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आष्टा। धर्म बहुत लंबा और कल्याण कारी है।हम पंथवाद में उलझकर मूल धर्म को भूल गए। धर्म और धर्म क्षेत्र में दुःख नहीं है।अर्थ का काम करने के बाद धर्म की शरण अवश्य लें। भगवान अजीत नाथ ने धर्म तीर्थ बनाए । उनकी शरण लेने से कल्याण होता है। धर्म एक ही होता है। उनके ग्रंथ भी भाव तीर्थ के समान है।

भगवान से अधिक शास्त्र व गुरु को माने।आज ग्रंथों की अवहेलना अधिक हो रही है। ग्रंथ को व्यवस्थित रखें,गीले हाथों से जिनवाणी खोलते हैं तो कर्म बांधते हैं।सूर्य का व्यापक उजाला रहता है,दीपक का उजाला सीमित रहता है। धर्मात्मा अनेक लेकिन धर्म एक है। किसी के धर्म से तुलना न करें। धर्म काफी विस्तृत है। सूर्य और दीपक के उजाले में अंतर है। कर्म कलंक का नाश हुए बिना सम्यकज्ञान नहीं। धर्म क्षेत्र में सीमा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।


उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर मुनि भूतबलि सागर महाराज एवं मुनि सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं। मुनि भूतबलि सागर महाराज ने कहा अगर डॉक्टर के पास नहीं जाना है तो शुद्ध भोजन करें। विवेक नहीं है, इसलिए कल्याण नहीं हो रहा है। भव्य जीव हो जिनवाणी श्रवण कर आत्म कल्याण करें।

दुर्लभ से दुर्लभ मनुष्य भव मिला है। कर्म क्षेत्र में आने पर उत्थान होगा।जागो वीरों की संतान।आज अनेक माता-पिता अपनी संतानों को लेकर रो रहे हैं । मुनि सागर महाराज ने कहा मात्र जाप से नहीं बल्कि उनकी शरण में आकर अजीत नाथ भगवान जैसे बने।सम्यकत्व आते ही शत्रुता मित्रता नहीं।आपस में मैत्री भावना होनी चाहिए।

अजीत नाथ भगवान के गुण अपने में भी आएं।पंच कर्म से मुक्त और आठ गुणों युक्त ब्रह्म है।राग रुप का होता है और अनुराग गुण का होता है। हमारे साधु राग – द्वेष रहित होते हैं। रोटी, कपड़ा और मकान को सब कुछ मत समझो। सभी भगवान में एक जैसे गुण है। भगवान के विधान का अनुशरण नहीं कर रहे, इसलिए कल्याण नहीं। बिना निमित्त के सफलता नहीं। भक्ति खराब हो सकती है, भक्तांबर गलत नहीं है।

जो हमें साधन मिले हैं वह साधना करने के लिए। तीसरे संभवनाथ भगवान सुख – शांति देने वाले हैं। आलोकिक वैद्य है। संभवनाथ भगवान को जो मानते हैं, उनको सुख संपत्ति मिलती है। आत्मिक रोग संभवनाथ भगवान ही दूर करेंगे। सांसारिक रोग डॉक्टर ठीक करते हैं।हम मूल उद्देश्य भूल कर लौकिक में उलझ गए।

गुरुकुल में पहले फीस नहीं लेते थे। पहले के वैद्य उपचार भी फ्री करते थे।हम शरीर को नहीं समझ पा रहे तो आत्मा को कैसे पहचानोगे। अस्पताल नहीं खुले,ऐसे काम करें। मंदिर ही अस्पताल और गुरुकुल है।

“आचार्य विद्यासागर महाराज के स्वास्थ्य लाभ हेतु दो दिनों तक णमोकार महामंत्र का किया जाप”

आष्टा। परम पूज्यनीय संत शिरोमणी धरती के देवता आचार्य परमेष्ठि भगवंत गुरुदेव श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हेतु दो दिनों तक एक – एक घंटे का णमोकार महामंत्र का जाप श्री जय जिनेंद्र महिला मंडल द्वारा

श्री 1008 चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर गंज में रात्रि 8 बजे से 9 बजे तक किया गया। दो दिनों तक एक – एक घंटे का अखंड सामूहिक णमोकार महामंत्र जाप अनुष्ठान का आयोजन भगवान के दरबार में श्री चंद्रप्रभु मंदिर गंज में श्री जय जिनेंद्र महिला मंडल द्वारा किया गया ।

जिसमें जय जिनेंद्र महिला मंडल के अलावा अन्य श्रावक -श्राविकाओं ने शामिल होकर संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हेतु मंगल भावना भगवान से कर आरती भी भक्ति भाव से की। विदित रहे कि आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज का स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है, आप डोंगरगढ़ में विराजमान है।

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