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आष्टा। आज आष्टा के शमशान में एक ऐसा नजारा देखने को मिला जिसे,जिसने भी देखा उसने इस नजारे को देखने के बाद ये ही कहा की यह मूक पशुओं के प्रति जीवदया का अनूठा उदाहरण है।

मामला यह है की आज आष्टा में श्वेताम्बर जैन समाज के सदस्य श्री सागरमल चोरड़िया की धर्म पत्नि एवं दवा व्यापारी मनीष,प्रफुल्ल चोरड़िया की माताजी श्रीमती नेम कुमारी चौरड़िया (नेमा बेन) का दुखद निधन के बाद निकली अंतिम यात्रा जब स्थानीय मोक्षधाम पहुची।

अंतिम संस्कार में शामिल गौमाता, जीवदया का ये है प्रेम

तब एक गौमाता भी शमशान घाट पहुच गई। वो तब तक उपस्तिथ रही, जब तक मृतक नेम कुमारी चोरड़िया का अंतिम संस्कार पूर्ण ना हो गया तब तक वो गौमाता अंतिम संस्कार कार्यक्रम सम्पन्न नही हुआ।

पंच लकड़ी, कपालक्रिया तक गौमाता रही उपस्तिथ

अंतिम संस्कार के दौरान कुछ लोगो ने उक्त गौमाता को शमशान घाट से भगाना भी चाह लेकिन वो वहां से टस से मस नही हुई। जब परिजनों ने मृतक को मुखाग्नि दी उसके बाद शवयात्रा में शामिल नागरिक परिसर में बैठे तब उक्त गौमाता भी नागरिको के बीच बैठी रही। आज ये वाकिया वास्तव में उक्त अंतिम यात्रा में चर्चा का विषय बना रहा।

नागरिको के साथ शमशान में बैठी रही गौमाता

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