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सीहोर । कृषि विज्ञान केन्द्र सेवनिया वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को सलाह दी गई है कि गत वर्षों की भाँति इस वर्ष भी गेंहूं फसल में जड़ माहू कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा है। गेंहूं फसल के खेतों में स्थान-स्थान पर पौधे पीले होकर सूख रहे हैं। समय पर निदान न किये जाने पर इस कीट द्वारा गेंहूं फसल में बड़ी क्षति की सम्भावना रहती है।

जड़ माहू कीट गेंहूं के पौधे के जड़ भाग में चिपका हुआ रहता है जो निरन्तर रस चूसकर पौधे को कमजोर व सुखा देता है। प्रभावित खेतों में पौधे को उखाड़कर ध्यान से देखने पर बारीक-बारीक हल्के पीले, भूरे व काले रंग के कीट चिपके हुए दिखाई देते हैं।


मौसम में उच्च आर्द्रता व उच्च तापमान होने पर यह कीट अत्यधिक तेजी से फैलता है। अनुकूल परिस्थितियाँ होने पर यह कीट सम्पूर्ण फसल को नष्ट करने की क्षमता रखता है। कृषि विज्ञान केन्द्र सेवनिया द्वारा अनुसंशा की गयी है कि जिन क्षेत्रों में अभी तक गेंहूं फसल की बुवाई नहीं की गयी है, वहाँ पर बुवाई से पूर्व इमिडाक्लोरोप्रिड 48 एफ. एस. की 01 मिली. दवा अथवा थायोमेथाक्जाम 30 एफ. एस. दवा की 1.5 मिली मात्रा प्रति किग्रा. की दर से बीज उपचार अवश्य करें।

जिन क्षेत्रों में बुवाई कार्य पूर्ण किया जा चुका है व कीट प्रकोप के लक्षण प्रारम्भिक अवस्था में हैं वहाँ किसान भाई इमिडाक्लोरोप्रिड़ 17.8 एस. एल. की 80 -100 मिली. मात्रा अथवा थायोमेथाक्जाम 25 डब्लू. पी. की 80 ग्राम मात्रा अथवा एसिटामाप्रिड 20 एस. पी. दवा की 60 ग्राम मात्रा प्रति एकड, 150 -200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

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