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आष्टा । विधार्थियों को लुभावने सपने दिखा कर,उनसे मोटी फीस वसूलने का कोचिंग सेंटरों का ट्रेंड धड़ल्ले से चल रहा हे । शिक्षा के नाम पर लूट के अनेकों संस्थान आष्टा नगर में बिना किसी रोक टोक के,शिक्षा विभाग के आशीर्वाद से धड़ल्ले से चल रहै हे । विधार्थियों को स्कूल से दूर कर अपनी कोचिंग पर बुलाने का सिलसिला पिछले कई वर्षो से चल रहा हे । इस संबंध में अब अशासकीय विद्यालय संगठन आष्टा ने पहल की है ।

उक्त संगठन के प्रमुख भोलूसिंह ठाकुर,विनीत त्रिवेदी,अनिल नायर के नेतृत्व में सभी सदस्यो ने आज अनुविभागीय अधिकारी श्रीमति स्वाति उपाध्याय से भेट कर उन्हे इस मामले में विस्तार से अवगत कराया है एवं ज्ञापन सौपा। संगठन ने बताया की जिस प्रकार एक निजी स्कूल शासन से मान्यता प्राप्त कर विधार्थियों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर स्कूल का संचालन करते हे ।

उसी प्रकार कोचिंग सेंटरों की भी शासन से मान्यता प्राप्त करना जरूरी होती है । लेकिन नगर में चल रहे कई दर्जनों कोचिग संस्थान अपनी मर्जी से,शिक्षा विभाग के आशीर्वाद से अपनी मर्जी के मालिक बने हुए हे । धड़ल्ले से कुकरमुत्तों की तरह गली गली में खुली लूट की इन दुकानों के पास न तो मान्यता हे,ओर न ही शासन के नियमानुसार जरूरी सुविधाएं हे । पिछले दिनों देश की राजधानी में दिल्ली में कोचिंग सेंटर में हुए हादसे से किसी भी प्रकार का सबक नही लिया जा रहा है ।

इन संस्थानों में
अग्निशमन यंत्र,बैठने के लिए पर्याप्त जगह,पीने के लिए शुद्ध जल,बालक ,बालिकाओं के लिए अलग अलग शौचालय,प्रवेश फार्म भरकर एडमिशन देना,फीस की रसीद,अलग अलग विषयो की फीस को नोटिस बोर्ड पर चस्पा करना,निशक्तो के लिए रैंप जैसी जरूरी सुविधाओ से विहीन नगर के कोचिंग संस्थान सुबह से ही अपनी कक्षाएं प्रारंभ कर देते है। जो देर रात्रि तक चलती रहती हे जो बालिका सुरक्षा पर बड़ा प्रश्न खड़ा करते है । इन सबसे महत्वपूर्ण पढ़ाने वाले शिक्षकों की योग्यता क्या है.? ये भी एक बड़ा प्रश्न है। संगठन ने पालकों से प्रश्न किया है,की क्या आपने सोचा हे जो आपके बच्चो को कोचिंग सेंटरों में पढ़ा रहे हे वे स्वयं कितने पढ़े लिखे हे.? विज्ञान विषय से स्नातक और पढ़ा रहे गणित, गणित में स्नातक पढ़ा देते हे अंग्रेजी ये केसे संभव हे कुछ तो कॉमर्स से स्नातक करने वाले गणित जैसे विषय पड़ा रहें हे।


फिजिक्स में सो प्रतिशत अंक दिलाने का लालच देने वाले कोचिंग संचालक के इस विषय मे कितने अंक हे उनकी अंकसूची को एक बार पालकों को जरूर देखना चाहिए । संगठन ने एक बड़ा खुलासा किया है की कुछ कोचिंग संस्थान तो विधार्थियों को गाइड,कुंजी,जेसी आवश्यक सामग्री भी बेच रहे हे,निश्चित इसकी जांच होना चाहिये जब आपने अपने कोचिंग में इतना अच्छा पढ़ाया हे तो उन ही बच्चों को गाइड और कुंजी की क्या आवश्यकता हे ये भी विचारणीय है ।


स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया की शिकायत पर नए आदेशानुसार 16 वर्ष से कम आयु के बच्चो को कोचिंग पढ़ाने की अनुमति नहीं हे । जिसकी अवहेलना पूरे नगर में खुले आम हो रही हे और प्रशासन खुली आंखों से सब कुछ देख रहा हे ।
बात करे शिक्षा विभाग की तो लगता है उनको इस विषय से कुछ लेना देना ही नही हे । जब यहा से चांदी के चम्मच में चाय दूध पिला दिया जाता है तो वे उस ओर निगाह ही क्यो करे । शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात कहकर टाल देते है। बच्चो की संख्या कक्षाओं में लगातार कम हो रही हे या फिर कुछ समय के लिए ही स्कूल में आते ही विधार्थी फिर कोचिंग जाने के नाम पर छुट्टी दे दी जाती है ।


शासन द्वारा योग्य और अनुभवी शिक्षको की भर्ती की जाती है जिनकी व्यापम द्वारा परीक्षा पास कर पढ़ाने वाले विषय सौंपे जाते हे पर ये समझ से परे हे की शासन ने जिन्हे योग्य मानकर नोकरी दी हे उनसे ज्यादा योग्य तो वे कोचिंग संचालक नजर आ रहे हे जो परीक्षा पास ही नही कर पाए और कोचिंग सेंटर चला रहे हे । जिनके पास स्कूल के अध्यापक पढ़ने जाने के लिए स्कूल के समय में ही बच्चो को छुट्टी दे देते हे एक बार हर स्कूल की सुबह और शाम दोनो टाइम की अटेंडेंस लेने से ये अंदेशा यकीन में बदल जायेगा । सूत्र बताते है की कई शासकीय शिक्षक कई प्राइवेट कोचिंग सेंटरों में पढ़ाने जाते है.? इसकी भी औचक जांच होना चाहिये। ज्ञापन के दौरान अशासकीय विद्यालय संगठन के भोलूसिंह ठाकुर,अनिल नायर,विनीत त्रिवेदी,सीबी वर्गीस,रामनरेश यादव,सुनील शर्मा,ज्ञानसिंह ठाकुर,अजय जैन,नवीन शर्मा,शैलेन्द्र ठाकुर,बीएल मालवीय,एम विजयन,मनीष सोनी आदि उपस्तिथ थे।

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