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“गौपाष्ठमी पर गौ माता की पूजन कर लिया गौ सेवा का संकल्प
गौसेवको एवं दानदाताओ का किया सम्मान”

आष्टा नगर की माॅ पार्वतीधाम गौशाला शनैः शनैः सामाजिक सरोकारो, पारिवारिक आयोजन, जन्मदिन, पुण्यतिथि एवं अन्य शगुन आयोजनो के उत्सवो का केन्द्र के रूप में पहचानी जाने लगी हैं। ये तभी संभव हुआ हैं जब नगर के गौसेवको ने गौसेवा करने की निश्चय किया। आज यह विशालकाय गौशाला इसका उदाहरण हैं कि गौसेवा के लिए नगर की विभिन्न धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाऐं भी जुड रही हैं तथा गौसेवा के लिए बढ चढकर दान दे रही हैं, उक्त आशय के उद्गार पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष कैलाश परमार ने माॅ पार्वती धाम गौशाला में गौपाष्ठमी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में किया।

समाजसेवी हुकुम बोहरा ने अपने उद्बोदन में कहा कि गौमाता की सेवा से बढकर कोई सेवा नही हैं। पत्रकार नरेन्द्र गंगवाल ने माॅ पार्वती धाम गौशाला के संचालको की मेहनत की प्रशंसा की। पत्रकार कमल पांचाल ने कहा कि इस गौशाला का जो पौधा रौपा गया पौधा वृक्ष बन गया हैं। रविवार को गौशाला में एक अनूठा एवं गरिमामयी कार्यक्रम हुआ। जिसे गौपाष्ठमी पर्व के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम में नगर एवं आसपास के गणमान्य नागरिकगण, जनप्रतिनिधिगण, सामाजिक संस्थाओ के पदाधिकारी, पत्रकारगण ने गौंसेवा के प्रकल्प का संकल्प लिया तथा विभिन्न व्यैक्तिक एवं सामाजिक संस्थाओ ने गौसेवा के क्षैत्र में काम कर रही माॅ पार्वतीधाम गौशाला को दान राशि भी भेट की। माॅ पार्वती धाम गौशाला के अध्यक्ष नरेन्द्र कुशवाह ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि पिछले कुछ वर्षो पूर्व नगर के गौसेवक स्व. राजकुमार अग्रवाल, स्व. नेमीचंद कामरिया, स्व. दिलीप महांकाल के गौसेवा प्रकल्प से प्रारंभ हुई गौशाला आज अपनी एक अनूठी पहचान बना चुंकि हैं।

इसका श्रे्य नगर एवं आसपास के दानदाताओं एवं गौसेवा प्रेमियों को जाता हैं, जिन्होने समय समय पर अपना धन एवं श्रम दान देकर इस गौशाला को शीर्ष स्थिति से पहुॅचाया हैं। जनपद सदस्य श्रीमति गुलाब बाई ठाकुर, दिनेश शर्मा,ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष डाॅ. मीना सिंगी, सकल हिंदू समाज अध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव, श्री श्वेतांबर जैन समाज अध्यक्ष पवन सुराणा, बी.एस. वर्मा, लोकेन्द्र बनवट, सुनिल सेठी, कैलाश भोजवानी, सुभाष नामदेव, पार्षद तेज सिंह राठौर, अशोक खंडेलवाल, राजेन्द्र जैन, श्याम अग्रवाल, शैलेष राठौर, अभिषेक सुराना, नरेन्द्र पोरवाल, शुभम शर्मा, रूपेश धारीवाल, मनोज ताम्रकार, दलकिशोर कुशवाह, जुगल मालवीय, जगदीश कुशवाह पटेल, किशोरी कुशवाह, लोकेन्द्र धारवां, सुरेश डुंगरे, तेज सिंह पाटीदार, जगदीश सेन, लखन श्रीवादी आदि का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में पत्रकारगण नरेन्द्र गंगवाल, श्रीमति किरण राकां, जहूर मंसूरी, कमल पांचाल, राजीव गुप्ता, दिनेश शर्मा, मोहित सोनी, विक्रम ठाकुर, ईस्माईल मंसूरी, नीलेश शर्मा, जितेन्द्र राठौर, संजय वर्मा का साफा बांधकर सम्मान किया। व समस्त वेटरनरी डॉक्टर एवं गौ सेवकों का स्वागत सम्मान किया कार्यक्रम का संचालन संयुक्तरूप से गौशाला समिति के अध्यक्ष नरेन्द्र कुशवाह एवं कोषाध्यक्ष ने किया। समिति कीे उपाध्यक्ष श्रीमति कविता जयसवाल ने सभी मात्र शक्तियों का सम्मान किया। माॅ पार्वती धाम गौशाला के विशेष सहयोगी विपिन सिंगी एवं सचिव सुनिल कचनेरिया एडवोकेट एवं रवि कामरिया ने आगंतुको को समिति के गौ सेवा कार्य को विस्तार से बताया।

किराया व्यापारी संघ अध्यक्ष शैलेन्द्र मेहता ने किराना एसोसिएशन की तरफ से गौशाला को 11,111 रूपये देने की घोषणा की। गौसेवक रमेश कुशवाह, ललित महेश्वरी, योगेश जैन, रोहित जैन, कुलदीप जैन, संजय विश्वकर्मा, पुनीत मामाजी, पवन ठाकुर, आकाश गुजराज, सौरभ गुप्ता, विपिन सिंगी, रवि राठौर की ओर से 5151 रूपये की नगद राशि भेट की। 2100 रूपये श्री वर्धमान स्थानकवासी श्रावक संघ आष्टा, प्रभु प्रेमी संघ अध्यक्ष सुरेश पालीवाल, बी.एस. वर्मा, जितेन्द्र परमार परमार युवा संगठन, महालक्ष्मी महिला मंडल, इनव्हग्रीन क्लब, रिलेश बोथरा, राजेन्द्र जैन मुनीमजी, मनोज ताम्रकार, रमेश यादव, नवरत्न गजानंद महिला मंडल, संजय संदीप जैन चायघर, तेज सिंह राठौर, सुरेश पालीवाल, पल्लव प्रगति, महेश जाट, जगदीश कुशवाह, नरेन्द्र अग्रवाल, रूपेश पाठक, कुशल जमराह, महेश राठी, कैलाश भोजवानी, हुकमचंद बोहरा, मौसमी अग्रवाल, हेमराज हलवाई, स्मिता सुराणा, रोहित गुलवानी, ललित सुराणा ने भी दान राशि गौशाला को प्रदान की। इस अवसर पर श्रीमती शकुंतला छाजेड़, श्रीमती गीता नरेंद्र कुशवाहा, श्रीमती रीना राजेश शर्मा, अनीता महाडिक, विनीता सुराणा, गीता कुशवाहा, कौशल्या पांचाल,स्वर्ण महाडिक, सीता गोस्वामी, पूजा कुशवाहा, आदि मातृशक्ति उपस्थिति रही

“महिला कांग्रेस ने सौपा ज्ञापन,बुजुर्ग महिला की हत्या के आरोपी को गिरफ्तार करने की मांग का ज्ञापन सौपा”

गुराडिया रूपचंद ग्राम मे तीन दिन पहले हुई बुजुर्ग महिला की दर्दनाक हत्या के आरोपी को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर महिला जिला कांग्रेस अध्यक्ष गुलाबबाई ठाकुर के नेतृत्व में एसडीएम को एक ज्ञापन सौपा गया । पुलिस तीन दिन बाद भी लाचार नजर आ रही है। आज तक आरोपीयो का सुराग तक नही लग पाया है। श्रीमति ठाकुर ने कहा कि प्रदेश मे अपराधीयो के हौसले बुलंद है। महिलाओ पर लगातार अत्याचार बढ़ रहे है। महिलाएं असुरक्षित है। एंव भय का माहौल है। उक्त घटना की महिला कांग्रेस घोर निंदा करती है। वही आरोपीयो को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग करती है।

महामहिम राज्यपाल के नाम एसडीएम श्रीमति स्वाति उपाध्याय मिश्रा को ज्ञापन सौपा। इस अवसर प्रदेष सचिव हरपाल ठाकुर, महिला जिलाध्यक्ष श्रीमति गुलाबबाई ठाकुर,ब्लॉक अध्यक्ष जितेद्र शोभाखेड़ी शहर अध्यक्ष जाहिद गुड्डू,आदिवासी समाज का जिलाध्यक्ष सुनील कटारा, राजकुमार मालवीय ,घनश्याम जांगड़ा,तोसीफ बाबा,फैजउद्दीन,ब्लाक महिला अध्यक्ष रीना मालवीय,हेमलता चौहान जिला महांमंत्री, गज्जी बाई,तबस्सुम खान,तेजकुवर चौहान,डा एजाज खान,नरेंद्र कुषवाह,कमल सेठ, अकीला रामचंद दवारिया,तेजकुवर बाई,धनकुवर बाई,शंकर सोनी, सहित बड़ी संख्या मे कार्यकर्ता उपस्तिथ रहे।

“आने वाली पीढ़ियो को सेवा, सदाचार, संस्कारो से जोडे रखना बडी चुनौती:- स्वामी विमलसेवादास”

भारत की सनातन एवं सदियो पुरानी संस्कृति को आज पूरा विश्व सराह रहा हैं। हमारे प्राचीन, वेद, पुराणो के गुढ़ रहस्य विज्ञान की खोज के प्रति आश्चर्य पैदा नही करते वरन् विज्ञान की खोज हमारे प्राचीन ग्रंथो में समाहित हैं। वैश्विकता एवं भौतिकतावादी इस युग में हमारी सेवा भावना, सदाचार एवं संस्कारो को आने वाले पीढ़ियो से जोडे रखना हमारे लिए बडी चुनौती हैं।

हम हमारे बच्चो को कैसे संस्कारवान् बनाकर रखे इस दिशाा में बच्चो के माता पिता के साथ धर्मगुरूओं, धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं को भी सार्थक योजना बनाकर काम करने की आवश्यकता हैं। स्वामीनारायण संप्रदाय के संपूर्ण विश्व में सैकडो मंदिर हैं, जिनमें बाल संस्कार की पाढ़शालाऐं संचालित की जाती है ।स्वामीनारायण संप्रदाय का उद्देश्य हैं कि बच्चे शिक्षा के साथ संस्कारवान् भी बने तथा अपने माता-पिता एवं परिवार के साथ आत्मिक रूप से जुडे रहें। उनके अंदर माता पिता एवं परिवार के बडो के प्रति सम्मान का भाव रहें। वर्तमान भौतिकतावादी युग हमारे संस्कारो का संरक्षण होता रहे यही हमारा उद्देश्य हैं। उक्त आशय के उद्गार स्वामीनारायण संप्रदाय बीएपीएस के इंदौर मंदिर के प्रमुख साधु विमलसेवादास ने आज आष्टा ने पदरावणी कार्यक्रम में पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष कैलाश परमार के निवास पर व्यक्त किए। उन्होने आगे जानकारी देते हुए बताया कि स्व0 मांगीलाल जी साहू के पुत्रगण राजकुमार साहू एवं जितेन्द्र साहू को उनके स्वर्गीय पिता एवं ईश्वर से प्रेरणा मिली ओर उन्होने स्वामीनारायण मंदिर के लिए जमीन दान देने का संकल्प लिया। जिसे स्वामीनारायण ट्रस्ट ने सैद्वांतिक सहमति दे दी हैं। स्वामीनारायण संप्रदाय के पूरे विश्व में 400 से अधिक मंदिर हैं। मंदिर निर्माण की सभी औपचारिकताऐं पूर्ण होने के बाद निर्माण कार्य शुरू होगा जो अनवरत् चलेगा। आष्टा में भी भव्य मंदिर का निर्माण होगा तथा मानव सेवा एवं ईश्वरीय सेवा के प्रकल्प के साथ हम अच्छे सेवा कार्य करेगें। मुख्य साधु विमलसेवा दास जी के साथ पदरावणी में आष्टा पधारे नवसाधु श्री शीलव्रत जी का भी पूजन कर अभिवादन किया गया।

पूज्य स्वामीनारायण भगवान का पूर्व न.पा. अध्यक्ष कैलाश परमार, वरिष्ठ समाजसेवी मोहन सिंह अजनोदिया, देवबगश मेवाडा, काशीराम पचलासिया ने पूजन की। साधुद्वय ने मंदिर भूमि के दानलाभार्थीं राजकुमार साहू, जितेन्द्र साहू के साथ प्रस्तावित मंदिर भूमि का अवलोकन किया तथा मंदिर स्थल की सूक्ष्म पूजन की।
इस अवसर पर नरेन्द्र गंगवाल, राजेश बनवट, सुनिल प्रगति, प्रदीप धारीवाल, सुरेन्द्र परमार, वीरेन्द्र परमार, जितेन्द्र साहू, शुभम शर्मा, अनंत साहू, मुकेश गुलवानी, कमल सिंह ठाकुर, किशोरी कुशवाह, बिहारीलाल परमार, अर्जुन सिंह अजय, संजय ताम्रकार, संजय चौरसिया,महेश मेवाडा, महेश चिरोंजिया आदि पदरावणी पूजा में सम्मिलत हुए।

“किला मंदिर पर पद्मनंदी पंचविंशती ग्रन्थ” का चातुर्मास में निरंतर स्वाध्याय मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज ने करवाकर श्रद्धालुओं की परीक्षा ली,
संस्कार, संस्कृति और क्षेत्र का व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव पड़ता है — मुनिश्री निष्काम सागर महाराज”

परम पूज्य आचार्य भगवंत गुरुदेव संत शिरोमणि श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के मंगल आशीर्वाद से,परम पूज्य आचार्य भगवंत गुरुदेव श्री समय सागर जी महाराज की महती कृपा से श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास 2024 के दौरान परम पूज्य तपस्वी मुनिश्री निष्कंप सागर जी महाराज के माध्यम से आचार्य पद्मनंदी महाराज द्वारा रचित “श्री पद्मनंदी पंचविंशती ग्रन्थ” का चातुर्मास में निरंतर स्वाध्याय कराया गया । ग्रन्थ का व्याख्यान पूर्ण होने पर दिनांक 10 नवंबर रविवार को सभी श्रद्धालुओं की परीक्षा ली गई ।जिसमें सभी महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया, परीक्षा परिणाम आने पर सभी को पुरस्कृत भी किया जाएगा। सोमवार को आशीष वचन देते हुए मुनिश्री निष्काम सागर महाराज ने कहा व्यक्ति के जीवन में संस्कार, संस्कृति और क्षेत्र का महत्व है। व्यक्ति को बचपन में संस्कार मिल जाए तो वह युवा अवस्था में भटकता नहीं है तथा आपके बुढ़ापे कि सहारा बनता है। महाभारत का उल्लेख करते हुए कहा कौरव संस्कार विहीन थे। पांडवों युद्ध नहीं चाहते थे लेकिन कौरव पांच गांव भी पांडवों को नहीं देना चाहते थे। युद्ध हुआ , परिणाम से सभी परिचित हैं।

निष्काम सागर महाराज ने कहा क्षेत्र का प्रभाव रहता है। श्रवण कुमार को उनके माता-पिता ने आंखें नहीं होने के पश्चात हर प्रकार से संस्कारित व हर कला में निपुण कराया। अपने माता-पिता के लिए नदी के किनारे गलत भाव आएं, माता-पिता उसकी भाषा से समझ गए और कहा कि हमें नदी के उस पार छोड़ दें। वहां जाते ही श्रवण कुमार के भाव बदले और माता-पिता के चरणों में नतमस्तक होकर क्षमा मांगी।क्षेत्र अर्थात संगति का असर होता है। माता-पिता अपने बच्चों के लिए क्या नहीं करते।श्रीकृष्ण ज्ञान के धनी थे।श्रीकृष्ण और पांडवों ने बहुत प्रयास किया कि युद्ध नहीं हो। पांडवों ने कभी भी कौरवों का विनाश नहीं सोचा। गणेश प्रसाद वर्णी ने जैन समाज के बच्चों आदि के लिए पाठशालाएं गांव- गांव में खुलवाई। पाठशाला का बहुत अधिक महत्व है। नौनिहालों को पाठशाला से जोड़े ताकि वह आपकी सेवा बुढ़ापे में कर सके। पाठशाला की महिलाओं ने सराहनीय कार्य समाज व संस्कृति की रक्षा करने के लिए घर से बाहर निकली। समाज जनों को चाहिए की इन्हें प्रोत्साहित करें। शास्त्री कॉलोनी की पाठशाला व्यवस्थित रूप लेगी।जो पहल इस बार हुई वह हर साल हो।बच्चों को ज्ञानदान और संस्कृति की सुरक्षा के लिए पाठशाला में दान करें।

“देव प्रबोधिनी एकादशी आज : होगा मांगलिक कार्यों का शुभारंभ, शहनाईयां गूंजेगी, श्रीनाथजी की हवेली में तुलसी – शालिगराम विवाह होगा, निकलेगी धूमधाम से बारात
फोटो”

सनातन धर्म में कार्तिक शुक्ल एकादशी का विशेष महत्व है। इसे प्रबोधिनी अथवा देवोत्थापिनी एकादशी भी कहते है। मान्यता अनुसार इस दिन चौमासा के चार मास का शयन समाप्त कर भगवान विष्णु योग निद्रा से उठते है। भगवान विष्णु के शयन के कारण आषाढ शुक्ला एकादशी से कार्तिक शुक्ला एकादशी तक चार महीनों तक शादी-विवाह और मांगलिक कार्यक्रम निषेध रहते है। इस बार देव प्रबोधिनी एकादशी मंगलवार 12 नवम्बर को मनाई जाएगी। इस दिन से शादी-विवाह और मांगलिक कार्यक्रमों की शुरूआत होगी। घरों, मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों पर तुलसी-शालिगराम के विवाह कार्यक्रम होंगे। नगर की प्राचीनतम श्रीनाथ जी की हवेली में भी तुलसी – शालिगराम विवाह होगा। गाजे-बाजे के साथ शालिगराम जी की बारात निकलेगी। बुधवार 13 नवंबर को अन्नकूट एवं छप्पन भोग का कार्यक्रम होगा।

“अबूझ मुहूर्त, बंधेंगे परिणय सूत्र में”

देव उठनी एकादशी के अबूझ मुहूर्त पर शहर से ग्रामीण क्षेत्रों तक बड़ी संख्या में विवाह आयोजन होंगे। जिन परिवारों में देव उठनी एकादशी के दिन विवाह कार्यक्रम होने है, उनमें तैयारियां पूर्ण हो चुकी है। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित भवनों की बुकिंग हो चुकी है।बैण्ड,डीजे,लाइट डेकोरेशन, घोड़ी, रथ, हलवाई इत्यादि की भी बुकिंग हो चुकी है। बाजारों में देव उठनी एकादशी व उसके बाद के शुभ मुहूर्तों में होने वाले विवाह आयोजनों के लिए विभिन्न प्रकार के सामान की खरीदारी का क्रम चल रहा है। विवाह के निमंत्रण पत्रों के वितरण का क्रम प्रारंभ हो गया है। परम्परा अनुसार निकलेगी बारात
सेठ रतनलाल अग्रवाल ट्रस्ट श्रीनाथ मंदिर हवेली में मंगलवार को सुबह साढ़े नौ बजे मंडपाच्छादन ,शाम साढ़े छः बजे वर निकासी, विवाह लग्न बुधवार सुबह पांच बजे तथा राजभोग व विदाई सुबह 8 बजे होंगी। तुलसी जी के मनोरथी गल्ला व्यापारी दिनेश – जयश्री शर्मा तथा प्रभु शालिगराम जी के मनोरथी सर्राफा व्यापारी रवि -बिंदु सोनी है।
इन मुहूर्त पर होंगे मांगलिक कार्य

ज्योतिषाचार्य पं.डॉ दीपेश पाठक के अनुसार इस वर्ष 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ विवाह और शादी संस्कार प्रारंभ हो रहे हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार नवंबर में 12 तारीख के बाद कुल 11 विवाह के शुभ मुहूर्त हैं। 12, 16, 17, 18, 22, 23, 24, 25, 27, 28, 29 नवंबर को विवाह के लिए शुभ मुहूर्त हैं। इन मुहूर्तों में विवाह संपन्न किए जा सकते है। इसके बाद दिसंबर माह में विवाह के लिए ज्यादा मुहूर्त नहीं हैं। दिसंबर में विवाह का आखिरी मुहूर्त 14 दिसंबर को होगा। इसके अलावा दिसंबर माह में विवाह के लिए चार तिथियां हैं। 4, 5, 9, 10 और 14 दिसंबर को ही विवाह के मुहूर्त हैं।

“तुलसी विवाह एवं देवोत्थापन के शुभ मुहूर्त”

नगर पुरोहित पंडित मनीष पाठक ने बताया कि
मंदिरों में देवोत्थापन अनुष्ठान होंगे और ठाकुरजी के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ेगा। इससे पूर्व आषाढ़ शुक्ल देव शयनी एकादशी 17 जुलाई को भगवान के शयन करने के कारण शादी, गृह प्रवेश, देव प्रतिष्ठा और मुंडन जैसे मांगलिक कार्य नहीं हो पा रहे थे। अब देवउठनी एकादशी को भगवान विष्णु के जागने पर पुन: शुभ कार्य शुरू हो सकेंगे। देव उठाने का शुभ मुहूर्त यह रहेंगे-4
प्रात:काल
9:23 बजे से 10:46 तक चर
10:44 बजे से 01:26 तक लाभ-अमृत
प्रदोषकाल व वृषभ लग्न काल
संध्या 05:29 से 07:33 तक
सायंकाल
07:07 बजे 08:47 बजे तक लाभ बेला।

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