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आष्टा । अभी तक तो केवल सुना ही था की कोठरी स्तिथ वीआईटी कॉलेज का प्रबंधन इतना ताकतवर ओर दबंग है की वो शासन प्रशासन को कुछ नही समझता है। क्योंकि उसकी पोंच यही प्रदेश स्तर तक ही ऊपर तक नही इससे भी ऊपर तक है। लेकिन सुनी बात पर विश्वास नही किया जा सकता है।

लेकीन कुछ दिनों पूर्व आधी रात में कई दिनों से होस्टल में रहने वाले छात्र छात्राओं से मनमानी राशि लेने के बाद भी उन्हें भीषण गर्मी में पर्याप्त पानी तक उपलब्ध नही करने, बूंद बूंद पानी को तरसते विद्यार्थियों को आखिर कार हाथो में पानी की खाली बोतले लेकर होस्टल से बहार आ कर पानी दो पानी दो के नारो के साथ रात 1 बजे से 3 बजे तक धरना,प्रदर्शन करना पड़ा,

वीसी का घेराव किया,गेट तोड़ कर कोठरी ग्राम की सड़कों पर आना पड़ा,अंदर तोड़ फोड़,मारपीट की भी खबरे आई ये सब कुछ होने के पहले स्तिथि से प्रशासन पुलिस को कोई बात बताई और तो ओर इतना बड़ा आंदोलन हो गया,उसकी भी कालेज की ओर से प्रशासन पुलिस को कोई सूचना,जानकारी तक नही दी गई।

इससे जो सुना था वो सही लगा कि वीआईटी वाकई में हिटलर की तरह है वो शासन प्रशासन को कुछ नही समझता है।

घटना के बाद आष्टा हैडलाइन ने जो खबर चलाई उसके बाद जो फॉलोअप दिया उसका बड़ा असर नजर आया खबर एवं फॉलोअप में हमने जो प्रश्न खड़े किये उसे प्रशासन,पुलिस ने संज्ञान में लिया और वीआईटी को नोटिश जारी कर एक तत्काल जवाब मांगे।

लेकिन जिसकी पूंछ तेडी की तेडी हो वो कैसे सीधे जवाब दे दे। नोटिश मिलने के बाद उल्टा प्रशासन से जवाब के लिये 7 दिन का समय मांगा। तब आज प्रशासन,पुलिस,नप का एक दल जिसमे इस बार तहसील के कलेक्टर एसपी माने जाने वाले एसडीएम श्रीमति स्वाति उपाध्याय,एसडीओपी श्री आकाश अमलकर,टीआई रविन्द्र यादव,कोठरी नप के सीएमओ श्री नरेन्द्र जाटव,मुकेश सांवले वीआईटी जा पहुचे।

लेकिन उनेह वीसी नही मिले बताया कि वे भोपाल चले गये है। चले गये या आने की आहट मिलते ही रवाना हो गये.? पहुचे तीनो अधिकारियों की कालेज में कॉलेज और शासन के बीच समन्वयक की भूमिका निभाने वाले कोई अमित कुमार मिले ।

उनसे सामान्य चर्चा कर उक्त अमला यह निर्देश दे कर लौट आया कि कल प्रातः वीआईटी के वीसी श्री अधिकारी को एसडीएम कार्यालय में नोटिश में दिये गये बिंदुओं का बिंदुवार जवाब के साथ उपस्तिथ होना है उन्हें अवगत करा देवे।

वही अब कोठरी से आष्टा तक दबी जुबान से अब वीआईटी कैम्पस में हुए निर्माण,निर्माण की परमिशन ,जो भवन बने है उसका संपति कर कहा कितना जमा किया,
कितनी जमीन खरीदी,कितनी सरकारी मिली और कितनी उसके कब्जे में है इसकी जांच के साथ,

पूर्व में वीआईटी के खिलाफ कोठरी के किसानों ने खेतो में जाने वाले दो रास्ते रोकने,वीआईटी जिस मुख्य द्वार का निर्माण कर रहा है क्या वो नियमो के तहत हो रहा है,क्या इसके बनने से खेती वाले किसानों को कोई परेशानी तो नही होगी सहित अन्य मुद्दों को लेकर हुए आंदोलन,धरने की पुरानी फाइल खोलने,उसकी जांच की भी आवाज उठाने लगी है।

प्रशासन ने भी इस आवाज को सुन भी लिया है। सुनी आवाज को सुनता है या अनसुना करता है ये भी एक बड़ा प्रश्न सबके सामने है.?
वीआईटी को प्रशासन ने जो नोटिश भेजा है सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी अनुसार ।

उसमे प्रशासन ने वीआईटी से जवाब तलब किया है कि…जब कालेज-होस्टल में पानी का इतना गम्भीर संकट था तो उससे प्रशासन को क्यो अवगत नही कराया,जब होस्टल में रहने वालों से तय किया शुल्क बसूला गया तो उनेह पानी क्यो उपलब्ध नही कराया,


जब आंदोलन हुआ उसकी सूचना प्रशासन पुलिस को क्यो नही दी गई,
आंदोलन होने के बाद अचानक 25 से 30 मई तक होने वाली परीक्षा क्यो स्थगित की,छात्रों ने परीक्षा की जो तैयारियां की उसे ध्यान में क्यो नही रखा गया,
अचानक छुट्टी घोषित कर छात्रों छात्राओं को घर जाने का फरमान क्यो जारी किया,


उक्त फरमान से दूर दूर के छात्र छात्राओं को भीषण गर्मी भरी दोपहरी में कितने,किस तरह परेशान हुए क्या कालेज को इसका अंदाजा एहसास है,पानी उपलब्ध ना करा कर कालेज अपनी जिम्मेदारी से क्यो भागा,आंदोलन के दौरान,छुट्टी के बाद कोई घटना दुर्घटना,कानून एवं व्यवस्था की कोई स्तिथि निर्मित हो जाती तो उसका जिम्मेदार कौन होता.!

जैसे एक नही, कई सही और सटीक बिंदुओं के जवाब वीआईटी कालेज से मांगे है। देखना होगा कि वो जांच के बिंदुओं का जवाब देता है या उसकी दबंगई यह भी सामने आती है।
पीड़ित,परेशान छात्र छात्राओं की भावना है प्रशासन को सख्त कार्यवाही करना ही चाहिये ।


अब इंतजार है कल वीआईटी के वीसी के एसडीएम के सामने उपस्तिथ होने का एवं वे क्या सफाई देते है उसका..?
वही वीआईटी में जो घटना घटी उसको लेकर आज तक वीआईटी की ओर से उनका कोई पक्ष प्रेस को नही भेजा गया,उनके पक्ष का भी हमे इंतजार है ।

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