आष्टा । दोस्तो आज बहुत दिनों के बाद आप सब के कारण लोकप्रियता के शिखर को छूने वाले हमारे इस कालम “ये घुंघरू जो बजते नही” को आज एक धमाके दार मेटर मिल ही गया,सोचा आज इसको लेकर ही घुंघरू बजाते है,जिसके ये घुंघरू है उसके घुंघरू बजे या ना बजे । अपन तो अपना कर्म करते है..?
आपने गलत काम के बदले कार्यालयों में बैठे लक्ष्मी पुत्रो को पैसे लेते सुना भी होगा,देखा भी होगा क्योंकि वो गलत का सही जो कर रहा है। लेकिन क्या अपने सुना की सही नियमो के तहत होने वाले काम के भी एक शासकीय विभाग के कार्यालय में बैठे एक बजनदार कर्मी ने रेट फिक्स कर रखे है,अगर आपने अपने सही काम को ईमानदारी से करवाने की ठान ली हो,आप ये मान रहे हो कि में तो एक धेला नही दूंगा,क्योकि मेरा काम गलत नही है तो धेला भी क्यो दु ।
तो आप गलत फहमी में जी रहे है।…. रोड पर स्तिथ इस कार्यालय में क्या नही,बल्कि सब कुछ होता है क्योकि यहा दलालों ने ऐसा माहौल खड़ा कर रखा है। इस कार्यालय में दिन भर में जितने कर्मी दिन भर अंदर बहार नही आते जाते है उससे ज्यादा दिन भर दलाल आते जाते है,ऐसा बताया जाता है
एक बार इस कार्यालय में दलालों के आने जाने पर निगाह रखने के लिये सीसीटीवी कैमरे भी नजर रखते थे,अब रखते है या नही.? जिस कार्यालय की हम बात कर रहे है यहा सही काम को गलत साबित कर प्रकरण ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है,जब समय सीमा पर पूछा जाता है तब बताया जाता है यार आपने सेवा पानी तो की नही इस लिये वो कार्य नही हुआ।
जब जानकारी लगी तो सेवा पानी की सेवा शुल्क जेब मे पहुचते ही जो कार्य गलत था वो सही हो गया,फाइल भी सही हो गई और बताया अब आप घर जाओ आपका कार्य हो कर घर आ जायेगा। बस सेवा शुल्क तीन तिगाडा काम बिगाड़ा था। जिस विभाग की हम बात कर रहे है,ऐसा नही ये सब हवा में कर रहे है। जिसका पेट दुखा वो ईलाज के पहले बता गया।
ये जो कर रहा है,जिसके आशीर्वाद से कर रहा है,इसके पीछे ऐसा लगता है की ऐसा कर के वो सरकार को बदनाम करने का भी एक तरीका हो सकता है। ऐसा नही है ये कार्य जहाँ हो रहा है उसके,या उसके आशीर्वाददाता को संज्ञान में ना हो.. अब ये मत पूछना वो कौन सा विभाग-आफिस है..! क्योकि सब को सब कुछ मालूम है