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आष्टा। भगवान की भक्ति का मन बनाते हैं, लेकिन कर्म बाधा डाल रहे हैं।आप लोग भविष्य की चिंता नहीं करते हैं। संसारी काम में लगे रहते हो, इसलिए वैराग्य नहीं आ रहा है आप लोगो एक रागी और एक बैरागी, सच्चा सुख बैरागी को है रागी को नहीं। अनादिकाल से संसार में उलझे हुए हैं । संसारी प्राणी जहां रहता है, वहीं अच्छा लगता है।अनादिकाल से संसार में फंसे हुए हो और आगे भी फंस सकते हो। अच्छी संगति और भगवान की आकर्षक प्रतिमाएं हैं और गुरुओं का सानिध्य प्राप्त हो रहा फिर भी आत्म कल्याण नहीं कर रहे हो। अपने भावों में लघुता लाएं। जिनेंद्र भगवान की भक्ति, पूजा, अर्चना, आराधना करों।अगर भगवान की आराधना नहीं की तो नरक में जाना निश्चित है।

आपके आचरण पर निर्भर है कि आपको स्वर्ग जाना है या नरक। उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव मुनिश्री निष्काम सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं।आपने कहा कि प्रकृति में जिसने जन्म लिया उसका मरण सुनिश्चित है। कोई भी अमर जड़ी -बूटी खाकर नहीं आया। तीर्थंकर अपने स्वभाव में नहीं आते जब तक उपसर्ग आते हैं। पूर्व भव में किए गए कर्मों का फल सभी को भोगना ही पड़ता है।मुनिश्री निष्काम सागर महाराज ने आगे कहा भगवान की भक्ति में हमेशा लीन रहो।

जिसने अपने जीवन में नित्य सामायिक किया है, उसकी गति सुधरेगी। णमोकार महामंत्र कि जाप करते रहे।पंच परमेष्ठी की शरण हो तो अंतिम समय में काम आएगा। णमोकार महामंत्र पर श्रद्धान नहीं किया तो अंतिम समय में यह काम नहीं आता है। अंतिम लक्ष्य सिद्धत्व की प्राप्ति हो।जो लोग कर्तव्यों से निवृत्त हो गए हैं उन्हें भवन की ओर नहीं वन की ओर जाना चाहिए। अर्थात आत्म कल्याण के मार्ग पर अग्रसर हो।सुख भोग लिया,अब आत्म कल्याण करें। पार्श्वनाथ भगवान पर आठ दिनों तक कमठ के जीव ने भयंकर उपसर्ग किया।

भगवान तो समता, क्षमता के धनी थे वह तो ध्यान में लीन थे।वह चाहते तो कमठ को एक पल में पटक देते, लेकिन उन्होंने अपना ध्यान नहीं तोड़ा।कभी भी मित्र से चोरी, गुरु से छल- कपट नहीं करना चाहिए,गुरु के साथ छल -कपट करने वाले का बहुत ही बुरा हश्र होता है। सभी मंत्रों में णमोकार महामंत्र सर्वश्रेष्ठ है।जैन धर्म की आचार्य श्री ने प्रभावना की। धर्म के साथ मायाचारी नहीं करें। नगद दान महादान।गुना के लोगों पर आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज का बहुत प्रभाव था।अल्प समय वहां रुके थे। लेकिन आज भी वहां का पूरा समाज आज भी याद करता है।

“श्री सांवला को आचार्य भगवंत का चित्र सौंपा”

विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष हुकमचंद सांवला अचानक श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर पहुंचे और वहां चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज,निष्प्रह सागर महाराज,निष्कंप सागर महाराज एवं निष्काम सागर महाराज से भेंट कर आशीर्वाद व मार्गदर्शन प्राप्त किया। मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज ने श्री सांवला को आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज का आकर्षक फोटो फ्रेम भेंट किया।

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