी ना हो। वही इन दिनों एक ओर बड़ा मुद्दा चर्चा का केंद्र बना है की पूर्व में सीजन में इस मंडी में 35 से 40 हजार कुंटल की नीलामी तोल इस मंडी में हुई है उस वक्त भी मंडी प्रांगण यही था,व्यापारी भी यही थे। आज भी ये ही सब कुछ है केवल मंडी सचिव नये है। लेकिन मंडी में मात्र 25 से 30 हजार कुंटल उपज ही नीलम होती है,शेष करीब 5 से 10 हजार के अंदर उपज नीलाम नही हो पाती ये उपज बाद में या तो आउट में बिक जाती है या दूसरे दिन नीलाम होती है। क्या ये आउट का एक बड़ा खेल तो नही है.? अगर ऐसा है तो मतलब घर का धनी ही घर को नुकसान पहुचा रहा है,मतलब कही ना कही,किसी ना किसी को लाभ.? मंडी बोर्ड एवं प्रशासन को चाहिए कि कोई ऐसी व्यवस्था डेवलप करें की जितना माल मंडी में आए वह नीलाम हो जाए ।

“तुलनात्मक जानकारी में 32% अधिक माल मंडी में आया”

चर्चा में मंदी सचिव श्रीमति प्रवीण चौधरी ने पिछले एवं वर्तमान सीजन में उपज का तुलनात्मक आवक का आंकड़ा बताते हुए जानकारी दी कि पिछले वर्ष 1 मार्च 2023 से 16 मार्च 2023 तक मंडी में 2 लाख 25 हजार 438 कुंटल उलझ आई थी इसकी तुलना में इस ही पीरियड में इस बार सीजन में 2 लाख 97 हजार 924 कुंटल (32% अधिक) उपज आई है।

इस मामले में मंडी व्यापारी संघ के अध्यक्ष रूपेश राठौर ने प्रेस को बताया की वर्तमान में जिस मंडी में अभी कार्य होता है उस मंडी का परिसर छोटा है,इस कारण ज्यादा खरीदी करने वाले व्यापारी माल बाहर वाले स्थान पर किसानों की नीलामी की उपज एक साथ तुलवाई जाती है।जगह की व्यवस्था होने के पश्चात एक दाना भी मंडी से बाहर नहीं जाएगा।

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