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आष्टा । एक समय था जब सीहोर जिले में ही नहीं वरन पूरे भोपाल संभाग में आष्टा के शासकीय महाविद्यालय का अनुशासन, शिक्षा का स्तर व अन्य शानदार गतिविधियों के रूप में इसको जाना और पहचाना जाता था ।

लेकिन न जाने किस दुर्जन की इस उच्च कोटि के महाविद्यालय को ऐसी काली नजर लगी कि आज उक्त शहीद भगत सिंह शासकीय महाविद्यालय आष्टा विगत कई महीनो से विद्यालय के शिक्षकों के दो गुटों की गंदी राजनीति तथा उस गुटीय राजनीति से जुड़े कुछ छात्रों के गुट ने इस शासकीय महाविद्यालय को अपनी गंदी,स्वार्थी राजनीति को चमकाने,

अपने-अपने स्वार्थ को सिद्ध करने तथा चासनी वाले पद पाने की लालसा ने आष्टा के इस उच्चकोटि के महाविद्यालय की प्रतिष्ठा को दांव पर लगा दिया। मोर शासन के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जो आज मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री है डॉ मोहन यादव जो इस कॉलेज की हर एक मामले से जो,यहा जो जो भ्रष्टाचार हुआ है, इस शासकीय महाविद्यालय की गंदी राजनीति, स्वार्थपूर्ण राजनीति एवं यहां जो भी कुछ हो रहा है,हो चुका है उससे वे भली-भांति परिचित है ।

उस वक्त के उच्च शिक्षा मंत्री जो आज मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए हैं,अब आष्टा नगर के नागरिकों को,इस कॉलेज में जो विद्यार्थी पढ़ रहे है उनके पालकों को अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री डॉ मोहन यादव से उम्मीद है कि वे इस कॉलेज की अवांछित गतिविधियों को संज्ञान में ले और एक बार आष्टा की पूरी सफाई कर इस शासकीय महाविद्यालय को बर्बाद होने से बचाये।

कॉलेज में जो कारनामे हुए है,जो 4 करोड़ के भ्रष्टाचार की शिकायतें हुई है,उस भ्रष्टाचार की गंगा में कौन कौन ने महास्नान किया,उसमे से कौन क्या कर रहा है,वो क्या चाहता है,भ्रष्टाचार की गंगा के जो दो किनारे जो यहा अपने अपने स्वार्थ के कारण जब जिस गुट का दांव लगता है वो अपनी राजनीति खेलने में कसर नही छोड़ता है इन सब के कारनामों का काला चिठ्ठा खुलवा कर कॉलेज की पूरी तरह से ऐसी सफाई कर दे ताकि जो बच्चे यहा केवल पढ़ कर अपना भविष्य बनाना चाहते है वे अपना भविष्य बना सके।

इस महाविद्यालय में जिनके कारण जो कुछ हुआ,जो कुछ अभी भी हो रहा है,थमा नही है उसकी जड़ पर प्रहार कर समस्या को जड़ से ही खत्म करें तो ही यह कालेज अपने पुराने स्वरूप में बहाल हो सकता है। ओर इसके लिये क्यों ना इस पूरे कॉलेज की एक बार अच्छे से सफाई कर दी जाए ताकि यहां पर अध्यनरत सैकड़ो छात्र-छात्राएं जो अपना भविष्य बनाने के लिए इस महाविद्यालय में अध्यनरत है ।

उन पर यहां की गंदी राजनीति और स्वार्थ पूर्ण राजनीति का जो बुरा असर पड़ रहा है उससे वे मुक्त हो सके और अपने भविष्य का अच्छा निर्माण कर सके । स्मरण रहे कुछ माह पूर्व उक्त आष्टा के शासकीय महाविद्यालय में लंबे समय से जो भ्रष्टाचार का खेल चल रहा था जब भ्रष्टाचार का घड़ा भरा गया तो

पूर्व विधायक रघुनाथ सिंह मालवीय के द्वारा लगभग 4 करोड़ से अधिक के भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान को सा प्रमाण शिकायत के रूप में प्रस्तुत की गई । जिसे श्री शिवराजसिंह चौहान ने तत्काल संज्ञान में लेकर उच्च शिक्षा विभाग को जांच के निर्देश दिये।

तब भोपाल कमिश्नर खुद आष्टा कालेज पहुचे, विभाग ने जांच दल गठित कर शिकायतों की जांच शुरू की जिसमें शासकीय महाविद्यालय के प्राचार्य सहित तीन लोगों पर निलंबन की कार्रवाई हुई और वह कई महीनो तक भोपाल में अटैच रहे ।

इससे भी इस महाविद्यालय के दो गुटों में बाटे शिक्षकों का पेट नहीं भराया तब दूसरा गुट सक्रिय हो गया उसने अपना खेल खेला,एक प्रोफेसर पर एक महिला ने गम्भीर आरोप लगाये, उसकी जांच शुरू हुई,मामला थाने तक जा पहुचा,फिर एक गुप्त कैमरे से निगरानी का मामला उजागर हुआ इसमें एक प्रोफेसर के साथ एक छात्र नेता पर एफआईआर तक हुई।

फिर एक गुट सक्रिय हुआ उसकी जो हार्दिक इच्छा थी की वो उस कुर्सी पर बैठे जहाँ से चासनी चाटी जा सके,वो सफल हो गये ओर उस मीठी कुर्सी पर बैठ गये, अब कल फिर एक ज्ञापन दिया गया जिसमें मीठी कुर्सी पर कुछ समय के लिये बैठे व्यक्ति पर 10 लाख का खेला करने के आरोप के साथ उस पर गंभीर आरोप लगाये ओर उसे बर्खास्त करने की मांग की गई। लम्बे समय से एक गुट सक्रिय होता है,आरोप लगाता है या यूं कहो कि वो कंधे पर बंदूक रख कर चलवा देता है।

फिर दूसरा गुट मैदान में आ जाता है कई महीनों से कॉलेज में अंदर ओर बहार सह ओर मात का यही खेल चल रहा है। जो दो गुट है उसमें फायदा किसी को कुछ नही हो रहा है बस एक यही बात सुनने में नजर आती है “तेरी साड़ी मेरी साड़ी से ज्यादा सफेद क्यो”क्योंकि गुटों में बाटे शिक्षक एक दूसरे को बत्ती देने में जी जान से लगे हुए है। इसमें समय समय पर कुछ छात्र नेता भी शामिल हो जाते है,कई के कारनामे तो आष्टा थाने तक भी जा पहुंचे है। अब वर्तमान में इस कॉलेज की बागडोर एक महिला प्रोफेसर के हाथों में है,वे सख्त है,नियमो का पालन उनकी पहली प्राथमिकता में है।

वही अब कल फिर कॉलेज के कुछ छात्र छात्राएं कॉलेज के सहायक प्राध्यापक प्रवीण प्रजापति के खिलाफ मैदान में तैयारी के साथ आये,प्राचार्य को उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के नाम ज्ञापन सौपा ओर ज्ञापन में आरोप लगाये की 38 दिन के प्रभारी प्राचार्य प्रवीण प्रजापति ने उक्त कार्यकाल में करीब 10 लाख के फर्जी बिलो के माध्यम से बड़ा गबन किया है,उसके कार्यकाल में हुए भुगतानों की जांच हो एवं प्रजापति पर दो महिला प्राध्यापकों ने जो गम्भीर आरोप लगाये

उसको देखते हुए उन्हें पदमुक्त किया जाये। ऐसा लगता है कि अपनी स्वार्थ सिद्धि के कारण कुछ तत्व बच्चों का भविष्य भी दाव पर लगा रहै है । देखना है आष्टा का शासकीय महाविद्यालय की प्रतिष्ठा जो दिन प्रतिदिन अखबारों की सुर्खियों के साथ साथ प्रदेश में धूमिल हो रही है । क्या इस कॉलेज की बिगड़ती छवि को सुधारने के लिए सरकार संज्ञान लेगी।

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