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भोपाल । अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए देश के छह लाख में से चार लाख गांवों में जाने की योजना थी, लेकिन विभिन्न् स्तरों पर बैठकों के बाद तय किया गया है कि देश में सवा पांच लाख गांवों तक जाएंगे और 11 की बजाय 13 करोड़ परिवारों से निधि संग्रह करेंगे। मध्यप्रदेश में 50 हजार गांव और सवा करोड़ परिवारों में साढ़े छह करोड़ लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस प्रकार, यह निश्चित रूप से दुनिया के इतिहास में सबसे बड़ा निधि संग्रह का अभियान होगा। उक्‍त बातें विश्‍व हिंदू परिषद (विहिप) के अंतरराष्‍ट्रीय कार्याध्‍यक्ष श्री आलोक कुमार ने अपने एक दिवसीय  भोपाल प्रवास के दौरान विश्‍वसंवाद केंद्र में आयो‍जित पत्रकार वार्ता के दौरान कहीं । उन्होंने कहा है कि प्रभू श्रीराम के भव्‍य मंदिर निर्माण के लिए इस निधि संग्रह के महा अभियान में उन मुस्लिम धर्मावलंबियों का भी स्‍वागत है,अगर मुसलमान भाई भी राम जी के काज में दान देना चाहेंगे, तो अवश्‍य दें ।


उन्‍होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए, श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्‍यास ने मध्य प्रदेश के लिए श्री पूज्य संत अखिलेश्वरानंद जी महाराज जबलपुर की अध्यक्षता में एक श्री राम मंदिर निर्माण निधि समिति का गठन किया है। समिति के कुछ प्रमुख व्यक्तियों में उपाध्यक्ष श्री कांतिभाई जी इंदौर, श्री पीताम्बर राजदेव भोपाल, श्री लक्ष्मण सिंह जी जबलपुर, डॉ. वाणी अहलूवालिया जबलपुर, मंत्री श्री राजेश तिवारी, सह मंत्री  श्री बृजेश सिंह,  श्री आलोक सिंह, श्री सोहन विश्वकर्मा, कोषाध्यक्ष श्री सुरेश जी जैन, सह कोषाध्यक्ष श्री अशोक जी अग्रवाल शामिल हैं ।

पूरे अभियान की देखरेख मध्‍य भारत प्रांत एवं अन्‍य प्रांत निधि समर्पण अभियान समितियों सहित संतों के मार्गदर्शक समिति द्वारा की जाएगी।
वहीं, उनका कहना था कि संग्रह टोलियां प्रत्येक 5 लोगों की बनाई गई हैं । वे एक जमाकर्ता को रिपोर्ट करेंगे। सभी संग्रह 48 घंटों के भीतर तीर्थक्षेत्र के बैंक खाते में जमा किए जाएंगे। प्रत्येक जमाकर्ता के पास भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और पंजाब नेशनल बैंक के तीन बैंकों में से एक का निकटतम शाखा में एक पंजीकृत कोड नंबर होगा। यहां निधि संग्रह में पूरी पारदर्शिता रखे जाने की व्‍यवस्‍था सुनिश्‍चित की गई है ।
श्री आलोक कुमार ने कहा कि उम्मीद है कि 2024 तक श्री राम लला की भव्‍य मूर्ति मुख्य मंदिर के गर्भगृह में स्थापित हो जाएगी और भक्तों को भगवान के इस भव्य मंदिर में दर्शन करने के लिए आमंत्रित किया जा सकेगा ।अभी शुरूआत में मंदिर के पिलर तैयार करते हुए कुछ दिक्कत आई है। जिसमें कई संस्थानों से तकनीकी मदद ली जा रही है। फाउंडेशन ड्राइंग पर  टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के इंजीनियर और आईआईटी मुंबई, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी चेन्नई, आईआईटी गुवाहाटी, सीबीआरआई रुड़की, लार्सन एंड टुब्रो के इंजीनियर काम कर रहे हैं। पूरा मंदिर पत्थरों के ब्लॉक का होगा।


मंदिर का कुल क्षेत्रफल 2.7 एकड़ होगा। निर्माण क्षेत्र 57,400 वर्ग फुट है। मंदिर की लंबाई 235 फीट के साथ 360 फीट होगी। मंदिर तीन मंजिला संरचना और 5 मंडप के साथ होगा। ग्राउंड फ्लोर पर कॉलम की संख्या 160, फर्स्ट फ्लोर पर 132 और सेकंड फ्लोर पर 74 होगी। मंदिर के साथ शोधार्थियों के लिए पुस्तकालय, अभिलेखागार, संग्रहालय, अनुसंधान केंद्र, यज्ञशाला, वेद पाठशाला, सत्संग भवन सहित तमाम सुविधाएं रहेंगी।
इसके साथ ही जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किए तो उनमें श्री आलोक कुमार ने निधि संग्रह से पहले मप्र के उज्जैन और इंदौर में हुईं दो घटनाओं को लेकर कहा कि कोई हमारे आंदोलन को बदनाम न कर सकें। इसकी हम सतर्कता बरतेंगे। कानून व्यवस्था देख रहीं एजेंसीज को भी कहेंगे कि वो भी सतर्कता रखें। हम विश्वास करते हैं कि भारत की जनता परिपक्व है।

जैसा सबने पहले से मन बनाया था, वैसा फैसला आने के बाद कोर्ट के निर्णय को स्वीकार किया है। हम शांति और सौहार्द्र बनाने के लिए संकल्पित हैं।
उन्होंने कहा कि अयोध्या में मंदिर बन रहा है, तो मस्जिद के लिए भी वहीं जगह मिली है। लेकिन वे  किसी भी सूरत में टकराव की स्थिति नहीं बनने देंगे और कोई ऐसा करता है तो यह देखना प्रशासन का काम है, ऐसे में हमारा पूरा सहयोग प्रशासन के साथ होगा । अब हम संघर्ष की स्थिति में नहीं रचना करने के कार्य में जुटे हुए हैं, इसलिए इस तरह की घटनाएं कहीं भी नहीं होनी चाहिए।
वहीं, एक प्रश्‍न के जवाब में उन्‍होंने कहा कि सोमनाथ मंदिर निर्माण के समय महात्मा गांधी ने ये राय दी थी कि सरकार मंदिर का ट्रस्ट बनाए, लेकिन मंदिर के निर्माण के लिए रुपए सरकारी खजाने से नहीं जाए। इसी तरह से श्रीराम मंदिर निर्माण में भी सरकारों का धन स्वीकार नहीं है । निधि समर्पण के माध्‍यम से जो राशि आएगी संपूर्ण कार्य उसी से पूर्ण किए जाएंगे। वर्ष 1990 में विहिप द्वारा किए गए निधि संग्रह का क्या हुआ, पूछे जाने पर श्री आलोक कुमार ने बताया कि उस समय आठ करोड़ रुपये इकठ्ठा हुए थे। जिनके पत्थर लाए गए और उन्हें तराशा गया। इसमें से कुछ राशि बची है, जिसका इस्तेमाल अब किया जाएगा ।


उन्‍होंने कहा कि विश्‍व हिन्‍दू परिषद का मानना है कि यह केवल मंदिर निर्माण के लिए किया जा रहा प्रयत्‍न या एक आंदोलन नहीं है, बल्कि संपूर्ण हिन्‍दू समाज के कायाकल्प का एक सचेत प्रयास है, जो समाज को अपनी बीमारियों, जैसे उच्च और निम्न, गरीबी, स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल की कमियों को दूर करने के लिए प्रेरित करेगा । महिलाओं की गरिमा को बहाल करने के लिए, दुनिया से आतंकवाद के संकट को मिटाने के लिए और सर्वे भवन्तु सुखिनः के वैदिक लक्ष्यों को अनुभूत करने के लिए – सभी खुश हो सकते हैं, सभी स्वस्थ हो सकते हैं, सभी भेदभाव मिटाकर बुद्धिमान हो सकते हैं और किसी को भी दुखों से पीड़ित नहीं होने दिया जाएगा, इस विचार और सोच के साथ प्रभू के इस भव्‍य मंदिर का निर्माण कार्य सम्‍पन्‍न होने जा रहा है ।

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