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इस खबर को पूरा देखे सुनेगे तो आप घुँघरू की खनक समझ जायेंगे….

4 दिनों से आष्टा महादेव नर्सिंग कालेज में फर्जीवाड़े,संचालक की मनमानी,4 साल से मोटी फीस बसूलने,इस दौरान परीक्षाएं नही कराने,ट्रेनिग-ड्रेस के नाम पर हजारों रुपये बसूलने,फीस की रशीद ना देने,शिकायत करने वालो को धमकाने का मामला पूरे मप्र में सुर्खियों में बना है।

आंदोलन के प्रथम दिन जब पीड़ित छात्र छात्राएं महादेव नर्सिंग कालेज की उक्त शिकायते करने आष्टा थाने पहुचे थे,तब पीड़ित छात्र छात्राओं ने प्रेस को उक्त कालेज की लूट की पूरी रामायण से अवगत कराया ।

प्रेस से चर्चा के दौरान एक छात्रा रानी राव ने इस मामले के साथ एक बड़ा खुलासा भी किया था की महादेव नर्सिंग कालेज की अपनी कोई बिल्डिंग नही है और ना ही 300 बेड का कोई अस्पताल है। इसके नाम पर महादेव कालेज के संचालक ने चौपाटी के आगे एक अस्पताल के ऊपर का फ्लोर किराये पर ले कर उसे अस्पताल बता कर धोखा दिया है,

यहा भी जो अस्पताल चलता है उस अस्पताल में कई अनलीगल कार्य होते है। इस अस्पताल में भारत सरकार की आयुष्मान योजना के आयुष्मान कार्ड से इलाज के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा होता है,यहा मरीजों का इलाज के नाम पर मुख्यमंत्री बीमारी सहायता राशि का भी बड़ा खेला हुआ है। लेकिन ऊपर तक जोड़ तोड़,सम्बंध,होने के कारण आज तक इनका कोई कुछ भी नही बिगाड़ सका है।

पीड़ित छात्रा ने यह सब आरोप मीडिया से चर्चा के दौरान कैमरे के सामने कहे जो खबरो के साथ सुने भी गये है। अगर वास्तव में ऐसा हुआ है तो निश्चित एक बड़ा अपराध किया गया है, क्योंकि जिस योजना को लेकर आरोप लगे है वो योजना उस लोह पुरुष के नेतृत्व वाली सरकार की है

जिसका साफ कहना है की “ना खाऊंगा-ना खाने दूंगा”। पीड़ित छात्रा ने जो गम्भीर आरोप लगाये की आयुष्मान कार्ड एवं सीएम फंड से जो राशि इलाज हेतु आती है वो हड़प ली जाती है। मतलब साफ है की मामला गम्भीर ही नही अति गम्भीर है। अब बड़ा प्रश्न यह है की छात्रा ने कहा चौपाटी के आगे एक 300 बेड का अस्पताल बताया गया,ऊपर का फ्लोर किराये पर ले रखा है।

ये घुँघरू जो बजते नही है,पर आवाज सुनाई देती है….

आखिर चौपाटी पर या उसके आस पास,आगे पीछे ऐसी कौन सी बिल्डिंग है जहां ऐसा कोई अस्पताल संचालित होता है ये जांच का विषय है की क्या वाकई में कोई अस्पताल चलता भी है या अस्पताल के नाम पर मात्र कोई लूट की दुकान चलती है.?

अगर कोई अस्पताल चलता है तो उसका पूरे रिकार्ड जप्त होना चाहिये और जांच हो कि इस अस्पताल में किस किस मरीज का इलाज आयुष्मान कार्ड में माध्यम से या मुख्यमंत्री बीमारी सहायता निधि से स्वीकृत राशि से हुआ है। आयुष्मान कार्ड से गम्भीर बीमारियों का इलाज होता है क्या जिनका इलाज हुआ वे वाकई में किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित थे.?

क्या उक्त अस्पताल के पास वो सब सुविधाए उपलब्ध है,जिस गम्भीर बीमारी का उसके यहा इलाज हुआ है.? क्या उक्त अस्पताल आयुष्मान कार्ड से इलाज के लिये मान्यता प्राप्त है.? अगर उक्त अस्पताल में मुख्यमंत्री बीमारी सहायता से स्वीकृत राशि से इलाज हुआ है तो किस किस मरीज का इलाज हुआ,उसके इलाज के लिये सीएम राज्य बीमारी सहायता के नाम कितनी राशि स्वीकृत हुई,

किसके खाते में आई,कितनी राशि इलाज पर खर्च हुई आदि की उच्च स्तर पर जांच हो। अगर छात्रा के आरोप सच्चाई की बुनियाद पर है तो इलाज के नाम पर स्वास्थ माफियाओं का एक बड़ा भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है। अगर ऐसा हुआ है तो इस मामले में नेता,स्वास्थ विभाग के कई चेहरे उजागर हो सकते है ।

कलेक्टर सीहोर श्री प्रवीणसिंह ने जिस तरह महादेव कालेज की जांच के लिये एक दल गठित किया है,उसी तरह उक्त छात्रा ने जो आरोप लगाये उसकी जांच हेतु भी एक दल का गठन करना चाहिये जो पहले तो चौपाटी के आस पास उस अस्पताल की खोज करे जिसको लेकर आरोप लगे उसके बाद मरीजों का पूरा रिकार्ड खंगाला जाये

ताकि अगर किसी ने कुछ भी खाया हो तो उसे, उससे उगलवाया जा सके। अगर ऐसा होता है तो प्रशासन की ये एक बड़ी उपलब्धि होगी,वही स्थानीय स्वास्थ विभाग की भी एक बड़ी पोल सामने आ जायेगी..? अब हमने घुँघरू तो बजा दिये है,देखना है इसकी आवाज जिम्मेदारों तक कब पहुचती है..

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