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आष्टा। कुछ अच्छी बात सुनना हो तो पहले शांत होने का प्रयास करना पड़ेगा,भीतर के कोलाहल को शांत करना पड़ेगा तभी हम अच्छी बात, जिन वचन आदि मन मे उतार सकते है, बिना स्थिरता के सारी क्रियाए व्यर्थ,भटकाने वाली होती है, उससे मन मे कभी एकरूपता नही आ सकती।


गुरु जी के संघ में हमने कई बार आष्टा का सुना है। आष्टा वासी आस्था वासी-आशा वासी है। ऐसा बताते है कि इस नगर का नाम पहले आशा नगरी हुआ करता था नाम के अनुरूप ही आपकी गुरु भक्ति देखने को मिल रही है। उक्त उदगार संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य मुनि श्री सौम्य सागर जी महाराज ने आज नगर के दिव्योदय जैन तीर्थ पर व्यक्त किये।


आज प्रातः 8 बजे कन्नौद रोड कृषि उपज मंडी गेट पर श्रावक श्राविकाओं ने पहुँच कर मुनि संघ की भव्य आगवानी की।
मुनि संघ ने गंज स्थित चन्द्रप्रभु चैत्यालय में भगवान के दर्शन किये एवं ज्येष्ठ श्रेष्ठ मुनि श्री 108 भूतबलि सागर महाराज की ससंघ वन्दना परिक्रमा कर किला मन्दिर की ओर प्रस्थान किया।आज भव्य मुनि संघ की आगवानी में समाज के नन्हे बच्चो द्वारा जयघोष बेंड, आकर्षक का केंद्र रहा।

धर्म सभा के प्रारंभ में आचार्य श्री के चित्र का अनावरण एवं दिप प्रज्वलन नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष कैलाश परमार, समाज के संरक्षक दिलीप सेठी कैलाश चंद जैन,समाज अध्यक्ष यतेन्द्र जैन ,महामंत्री कैलाश जैन ,मुकेश बड़जात्या, मुनि सेवा समिति के अध्यक्ष आनंद जैन ने किया।


मंगलाचरण सुभाष जैन ने प्रस्तुत किया एवं गुरु पूजन मुकेश जैन एवं निर्मल जैन ने की। इस अवसर पर परम् पूज्य मुनि श्री विनम्र सागर जी महाराज ने बताया की हमारे नगर में जब भी कोई सन्त साधु ज्ञानी पुरुष आये तो हमको उन्हें जरूर सुनना चाहिए। सुनने से मन की ग्रन्थियां खुलती है, हम कहा गलत कर रहे उसका ज्ञान होता है। सुनने के बाद ही हम अपनी गलतियों में सुधार ला सकते है।अच्छी बातें सुनने से लाभ ही लाभ मिलता है।


ऐसा सुना है इस नगर का नाम पहले आशा नगरी था,उसी अनुरूप आप धर्म पथ की आशा लेकर आस्था के साथ साधना करे तो एक दिन यही आस्था आपकी मोक्ष मंजिल होगी। गुरुदेव ने आज हम बच्चो को बड़े भ्राता एवं पिता तुल्य के रूप में पूज्य भूतबलि सागर जी महाराज के पास भेजा है। आचार्य श्री ने हमे नेमावर से विहार करते हुए बोला था आपको आष्टा वाले रास्ते पर जाना है।आज हमारा महान पुण्य का उदय है जो हमे पूज्य मुनि श्री भूतबलि सागर जी महाराज के पुनः दर्शनों का सौभाग्य मिला है। आपको ये दिगम्बर मुद्रा जो दिख रही है सबसे प्राचीन है यह मुद्रा। जो सीधे तीर्थंकर से जोड़ती है,ये एक आदर्श मुद्रा है।


तीर्थंकर भगवान ने हमे मोक्ष का मार्ग बतलाया है उन्ही से हमे आज प्रेरणा मिली है वे ही हमारे आदर्श है।परम् पूज्य मुनि श्री भूतबलि सागर जी महाराज ने कहा कि आज हमारा इन मुनिराजों के साथ मिलन हो गया हमारा ह्रदय गदगद हो गया है। ये हम से कहते है आप हमारे पिता समान है,इतना वात्सल्य देकर इन्होंने अपनी सौम्यता, नम्रता,भक्ति को दर्शाया है इनसे मिलकर हम आज बहुत खुश हु। बड़े गर्व की बात है कि आचार्य श्री, को ऐसे शिष्य मिले है जो आज गाँव गाँव नगर नगर जाकर धर्म की गंगा बहा रहे है, धर्म प्रभावना कर रहे है। मंदिर में प्रतिदिन प्रवचन प्रातः 8.30 बजे से होंगे।

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