आष्टा। हम बड़े भाग्यशाली है की जिस जीवनदायनी पार्वती नदी के किनारे हम सब रहते है,उस पवित्र पार्वती नदी का उदगम स्थल भी यंही है। अनगिनत प्यासे सूखे कंठ की पार्वती का अमृत जल प्यास बुझती है। किसानों को उनके खेतों को पेट की भूख मिटाने के लिये अन्न पैदा करने के लिये फसलों को भरपूर पानी उपलब्ध भी इस ही पार्वती नदी से होता है। निश्चित पवित्र पावनी पार्वती इस क्षेत्र के लिये जीवनदायनी है।
वर्षो पहले पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री सुंदरलाल पटवा की सरकार में जब आष्टा के विधायक स्वर्गीय श्री नन्दकिशोर खत्री थे के कार्यकाल में पार्वती के इस उदगम स्थल के पास रामपुरा खुर्द परियोजना के तहत रामपुरा डेम का कार्य शुरू हुआ था और उसे पूर्णता का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वो है भोपाल के तत्कालिक सांसद स्वर्गीय श्री सुशील चंद्र वर्मा।
आज अगर आष्टा गर्मी में भी पानी के लिये परेशान नही होता है तो उस वक्त के ये तीनो राजनेता ही है जिनके कारण पार्वती के उदगम स्थल पर उक्त डेम अस्तित्व में आया ओर पार्वती नदी पर शटर लगाये गये । अब एक बार फिर वर्तमान शासन प्रशासन ने नगर की जीवनदायिनी पार्वती नदी के उदगम स्थल की चिंता की है। आज जिला पंचायत के सीईओ श्री हर्षसिंह अधिकारियों की एक बड़ी टीम को लेकर पार्वती नदी के उदगम स्थल गोविंदपुरा पहुचे उक्त स्थल को देखा, अधीनस्थों के साथ चर्चा कर मंथन किया कि इस स्थल को कैसे विकसित,सुंदर,रमणीय स्थल का रूप दिया जा सकता है।
सूत्रों से खबर है की सबसे पहले आव्यवस्तिथ उक्त उदगम स्थल पर पहले एक कुंड उक्त स्थल पर बनाया जाये जो पार्वती का उदगम स्थल है,जहाँ से पार्वती नदी निकली है,खबर है ये कार्य मनरेगा योजना के तहत होगा। उसके बाद इस स्थल के विकास की योजना बनाई जायेगी। एक अनुमान के तहत करीब 30 साल बाद जिला पंचायत के सीईओ श्री हर्षसिंह ऐसे अधिकारी है जो इस स्थल पर पहुचे है।
इसके पूर्व जब रामपुरा खुर्द परियोजना की योजना बनाई गई,डेम का कार्य शुरू हुआ सम्भवतः उस वक्त अधिकारी इस स्थल पर पहुचे होंगे। वर्षो बाद किसी बड़े अधिकारी के रूप में इस स्थल के विकास की मंसा को लेकर उक्त स्थल की चिंता करने के प्रति जिला पंचायत के सीईओ श्री हर्षसिंह प्रसंशा के हकदार है। श्री सिंह आज पुरातत्व महत्व के स्थल देवबडला भी पहुचे,वहा भी खुदाई में निकले मंदिरों को देखा, भोलेनाथ के दर्शन किये।
क्षेत्रीय सांसद श्री महेन्द्र सिंह सोलंकी,आष्टा विधायक रघुनाथसिंह मालवीय को चाहिये कि वे इस अति विशेष स्थल के विकास का प्लान करे और सरकार से इस उदगम स्थल को सुंदर ही नही अतिसुन्दर रूप प्रदान करवाये। इस ही क्षेत्र में ऐतिहासिक महत्व का राजा रूपसिंह का महल है,जो आज खंडहर हो कर अपना अस्तित्व बचाये हुए है,वही रूपकुंड की भी अपनी एक रोचक कहानी है ये दोनों पुरातत्व महत्व के स्थल भी आज अपने संरक्षण के इंतजार में है। मप्र सरकार के पर्यटन विभाग को देवबडला सहित सभी पुरातत्व महत्व के स्थलों को सुरक्षित,संरक्षित करने की बड़ी आवश्यकता है। उम्मीद है शासन,प्रशासन,जनप्रतिनिधि इस ओर जरूर ध्यान देंगे।