आष्टा। कल भारत के संवेदनशील ही नही,अतिसंवेदनशील प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने देश के नाम सम्बोधन में कोरोना महामारी को बीते 100 साल में सबसे बड़ी आपदा बताया जिसे पूरी दुनिया ने ऐसी आपदा ना कभी देखी और ना कभी अनुभव की गई। देश के नाम सम्बोधन में प्रधानमंत्री ने कई बड़ी महत्वपूर्ण घोषणाएं भी की जिसकी आज आवश्यकता ही नही बहुत बड़ी आवश्यकता थी।
सबसे बड़ी जो घोषणा प्रधानमंत्री ने की, वो ये की अब देश के सभी 80 करोड़ गरीबो को दीपावली तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत हर महीने निर्धारित मात्रा में मुफ्त अनाज मिलता रहेगा। आजाद भारत के इतिहास में शायद ही अभी तक के जितने भी प्रधानमंत्री हुए है उनमें से किसी भी प्रधानमंत्री ने इतनी बड़ी घोषणा की हो,जिससे इतनी बड़ी संख्या में नागरिको को संकट की घड़ी में सरकार की और से इतना बड़ा संबल मिला हो। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जो ये किया निश्चित ये उनकी गरीबो,पीड़ितों, शोषितों के प्रति संवेदनशीलता ही नही उनके दुख दर्द को कम करने के प्रति उनकी अतिसंवेदनशीलता को दर्शाता है। इस घोषणा से निश्चित भारत देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का नाम इस कार्य के कारण उनका नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होगा,जो सदियों तक याद रखा जायेगा की वर्ष 2021 में भारत मे कोरोना नाम की एक ऐसी महामारी आई थी तब देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश के 80 करोड़ गरीबो को सरकार की ओर से 6 माह तज मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया था। कल दूसरी जो घोषणा की गई वो भी सभी राज्यो के लिये बड़ी राहत भरी घोषणा के रूप में है। इसमें सभी राज्यो के 18 प्लस नागरिको के लिये भारत सरकार सभी राज्यो को मुफ्त में टीका उपलब्ध कराएगी।
प्रधानमंत्री जी कल आपने जो किया वो ना पहले किसी ने किया और ना किसी ने सोचा की ऐसा होगा। लेकिन प्रधानमंत्री जी कोरोना महामारी की प्रथम एवं दूसरी लहर में और भी कई वर्ग पक्ष ऐसे है,जिनकी भी कोरोना महामारी के कहर से कमर टूट चुकी है। कल जब आप देश को सम्बोधित कर राहत भरी घोषणाएं कर रहे थे तब देश का सबसे अधिक कोरोना महामारी से प्रभावित हुए छोटे मध्यम श्रेणी के व्यापारियों को बड़ी उम्मीद थी की आप व्यापारियों के लिये भी कोई बड़ा राहत का पैकेज की घोषणा करेंगे,लेकिन आपके उद्बोधन के समापन के बाद देश के उन करोड़ो छोटे,मध्यम श्रेणी के व्यापारियों में निराशा देखी गई क्योकि उनकी और शायद सरकार का ध्यान गया ही नही.? जबकि कहा जाता है की देश का व्यापारी सरकार की रीढ़ की हड्डी होता है।
प्रधानमंत्री जी कोरोना की पहली और दूसरी लहर में पूरे देश के व्यापारियों का सम्पूर्ण व्यापार पहली लहर में जनता कर्फ्यू के कारण,दूसरी लहर में कही जनता कर्फ्यू के कारण तो कही कोरोना कर्फ्यू के कारण महीनों बन्द रहा। व्यापार तो व्यापारियों का बन्द रहा लेकिन उनके वे सभी खर्चे जारी रहे जो एक व्यापारी व्यापार करने के लिये करता है। बन्द के बाद भी व्यापारी को सभी तरह के टेक्स चुकाने पड़े,जिन व्यापारियों ने बैंकों से लोन वा अन्य ऋण ले रखे उनकी क़िस्त चूक गई,जिन्होंने होम लोन या अन्य ऋण लिया वे क़िस्त चुकाने को लेकर परेशान है, बन्द दुकानों का बिजली बिल भरना पड़ा,किराये की दुकान गोदाम वालो को किराया चुकाना पड़ा, दुकानों के मुनीम,गुमाश्ते,कर्मचारियो को बेतन देना पड़ा जैसे एक नही अनेकों खर्चो को बिना कमाई के चुकाने को लेकर व्यापारी चिंतित,परेशान है। कल जो राहत भरी घोषणाएं की गई उसमे अगर भारत सरकार देश के करोड़ो परेशान पीड़ित दुखी,चिंतित व्यापारियों की ओर भी देखती तो उन्हें भी सरकार से कही ना कही,किसी ना किसी रूप में संबल मिलता। अब धीरे धीरे अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने से व्यापारी भी व्यापार को नये सिरे से शुरू करने के प्रयास कर रहा है,व्यापारियों के सामने सबसे बड़ी समस्या आर्थिक संकट के रूप में मुह फाड़े खड़ी है। भारत सरकार देश के सभी प्रभावित व्यापारियों को पुनः अपने पैरों पर खड़े होने के लिये ऐसी राहत भरी योजना,पैकेज की घोषणा करे जिसमे छोटे मध्यम श्रेणी के व्यापारियों को बैंकों के माध्यम से बिना ब्याज के लंबी अवधि के लिये ऋण दिये जायें ताकि व्यापारी फिर से अपने व्यापार को पटरी पर ला सके। कल प्रधानमंत्री जी का उद्बोधन सुनने के बाद व्यापारी शायद मन ही मन जरूर “जनता हवलदार” फ़िल्म का ये गीत गुनगुना रहा होगा”हमसे का भूल हुई जो ये सजा हमका मिली….!” वैसे अतिसंवेदनशील प्रधानमंत्री से देश के करोड़ो ऐसे सभी व्यापारियों को अभी पूरी उम्मीद है की सरकार उनके लिये भी जरूर सोचेगी..!