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नववर्ष विक्रम संवत् 2081 को ‘गौ-वंश रक्षा वर्ष’ के रूप में मनाएगी प्रदेश सरकार
प्रति गाय दी जाने वाली राशि होगी दोगुनी,गौ-रक्षा के लिए संकल्पित है सरकार”

राज्य सरकार प्रदेश के विकास के लिए जितनी प्रतिबद्ध है उतनी ही गंभीरता से संस्कृति के संवर्धन का कार्य भी कर रही है। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने प्रदेश में गौ-संरक्षण की दिशा में अभूतपूर्व निर्णय लिया है। गौ-सरंक्षण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को गति देते हुए राज्य सरकार ने अनुकरणीय पहल की है। प्रदेश सरकार ने भारतीय नव वर्ष विक्रम संवत् 2081 अर्थात चैत्र माह से अगले वर्ष तक गौ- वंश रक्षा वर्ष के रूप में मनाने के साथ ही गौ-संरक्षण की दिशा में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।


“मध्यप्रदेश में गौ-शालाओं के बेहतर प्रबंधन पर आयोजित हितधारकों की कार्यशाला” एवं “गौ-रक्षा संवाद” में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में गौ-माता और गौ-वंश के संरक्षण के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। गौ-रक्षा संवाद निरंतरता से होता रहेगा। उन्होंने विश्वास दिलाया कि गौ संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषय पर विचार-विमर्श की प्रक्रिया जारी रहेगी, ताकि गायों और गौ-शालाओं के बेहतर प्रबंधन के उपाय किये जा सकें। प्रदेश में चरनोई की भूमि पर अतिक्रमण हटाने, प्रति 50 किलोमीटर पर सड़कों पर दुर्घटना का शिकार हुई गायों को इलाज के लिए भिजवाने और सड़कों पर बैठने वाले पशुधन को बैठने से रोकने अथवा अन्यत्र स्थानांतरित करने के लिये आधुनिक उपकरणों की सहायता लेंगे। गायों के लिए चारा काटने के उपकरणों पर अनुदान की व्यवस्था करने का काम भी मध्यप्रदेश की सरकार द्वारा किया जाएगा। पंचायतों को आवश्यक सहयोग और प्रेरणा मिले, इसके लिए गौ-संवर्धन बोर्ड प्रयास करेगा। गायों के लिए गौ-शालाओं को प्रति गाय की राशि 20 रुपए से बढ़ाकर 40 रुपए प्रदान की जायेगी। अधूरी गौ-शालाओं का निर्माण पूर्ण किया जायेगा। नई गौ-शालाएं भी बनेंगी। गौ संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है।

“चिंतामण गणेश मंदिर,देवीधाम सलकनपुर की तरह देवभूमि देवबड़ला भी धार्मिक पर्यटन के रूप में हो रहा विकसित”

जिले का चिंतामन गणेंश मंदिर और सलकनपुर धाम,आस्था के बड़े केन्द्र के रूप में देश दुनियॉं में प्रसिद्ध हैं । इन दोनों प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के साथ ही अब देवबड़ला भी धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित हो रहा है । यहॉं आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है । यह नेवज नदी के उदगम स्थल और घने जंगलों में होने के कारण यहॉ का प्राकृतिक वातावण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा हैं । देवबड़ला जिले के आष्टा अनुविभाग की जावर तहसील के ग्राम बीलपान के घने जंगलों की बीच विंध्याचल पर्वत श्रृंखला पर स्थित है । देवबड़ला का मालवी में अर्थ है जंगल, अर्थात घने जंगलों में देवों की भूमि । पुरात्व की दृष्टि से यह क्षेत्र अमूल्य धरोहर है । देवबडला में खुदाई के दौरान 11-12वीं शताब्दी के परमार कालीन शिव मंदिर और अन्य मंदिर मिले हैं ।

खुदाई में शिव मंदिर के साथ ही 20 से अधिक प्रतिमाएं भी मिली हैं । इनमें मूर्तियों में ब्रमदेव, विष्णु, गौरी, भैरव, नरवराह, लक्ष्मी, योगिनी, जलधारी, नंदी, और नटराज की प्रतिमाएं शामिल हैं । इस अमूल्य धरोहर को सहेजने का कार्य किया जा रहा है । पुरातत्व विभाग द्वारा वर्ष 2015 में यहॉ खुदाई शरू की गई । मई 2016 में शिव मंदिर के पुनर्निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया ।

मंदिर 51 फीट ऊंचा है और इस मंदिर का कार्य पूर्ण हो चुका है । दूसरे मंदिर का निर्माण अभी चल रहा है । इन मंदिरों को मूल स्वरूप देने के लिए मंदिर के अवशेषों को जोड़ने में चूना, गुड़, गांद, उड़द, मसूर, जैसे प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग किया गया है । यहॉं के मंदिर आक्रमण अथवा प्राकृतिक आपदा के कारण नष्ट हुए हैं ।

“भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए –मुनि भूतबलि सागर महाराज
हम अपनी मूल भाषा को भूलकर अंग्रेजी भाषा को अपना रहे –मुनि सागर महाराज”

हम लोग अपनी मूल भाषा हिन्दी – संस्कृत को भूलकर विदेशी अंग्रेजों की भाषा को अपना रहे हैं। वस्तु किसी को साधक तो, किसी को बाधक बन जाती है।गुण और दोष की उत्पत्ति कैसे होती है।दोष से पाप और गुण से पुण्य। हमारे भाव और भाषा पर उपादान निर्भर करता है।हम अपनी संस्कृति को भूल रहे हैं, जबकि भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए। निमित्त को लेकर उपादान को समझें। जैसा हमारा उपादान है,उसका हम किस क्षेत्र में उपयोग कर रहे हैं।उसे शुभ योग में लगा रहें हैं या पाप योग में। द्रव्य और भाव पूजा से काम होता है। बिना निमित्त के काम नहीं होता। स्वाध्याय करते -करते ज्ञान हो जाता है।
उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर विराजित पूज्य गुरुदेव मुनि भूतबलि सागर महाराज एवं मुनि सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं। आपने कहा कि मुनि निंदा करने वाले का क्या हश्र होता है। आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज जब तक जीवित थे, कोई अंगुली नहीं उठा सकता, लेकिन समाधि मरण होते ही अंगुली उठाने लग गए। मुनि सागर महाराज ने कहा राग, द्वेष,मोह निमित्त से होता है।जीव कर्म के लफड़े में फंसता है। कर्म का बंध अपने आप नहीं निमित्त से बंधता है।आज व्यक्ति दुखी क्यों है। दोनों पटरी होगी, तभी रेल चलेंगी, बिना पटरी के रेल नहीं चलेंगी। गुरु को माने बिना सम्यकत्व नहीं होता। ज्ञान, दर्शन और चारित्र होने पर ही कल्याण होगा। मुनिश्री ने कहा छोटे-छोटे त्याग से भी पुण्य अर्जन होगा। त्याग का महत्व अधिक है, भले ही कम त्याग करें।व्यसन का त्याग करें। बिना त्याग के सम्यकत्व नहीं।

बिना सोचे समझे कुछ न करें। स्कूलों में अनेक जातियों के विधार्थी है और शिक्षक पढ़ाते हैं, लेकिन सभी को ज्ञान होता।हम अपने कल्याण से वंचित रहेंगे,जब तक हम धर्म आराधना नहीं करते।बिना निमित्त के साधु की भी पूजा नहीं होती तो आप लोगों की कैसे होगी।भाव पूजा वाले भी बिना निमित्त के पूजा नहीं कर सकते हैं। साक्षात या परोक्ष बिम्ब को देखकर पूजा -अर्चना, दर्शन अवश्य करें। मंदिर और धर्म नहीं रहेगा तो सभी नास्तिक हो जाएंगे। मुनि और श्रावक पर्याय को सिंचना होगा। मुनि को माने बिना कल्याण नहीं।देव, शास्त्र, गुरु को नहीं मान रहे हैं, सम्यकत्व नहीं होगा। भगवान के नाम को जपें, वही सबकुछ है। गुरु आपकी कृपा से सब काम हो रहे।
साधनों में पढ़कर अपनी साधना नहीं बिगाड़े।राग द्वेष नहीं हो,इस बात का ध्यान रखें।मन और भाव निर्मल बनाएं। सभी क्षेत्र में शांति बनाए। मोक्ष पुरुष पर्याय से होगा।घाति कर्मा और अघाति कर्मा के नाश करें बिना कल्याण नहीं। में – में करना छोड़ दो,हम करें। छोटे बनकर काम करें।

“शिवरात्रि के उपलक्ष में हिंदू उत्सव समिति ने किया प्याऊ का शुभारंभ”

प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी हिंदू उत्सव समिति के द्वारा राजेश शर्मा के निवास के समक्ष इंदौर भोपाल राजमार्ग पर राहगीरों के कंठ की प्यास बुझाने के लिए प्याऊ का शुभारंभ किया । हिंदू उत्सव समिति के अध्यक्ष रूप सिंह ठाकुर ने वैदिक मंत्रों के द्वार पूजा अर्चना की बाबा महाकाल और वरुण देवता की पूजा की पतरा परिवार के सहयोग से यह प्याऊ ब्राह्मण परिवार पुरी ग्रीष्म ऋतु राहगीरों के लिए जल सेवा करता है ।

इस अवसर पर इस अवसर पर पूर्व मंडी सदस्य समाजसेवी अके सिंह ठाकुर, मोहनलाल आर्य, मुकेश कुमार आर्य, रूप सिंह ठाकुर, पत्रकार शोभाल सिंह ,रूप चंद्र जैन ,मोहन मालवीय ,डॉक्टर श्रवण ठाकुर ,लोकेंद्र भावसार ,राजेश शर्मा ,मयंक शर्मा आदि मौजूद थे

“स्कूलों की नवीन मान्यता, नवीनीकरण आवेदन विलंब शुल्क सहित 11 से 15 मार्च तक कर सकते”

शिक्षा का अधिकार अधिनियम अंतर्गत सत्र 2024-25 के लिए प्रायवेट स्कूलों की नवीन मान्यता, नवीनीकरण मान्यता आवेदन के लिए नवीन आदेशानुसार अंतिम तिथि 11 से 15 मार्च 2024 तक किया जा सकेगा। पूर्व में 30 नवम्बर 2023 निर्धारित की गई थी। राज्य शिक्षा केन्द्र के संचालक धनराजू एस ने इस संबंध में सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये है कि विहित समय सीमा के भीतर नवीन मान्यता, मान्यता के नवीनीकरण के लिए आवेदन प्रस्तुत करने में सोसायटी, ट्रस्ट के असफल रहने पर विलंब शुल्क के रूप में 5,000 ( पांच हजार रूपये) की राशि अतिरिक्त जमा करने पर 11 से 15 मार्च 2024 तक किया जा सकेगा। शासन के निर्णय अनुसार विलंब शुल्क 5,000 (पांच हजार रूपये) के साथ मान्यता आवेदन 11 मार्च 2024 से 15 मार्च 2024 तक किया जा सकेगा। इस तिथि के पश्चात सत्र 2024-25 के लिए मान्यता आवेदन नहीं किये जा सकेंगे।

“अभिग्रहधारी राजेश मुनि जी आष्टा नगर में,प्रातः हुए जाप,स्थानक में होंगे प्रवचन”

बेले बेले की कठोर तपस्या करने वाले तपस्वी एवं अभिग्रहधारी पूज्य राजेश मुनि जी की निश्रा में शुक्रवार 8 मार्च की शाम एवं 9 मार्च को प्रातः साईं कॉलोनी में अनिल विश्वास के निवास पर नवकार मंत्र के जाप में शामिल हुए,आज 9 मार्च को प्रातः 9 बजे से महावीर भंवन स्थानक में पूज्य श्री राजेश मुनि जी के प्रवचन होंगे। आज स्थानक में पूज्य आचार्य श्री उमेश मुनि जी की 92 वी जन्म जयंती पर गुणानुवाद सभा प्रवचन के कार्यक्रम सम्पन्न होंगे

“दर्द ही हमारा है काव्य संग्रह का रविवार को होगा विवोचन”

स्वर्गीय रमेश गोहिया की काव्य रचनाओं का संग्रह दर्द ही हमारा है शीर्षक के साथ शिवना प्रकाशन ने प्रकाशित किया। जिसका विमोचन 10 मार्च को होगा । इस काव्य संग्रह में स्वर्गीय गोहिया द्वारा रचित श्रेष्ठ कविता, गीत और छंदों को शामिल किया गया है। किताब का प्रकाशन स्वर्गीय रमेश गोहिया की मृत्यु के बाद उनके परिवारजनों ने करवाया है।

काव्य संग्रह के विमोचन अवसर पर मुख्यरूप से समाजसेवी अखिलेश राय, वरिष्ठ साहित्यकार पंकज सुबीर उपस्थित रहेंगे। साथ ही अयोजन में स्वर्गीय रमेश गोहिया के छोटे भाई रघुवर दयाल गोहिया, शैलेंद्र गोहिया सहित परिवार के सभी लोग और साथी साहित्यकार, कवि व मित्र मौजूद रहेंगे।

“मुख्यमंत्री 10 मार्च को सिंगल क्लिक से करेंगे अनुग्रह सहायता योजना की राशि का वितरण”

मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल 2.0) योजना के अंतर्गत अनुग्रह सहायता योजना की राशि का वितरण मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव 10 मार्च को ग्वालियर में करेंगे। सहायता राशि सिंगल क्लिक से हितग्राहियों को अंतरित की जाएगी। कार्यक्रम में म.प्र. भवन संनिर्माण कर्मकार मण्डल, संबल योजना और म.प्र. श्रम कल्याण मण्डल की योजनाओं के हितग्राहियों को हितलाभ वितरित किये जायेंगे। सरकार द्वारा वर्ष 2018 में प्रारंभ संबल योजना में अधिक के हितलाभ वितरित किये जा चुके है। संबल योजना असंगठित क्षेत्र में कार्यरत लाखों श्रमिकों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण योजना है, जिसमें अनुग्रह सहायता योजना के अंतर्गत दुघर्टना में मृत्यु होने पर 4 लाख रूपये एवं सामान्य मृत्यु होने पर 2 लाख रूपये प्रदान किये जाते हैं। इसी प्रकार स्थायी अपंगता पर 2 लाख रूपये, आंशिक स्थायी अपंगता पर 1 लाख रूपये तथा अंतिम संस्कार सहायता के रूप में 5 हजार रूपये प्रदान किये जाते हैं।

संबल योजना में महिला श्रमिक को प्रसूति सहायता के रूप में 16 हजार रूपये दिये जाते हैं, साथ ही श्रमिकों के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा भी उपलब्ध कराई जाती है। मध्यप्रदेश की यह योजना देश के सभी राज्यों के लिए अनुकरणीय है । म.प्र. भवन संनिर्माण कर्मकार मण्डल द्वारा निर्माण श्रमिकों और उनके परिवार के व्यक्तियों को आयुष्मान योजना से जोड़ा जा चुका है। पंजीकृत निर्माण श्रमिकों और उनके परिवार के लिये मंडल के माध्यम से 19 योजनाएं संचालित हैं। इनमें से अनुग्रह सहायता योजना के अंतर्गत निर्माण श्रमिकों की मृत्यु होने पर तथा स्थायी एवं आंशिक अपंगता पर सहायता प्रदान की जाती है। म.प्र. श्रम कल्याण मण्डल द्वारा राज्य के संगठित क्षेत्र के लगभग 7 लाख श्रमिकों के हित में 7 योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, जिसमें विवाह सहायता, कल्याणी सहायता, छात्रवृत्ति, अंत्येष्टि सहायता, उत्तम श्रमिक एवं श्रमिक साहित्य पुरूस्कार योजनाएं प्रमुख है।

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