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आष्टा । मप्र में चुनाव की घोषणा होने के बाद राजनीतिक दलों ने अपने अपने प्रत्याशियों के चयन उनके नामो की घोषणा की प्रक्रिया तेज करने के साथ कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा करने में बाजी मारी थी। जबकि संगठन स्तर पर बूथ लेबल तक संगठन को संगठित करने में भाजपा कांग्रेस से काफी आगे रही। चुनावो की तिथि घोषित होने के बाद नाम वापसी से प्रचार प्रसार का दौर शुरू हुआ,आज की स्तिथि में प्रचार प्रसार में भाजपा कांग्रेस से काफी आगे नजर आ रही है।

गोपासलसिंह इंजीनियर भाजपा प्रत्याशी

आष्टा विधानसभा क्षेत्र में पूर्व में जो तीन चुनाव विधानसभा के हुए उसमे हमेशा त्रिकोणीय मुकाबला हुआ जिसने त्रिकोणीय स्तिथि निर्मित की वो ही हमेशा भाजपा की जीत ओर कांग्रेस की हार का कारण बना था। लेकिन इस बार चुनाव में कही से किसी भी तरह त्रिकोणीय मुकाबला नजर नही आ रहा है। इस बार सीधा मुकाबला भाजपा के गोपालसिंह इंजीनियर एवं कांग्रेस के कमलसिंह चौहान में है। वैसे मैदान में बसपा और सपा भी है,लेकिन आष्टा क्षेत्र में इन दोनों दलों का कोई असर नही है,दोनों दल उपस्तिथि जरूर दर्ज करायेंगे।

कमलसिंह चौहान कांग्रेस प्रत्याशी

आष्टा जो कमल निशान का गढ़ रहा है । 1977 से 20018 तक हुए चुनाव में केवल एक बार कांग्रेस यह से जीती थी,शेष सभी चुनाव में आष्टा ने कांग्रेस को पटकनी दी है। राजनितिक लोग आष्टा को भगवा का गढ़ मानते है। नाम वापसी के बाद से शुरू हुए चुनाव प्रचार में भाजपा कांग्रेस से काफी आगे नजर आ रही है।

वही दो दिनों पूर्व कांग्रेस के एक वरिष्ठ ग्रामीण नेता की सोशल मीडिया पर आई एक पोस्ट ने कांग्रेस के उन दिखावटी नेताओ की पोल खोल कर रख दी जो कार्यालय से गाड़ी,सहित सभी सुख सुविधा के सादन लेकर क्षेत्र में प्रचार के लिये रवाना तो होते है लेकिन वे सभी सुविधाएं कांग्रेस कार्यालय से लेकर रवाना तो होते है लेकिन वे जाते कही और हे.!

कांग्रेस के नेता की इस पोस्ट ने कांग्रेस में क्या चल रहा है,प्रचार के नाम पर कैसे धोखा दे कर चुना लगाया जा रहा है ये बानगी पेश की गई है। कांग्रेस के इस कद्दावर नेता ने तो सोशल मीडिया पर खुला लिखा है की “कमल की गाड़ी लेकर सोनकच्छ, खातेगांव,कालापीपल,इछावर फिर राऊ ओर शुजालपुर पहुच जाओगे,प्रचारक कमलसिंह का कहलाओगे,वहा क्या दोगलई है…!”
वही भाजपा में भी अभी प्रचार को लेकर बड़े सुधार की जरूरत नजर आ रही है।

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