आष्टा । एक कहावत है “धनी बिना धन सुना । इसी तरह किसी को निर्देश देने,नियमो का पालन कराने के पहले खुद को भी नियमो का पालन करना होता है। लेकिन शायद आष्टा जनपद में अधिकारियों कर्मचारियों के लिये इसके कोई मायने नही है। वैसे तो जनपद में चुनी हुई अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य सब है लेकिन अध्यक्ष का यहा होना नही होने के बराबर है,क्योकि यहा जनपद में उन्हें कोई तब्बजो ही नही देते है।
पूर्व में अध्यक्ष श्रीमती दीक्षा सोनू गुणवान इनकी शिकायत सब स्तर पर भी कर चुकी है उसके बाद भी नतीजा शून्य है। आज इस प्रतिनिधि ने प्रातः 11 बजे से 11.30 बजे तक जनपद में जब इस बात का जायजा लिया कि क्या वाकई में जनपद के अधिकारियों कर्मचारियों ने जनपद को बिना फाटक की धर्मशाला समझ रखा है जब पहुच कर देखा तो जनपद सीईओ अमित कुमार व्यास के कक्ष का फाटक खुला था,बिजली जल रही थी,कुर्सी खाली थी। जब वह तैनात एक कर्मी से पूछा कि साहब के आने का कोई समय है तब वो कुछ नही बोला केवल यह कहा मालूम नही।
जब हमने एक दूसरे कर्मी से पूछा तब बताया की साहब आते होंगे, नही तो उनके पास सीहोर जनपद का भी चार्ज है शायद सीहोर चले गये हो। जनपद के एक कमरे में पहुचे तो यह तैनात कर्मी मोबाइल चलाने में मस्त था,सही भी है जनपद में कोई ग्रामीण अगर किसी कार्य से आये तो उसकी सुनना इतना जरूरी नही है,जितना मोबाइल चलाना जरूरी है,ग्रामीण तो परेशान हो कर वापस गांव चला जायेगा उसको तकलीफ होगी तो कल फिर आ जायेगा .! जब हम जनपद में जायजा ले रहे थे उस वक्त कई ग्रामीण गांव से आ कर उस अधिकारी-कर्मी का इंतजार कर रहे थे,
जिनसे उन्हें मिलना था वे 11.30 बजे तक आये ही नही थे,आते भी क्यो जब इस जनपद के सीईओ का ही आने जाने का समय निश्चित नही है तो अधीनस्थ कैसे क्यो समय पर आये,उससे ना कोई पूछने वाला है ना ही कुछ कहने वाला है। क्योंकि किसी को गुड़ खाने का मना करने से पहले स्वयं को गुड खाना छोड़ना पड़ता है। ऐसा नही है ये हाल केवल जनपद के ही है,अन्य विभागों में भी अधिकारियों कर्मचारियों के आने जाने बैठने का कोई समय निश्चित नही है.? आखिर कार्यालयों की इस तरह की बिगड़ी व्यवस्थाओ को कौन संज्ञान में लेगा.? कौन इस तरह की बिगड़ी व्यवस्थाओ को सुधरेगा.?
इस मामले में जनपद अध्यक्ष दीक्षा सोनू गुणवान से जब चर्चा की तब उन्होंने बताया ये सही है,जनपद में समय पर नही आते है,ग्रामीण परेशान होते है,पूर्व में इसको लेकर हमने जनपद सीईओ,जिला पंचायत के सीईओ को भी शिकायत कर चर्चा की है। जनपद में 144 पंचायतो के मान से यहा इंजीनियरों,कर्मियों की भी कमी है उससे भी कलेक्टर साहब को अवगत कराया है। हम प्रयास करेंगे कि सब समय पर आये ताकि ग्रामीण परेशान ना हो।
जब इस मामले में एसडीएम श्री आनन्दसिह राजावत से चर्चा की तब उन्होंने बताया की कार्यालय खुलने का समय 10 बजे का है। सभी पदस्थ अधिकारियों कर्मियों को समय पर आना भी चाहिये, कोई कही बैठक या दौरे पर जाते है वो अलग बात है। वैसे जनपद के सीईओ के पास सीहोर का भी चार्ज है,में उनसे चर्चा करता हु।
आधार सेंटर पर भी लटके थे ताले, बताया ये 11.30 बजे बाद खुलता है,क्या ऐसा नियम है.?
जनपद से वापस लौटते हुए कुछ लोग कड़ी धूप में छांव में बैठे मिले, पूछा क्यो कैसे बैठे हो,क्यो आये हो। तब उन्होंने बताया आधार सेंटर पर आधार अपडेट आदि के लिये आये है,सेंटर खुलने का इंतजार कर रहे है। यहा चर्चा में ऐसा मालूम पड़ा कि आधार सेंटर वाले संचालक 11.30 के बाद ही आते है।
कोई भी ऑफिस हो,सेंटर हो,कार्यालय हो इनके खुलने का समय 10 बजे का निश्चित है,तो फिर क्या इस आधार सेंटर का खुलने का समय किसने 11.30 तय किया है या इसके संचालक ने अपनी मर्जी से ही तय कर लिया कि मेरी मर्जी की तर्ज पर जब इच्छा होगी तब खोलेंगे भले ही जनता परेशान हो । क्या आष्टा अनुविभाग के एसडीएम इस ओर ध्यान देंगे.?