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आष्टा । श्री मानस भवन में सोमवार से सात दिवसीय मानस सम्मेलन शोभा यात्रा के साथ प्रारंभ हुआ। श्री गायत्री मंदिर से निकाली गई शोभायात्रा नए बस स्टैंड बुधवार से होते हुए मानस भवन में पहुंची शोभायात्रा में राष्ट्रीय स्तर के साधु संत सम्मिलित हुए। शोभा यात्रा का जगह-जगह स्वागत किया गया साधु संतों के दर्शन व आशीर्वाद लेने के लिए लोग उत्साहित नजर आए।

सम्मेलन में आगामी दिनों में और अधिक साधु संत नगर में पधारेंगे। आष्टा के मानस भवन में श्री राम मानव संस्कृति एवं समाज कल्याण समिति के तत्वाधान में आयोजित मानस सम्मेलन 31 दिसंबर रविवार तक चलेगा। मानस सम्मेलन की प्रेरणा स्रोत ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री ओमप्रकाशानंद सरस्वती काशीपीठ है। शोभायात्रा में केसरिया ध्वज लेकर धर्म प्रेमी लोग आगे चल रहे थे बैंड की धुन पर मधुर भजन धुन चल रही थी।पीछे रथ पर गोरक्षा राष्ट्रीय अध्यक्ष महामंडलेश्वर श्री स्वामी रामेश्वर दास जी गुजरात परम पूजनीय साध्वी श्री अन्नपूर्णा गिरी जी उज्जैन पंडित श्री दीपक दास जी त्यागी आदि साधु संत विराजित थे।

“नारी के बिना घर में सुख नही”

सम्मेलन में महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वर दास जी ने कहा कि संत समाज में राष्ट्रीय चेतना को जागृत करने में अग्रणी है । हम सब को मिलकर हमारी भारतीय संस्कार और संस्कृति को चिरस्थाई बनाने में योगदान देना है । अयोध्या में भगवान श्री राम की 22 जनवरी को स्थापना होना है मुझे निमंत्रण मिला है मैं अपनी आंखों में आष्टा वासियों की छवि को लेकर जा रहा हूं । यह दर्शन आष्टा के धर्म प्रेमी लोगों के लिए होंगे आप सब 22 तारीख को अपने घर व मंदिरों में भगवान श्री राम का स्थापना उत्सव बनाएं।


इस अवसर पर द्वितीय वक्ता परम पूजनीय साध्वी वर्षा नागर ने कहां की जिस घर में नारी नहीं होती है उस घर में कभी सुख नहीं आ सकता । घर सब होते हैं पर घर को मंदिर बनाने का कार्य एक स्त्री ही करती है । उन्होंने तुलसीदास व उनकी पत्नी रत्ना के दृष्टांत को देते हुए पति के पत्नी के प्रति निष्कपट प्रेम का उदाहरण भी दिया उन्होंने कहा अपनी स्त्री से मिलने के लिए तुलसीदास जी ने सर्प को रस्सी समझ लिया और मृत शरीर को नाव समझकर नदी पार कर गए । यही स्त्री के प्रति अकाट्य प्रेम है। पूजनीय दीदी ने कहां की कलयुग में देवता और दानव दोनों एक ही शरीर में है सिर्फ आप अपने व्यक्तित्व का उपयोग किस रूप में करते हैं निर्भर इस पर करता है यदि साधु संगति सत्संग से जुड़े हैं तो मन पवित्र कर देवतुल्य हो सकते हैं स्वभाव में यदि क्रूरता है तो आप दानव का स्वरूप बन जाते हैं। कथा में वक्ता महत्वपूर्ण नहीं कथा में श्रोता मुख्य होता है वक्ता तो कोई भी बन सकता है पर श्रोता बनकर विचारों को ग्रहण करना यह सबसे बड़ा कार्य है।

सात दिवस इस मानस सम्मेलन में हम भगवान श्री राम के चरित्र को आप तक पहुंचाएंगे आप प्रतिदिन रामचरित्र के सुंदर स्वरूप को ग्रहण करें यह कथा मेरे लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके बाद मेरा गृहस्थ आश्रम को छोड़कर पूर्ण तरह से संत बन जाऊंगी तीन और चार जनवरी को आप सभी उज्जैन में सादर आमंत्रित है वहां मेरा पट्टाभिषेक होगा। संतों का स्वागत मंच पर आष्टा के सभी सामाजिक वरिष्ठ नागरिकों द्वारा किया गया स्वागत भाषण

मानस सम्मेलन के समिति के अध्यक्ष पंडित कन्हैया लाल शर्मा द्वारा किया गया साधु संतों का परिचय और संचालन पंडित डॉक्टर दीपेश पाठक द्वारा किया गया अंतिम आभार समिति के कोषाध्यक्ष भोलू सिंह ठाकुर द्वारा व्यक्त किया गया। शोभायात्रा में मानस भवन समिति के अध्यक्ष सत्यनारायण कमरिया सचिव राकेश सुराणा,अध्यक्ष मानव सम्मेलन समिति के अध्यक्ष कन्हैया लाल शर्मा, सूत्रधार प्रेम नारायण शर्मा, सचिव हरिनारायण शर्मा, प्रभारी दिनेश सोनी, सकल समाज के अध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव, संयोजक सुरेश सुराना, बीएस वर्मा, रामेश्वर खंडेलवाल, मधु परमार, सुरेश चंद जोशी, प्रदीप धारीवाल, मनोहर साहू, मनोज ताम्रकार,लखन विश्वकर्मा नरेंद्र कुशवाहा,कमल ताम्रकार, विश्राम सिंह ठाकुर आदि गणमान्य धर्म प्रेमी जनता व माता बहने अनेक संख्या में उपस्थित थी।

“इनके होंगे प्रवचन”

मानव सम्मेलन समिति के सदस्यों ने बताया कि प्रतिदिन दोपहर एक से शाम 5:00 बजे तक साधु संतों के प्रवचन होंगे 31 दिसंबर तक होंगे जिसमे परम पूजनीय साध्वी अन्नपूर्णा गिरी जी प्रतिदिन प्रवचन करेंगी। परम पूजनीय पंडित श्याम मनावत उज्जैन 26 से 27 दिसंबर तक प्रवचन करेंगे परम पूजनीय दीदी अर्चना दुबे इंदौर 29 से 31 दिसंबर तक प्रवचन देगी परम पूजनीय संत साधु विमल सेवादास जी इंदौर 27 दिसंबर को प्रवचन देंगे।

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