आष्टा। जब से कोठरी में वीआईटी यूनिवर्सिटी शुरू हुई उसके कुछ समय बाद से उक्त यूनिवर्सिटी किसी ना किसी कारण से,घटने वाली घटनाओं से विवादों में बनी हुई है। ऐसा लगता है कि अब विवादों का ओर यूनिवर्सिटी का चोली दामन जैसा साथ सा हो गया है। अब फिर एक नया विवाद वीआईटी के लिये गले की हड्डी बन गया है।
कुछ दिनों पूर्व छात्राओं के बने एमएमएस बनाये ओर फिर उनेह वायरल कर दिये थे । इस मामले को लेकर विद्यार्थी परिषद ने आंदोलन शुरू किया हुआ विद्यार्थियों पर लाठियां सुरक्षा गार्डों ने बरसाई महामहिम तक मामला पहुचा। अब इस मामले में वीआईटी के दबंग प्रबंधन चिंता में है।
आष्टा अनुविभाग के कोठरी में वीआईटी भोपाल के नाम पर संचालित वीआईटी यूनिवर्सिटी के छात्रावास में कुछ छात्राओं के नहाते समय वीडियो बनाएं गए और उनको सोशल मीडिया के कुछ प्लेटफार्म पर वायरल भी कर दिया था। उक्त वीडियो वायरल होने पर संबंधित छात्राओं को काफी परेशानी के साथ मानसिक तनाव रहा।
इस मामले की जब वीआईटी यूनिवर्सिटी प्रबंधन को शिकायत की गई तो प्रबंधन ने वीडियो बनाने वालों पर कार्रवाई करने के स्थान पर मुद्दा उठाने वाले करीब 74 से अधिक छात्र-छात्राओं को निलंबित कर दिया।
जिसमें एक दर्जन को स्थाई निलंबन एवं अन्य को तीन, छः महीने व बारह महीने के लिए निलंबित कर अध्ययन करने से वंचित कर दिया ना तो उक्त घटनाक्रम की जांच कराई और ना ही नोटिस दिया गया।
छात्र हितों,उनके साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ हमेशा आवाज बुलंद करने वाले छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इस मामले को उठाया तथा चेतावनी के पश्चात भी जब कारवाई नहीं की गई तो उन्होंने वीआईटी यूनिवर्सिटी के गेट पर पिछले दिनों धरना दिया तब वीआईटी के सुरक्षा गार्डों ने लठ से हमला करा दिया जिसमे 5 कार्यकर्ताओ को चोटें आई ।
प्रबंधन ने पालकों को बुलाकर दबाव बनाने का प्रयास कर उनके बच्चों का भविष्य खराब करने की बात कही ,ऐसा पहली बार नहीं हुआ है ।अनेकों बार इस प्रकार प्रबंधन मनमानी कर चुका है। इस मामले को महामहिम राज्यपाल मंगु भाई पटेल ने गंभीरता से लेकर चार सदस्यीय जांच समिति बनाई है। जांच समिति 13 बिंदुओं पर जांच करेगी।
जांच में होगा न्याय…!
वीआईटी यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने कुछ विद्यार्थियों को टीसी भी थमा दी थी,उन्हें शैक्षणिक सत्र के बीच में ही घर बैठा दिया। सूत्रों के अनुसार निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने निर्धारित छात्र पंजीयन एडमिशन संख्या शुल्क, निर्धारित फीस स्ट्रक्चर ,हॉस्टल, कैंटीन, संचालित कोर्स को मान्यता तथा किस – किस संकाय में एडमिशन है और उनकी फैकल्टी की नियुक्ति में काफी गड़बड़ियां पकड़ी है।
सूत्रों के अनुसार वीआईटी यूनिवर्सिटी में आयोग द्वारा कुलगुरु की नियुक्ति भी अयोग्य करार दी है। इन सभी मामलों की शिकायत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने राज्यपाल मंगु भाई पटेल से की थी। राज्यपाल श्री पटेल ने इस मामले में आयोग को जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए ।
इसके पश्चात चार सदस्यी जांच कमेटी गठित की गई । कमेटी का अध्यक्ष हमीदिया कॉलेज के प्रोफेसर अनिल शिवानी को बनाया है।अन्य सदस्यों में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ संगीता जैन,एमबीएम कॉलेज भोपाल के प्रोफेसर संजय दीक्षित एवं भेरुलाल पाटीदार पीजी कॉलेज महू के प्रोफेसर मनोहर दास सोमानी को शामिल किया है। जांच के आदेश आयोग के सचिव प्रोफेसर केपी साहू द्वारा दिए गए हैं।
“जांच के लिए यह बिंदु निर्धारित”
वीआईटी में पीने के पानी की पर्याप्त सुविधा नहीं है। छात्रों को पानी बाहर से खरीदना पड़ता है और विरोध करने पर उन्हें धमकाकर सस्पेंड कर दिया जाता है। कई बार अत्याधिक पेनल्टी भी लगाई जाती है। वीआईटी विश्वविद्यालय में छात्रों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है ।
जिससे परेशान होकर कुछ विद्यार्थी आत्महत्या करने के लिए मजबूर हुए हैं। हनुमान चालीसा पढ़ने पर छात्रों पर जुर्माना लगाया जाता है और धमकाया जाता है। उन्हें सस्पेंड कर दिया जाता है। जो व्यक्तिगत धार्मिक स्वतंत्रता का खुला उल्लंघन है। उक्त बिदुओं पर कमेटी जांच करेगी।